शहर में एक दिन छोड़कर पानी देने की तैयारी
ग्वालियर। मानसून की बेरुखी के चलते जुलाई का आधा महीना बीत जाने के बाद भी बारिश नहीं होने के कारण शहर की प्यास बुझाने वाले तिघरा जलाशय में पानी का स्तर नहीं बढ़ने के कारण शहर में जल संकट के आसार नजर आने लगे हैं। वर्तमान में तिघरा जलाशय में मात्र 60 दिन का पानी ही शेष रह गया है। इसके चलते अब नगर निगम प्रशासन शहर में एक दिन छोड़कर पानी की आपूर्ति देने की तैयारी कर रहा है। इस पर अमल करने के लिए प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। इस संबंध में नगर निगम ने जहां जल संसाधन विभाग से पानी की उपलब्धता पर लिखित में अभिमत मांगा है वहीं अधीनस्थ अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे शहरवासियों को एक दिन पानी छोड़कर देने का प्रस्ताव तैयार कर उच्च न्यायालय में पेश करें।
उल्लेखनीय है कि शहर में व्याप्त पेयजल संकट को लेकर उच्च न्यायालय ने नगर निगम की खिंचाई की थी। मानसून सीजन का एक माह बीत जाने के बाद भी शहर में अभी तक मात्र 230 मि.मी. ही बारिश हुई है, लेकिन तिघरा जलाशय के कैचमेंट एरिया में बारिश न के बराबर होने के कारण तिघरा जलाशय का जल स्तर नहीं बढ़ पा रहा है और जो थोड़ा बहुत पानी बढ़ा भी था, वह तपिश के कारण घटता जा रहा है। बारिश के मौसम में लगातार तिघरा जलाशय का जल स्तर गिर रहा है, जिसके चलते अब नगर निगम के अधिकारियों के माथे पर पसीना आने लगा है।
जल संसाधन विभाग से मांगा जवाब
मानसून की बेरुखी से ककैटो व पेहसारी बांध खाली हैं। जल संसाधन विभाग के अधिकारियों से कहा गया है कि यदि वह रोज पानी आपूर्ति नहीं कर सकें तो वह उच्च न्यायालय को वर्तमान स्थिति से अवगत कराएं, जिससे वहां से आदेश लेकर एक दिन छोड़कर पानी की आपूर्ति देने के प्रस्ताव को स्वीकृति मिल सके। इसके साथ ही तिघरा जलाशय में शेष 660 एमसीएफटी पानी को लगभग 100 दिन तक पिलाया जा सके। हालांकि इस मामले को लेकर नगर निगम के अधिकारियों ने गहन मंथन करना शुरू कर दिया है।
ये है स्थिति पेहसारी, ककैटो व अपर ककैटो की
4 ककैटो डेम की जल भराव क्षमता 342.74 मीटर है। अभी इसका जल स्तर 320.19 मीटर है।
4 अपर ककैटो डेम की जल भराव क्षमता 370 मीटर है, जबकि इसका वर्तमान में जल स्तर 363 मीटर है।
4पेहसारी डेम की जल भराव क्षमता 334.36 मीटर, जबकि अभी इसका जल स्तर 324.61 मीटर है।
पानी लाना होगा मुश्किल
अगर नगर निगम और जल संसाधन विभाग ककैटो व पेहसारी बांध के डेड स्टोरेज से तिघरा को भरने के लिए सितम्बर के बाद प्लान बनाता है तो पानी लाना मुश्किल होगा। अक्टूबर से रबी की फसल का सीजन शुरू हो जाएगा। पंप का पानी नहर में छोड़ा जाता है तो रास्ते में पानी चोरी सकता है क्योंकि नहर किसानों के बीच से होकर गुजरती है और यह रबी सीजन का पलेवा का समय होता है।
इनका कहना है
तिघरा जलाशय में अब सिर्फ 60 दिन का पानी शेष बचा है। इसके लिए मैंने जल संसाधन विभाग को स्थिति नोटशीट बनाकर भेजी है, जिसमें बताया गया है कि अगर एक दिन छोड़कर पानी दें तो यह पानी 60 दिन की बजाय 100 दिन के लिए हो सकता है। कैचमेंट एरिया में बारिश नहीं होने से तिघरा बांध खाली हो रहा है। इसके लिए जल संसाधन विभाग को नोटशीट भेजी है।
आरएलएस मौर्य
अधीक्षण यंत्री, पीएचई