- कोर्ट रिसीवरों को किया था नियुक्त, फिर से रिपोर्ट न्यायालय में होगी पेश
ग्वालियर। उच्च न्यायालय के आदेश के बाद बहुचर्चित हिरण वन कोठी विवाद में दोनों पक्षों की तरफ से नियुक्त किए गए न्यायालय रिसीवर फिर से अगले माह हिरण वन कोठी का निरीक्षण कर इसकी रिपोर्ट उच्च न्यायालय में पेश करेंगे। न्यायालय के स्पष्ट आदेश हैं कि समय-समय पर न्यायालय रिसीवर हिरण वन की स्थिति और दशा का बाकायदा निरीक्षण कर इसकी पूरी रिपोर्ट न्यायालय के समक्ष रखेंगे। इस निरीक्षण के दौरान दोनों पक्ष मौजूद रहकर इससे पूर्व में किए गए निरीक्षण के दौरान हिरण वन कोठी की मौजूदा स्थिति और कोठी में रखे सामान की सूची का पंचनामा का अध्ययन कर आज की क्या स्थिति है इसका फिर से पंचनामा बनाएगा। सिंधिया पक्ष के एक सहायक अधिवक्ता ने बताया कि न्यायालय के आदेश के बाद फिर से समूची कोठी का मुआयना कर वीडियोग्राफी की जाएगी। बता दें कि इससे पहले सात जनवरी को उच्च न्यायालय के आदेश के बाद नियुक्त किए गए न्यायालय रिसीवरों ने हिरण वन कोठी की वीडियोग्राफी कराकर सूक्ष्मता से निरीक्षण करने के बाद जनवरी माह के अंतिम सप्ताह में उच्च न्यायालय की युगल पीठ में प्रस्तुत की थी।
कोठी की हालत जीर्ण-शीर्ण:- जानकारी के अनुसार कोठी की हालत बहुत ही जीर्ण-शीर्ण है,क्योंकि कोठी में ऐसा कुछ भी नहीं है जो सही हालत में हो। उच्च न्यायालय ने सिंधिया पक्ष से टीसी नरवरिया और चित्रलेखा के पक्ष से एसएस कुशवाह को रिसीवर नियुक्त किया है। अगले माह फिर से दोनों रिसीवर कोठी का निरीक्षण करेंगे और पहले के किए निरीक्षण के बाद अब तक कोठी का क्या हाल है उसकी रिपोर्ट बनाएंगे।
सिंधिया और चित्रलेखा में चल रहा है विवाद
बहुचर्चित हिरण वन कोठी के मालिकाना अधिकार को लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया और स्व.संभाजी राव आंग्रे की पुत्री चित्रलेखा के बीच सालों से विवाद चल रहा है। प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन है। उच्च न्यायालय द्वारा रिसीवरों को कब्जा देने का आदेश दिया था। 1984 में न्यायालय ने विवाद बढ़ने पर अधिवक्ता केएन गुप्ता को रिसीवर घोषित किया था। वे 2004 तक रिसीवर रहे। 2005 में चित्रलेखा निचली अदालत से मामला जीत गईं थीं,लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उच्च न्यायालय में हिरण वन कोठी के अधिकार को लेकर याचिका प्रस्तुत की थी। तब से लेकर अब तक विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है।