नई दिल्ली। बसपा प्रमुख मायावती ने मंगलवार को राज्यसभा में सहारनपुर में दलित विरोधी हिंसा के मुद्दे पर उनको पूरी बात कहने की अनुमति नहीं दिये जाने के कुछ ही घंटों के बाद उच्च सदन की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।
हम आपको बता दें कि मायावती ने मंगलवार शाम राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी से मिलकर उन्हें अपना त्यागपत्र सौंप दिया। उन्होंने त्यागपत्र देने के बाद कहा, मैंने त्यागपत्र सौंपने के लिए सभापति से मुलाकात की। यह अच्छी बात नहीं है कि मेरे लिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर सदन में बोलने नहीं दिया गया। जब मैं बोलने के लिए खड़ी हुई तो सरकार ने मेरी बात पूरी नहीं होने दी। उनके सदस्य खड़े हो गये और हस्तक्षेप करने लगे। यह अच्छी बात नहीं है।
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राज्यसभा सचिवालय के सूत्रों ने बताया कि मायावती का इस्तीफा स्वीकार करने का निर्णय सभापति करेंगे। प्रारूप के अनुसार त्यागपत्र संक्षिप्त होना चाहिए और इसमें कारणों का उल्लेख नहीं किया जाना चाहिए।
गौरतलब है कि जब राज्यसभा में मायावती ने बोलना शुरू किया तो उन्हें उपसभापति पी जे कुरियन ने नियमों के तहत बोलने को कहा। इससे अप्रसन्न बसपा प्रमुख ने कहा, मैं आज राज्यसभा से इस्तीफा दे दूंगी। मायावती का राज्यसभा में वर्तमान कार्यकाल अगले वर्ष अप्रैल में समाप्त होगा।
मीडिया में वितरित उनके इस्तीफे में मायावती ने इस बात पर अफसोस जताया कि उन्हें दलितों के मुद्दे पर उच्च सदन में बोलने नहीं दिया गया। उन्होंने कहा, जैसे ही मैंने अपनी बात सदन के समक्ष रखनी शुरू की, सत्ता पक्ष की ओर से उनके संसद सदस्यों के साथ मंत्रीगण भी खड़े हो गये तथा अवरोध उत्पन्न करने लगे।
मायावती की इस्तीफे की कॉपी