पाक पर और कस सकता है शिकंजा अमेरिका

Update: 2017-07-26 00:00 GMT


वाशिंगटन।
अफगानिस्तान और पाकिस्तान में आतंकवादियों से लड़ने के लिए 'दमदार' रणनीति की कमी को लेकर अमेरिकी सांसदों ने ट्रंप प्रशासन की जमकर आलोचना की है। इस वजह से उम्मीद की जा रही है कि राष्ट्रपति पाकिस्तान के लिए अब कठोर रुख अपनाएंगे। यह जानकारी बुधवार को मीडिया रिपोर्ट से मिली।

समाचार पत्र न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, सीनेट की सशस्त्र सेवा समिति के अध्यक्ष सीनेटर जॉन मकेन ने कहा, "यह शर्मनाक है कि हमारे पास अफगानिस्तान पर अब भी कोई रणनीति नहीं है।" सीनेटर जॉन ट्रंप प्रशासन के अफगानिस्तान युद्ध नीति की समीक्षा करने से पहले इस माह पाकिस्तान के दौरे पर गए थे।

विदित हो कि अमेरिकी और नाटो सैनिक 16 साल से अधिक समय से अफगानिस्तान में आतंकवादियों के खिलाफ युद्ध कर रहे हैं, लेकिन आतंकियों और उनके संगठनों पर शिकंजा कसने में उन्हें निर्णायक सफलता हासिल नहीं हुई है।

रिपोर्ट के अुनसार पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों के अफगानिस्तान पर हो रहे हमलों के मद्देनजर ट्रंप प्रशासन इस्लामाबाद पर अपनी नीति और कठोर करने पर विचार कर सकता है। सीनेट की विदेश मामलों की समिति के रैंकिंग सदस्य सीनेटर बेन कार्डिन ने कहा कि वह चिंतित हैं कि सत्ता में आने के छह माह बाद भी अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पास अफगानिस्तान और पाकिस्तान में स्थिति का सामना करने के लिए कोई 'स्पष्ट एवं दमदार रणनीति नहीं है।

अफगानिस्तान से हटने की मांग करते हुए 21 जुलाई को ट्रंप को लिखे एक पत्र में कांग्रेस के रिपब्लिकन सदस्य वाल्टर बी जोन्स ने कहा, "अफगानिस्तान साम्राज्यों का कब्रिस्तान है। हम वहां कोई ऐसा समाधि-स्तंभ नहीं चाहते जिस पर 'संयुक्त राज्य अमेरिका' लिखा हो।"

हालांकि ह्वाइट हाउस और पेंटागन दोनों ने कहा है कि अफगानिस्तान की रणनीति पर अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है। इस बीच संयुक्त चीफ्स ऑफ स्टॉफ के अध्यक्ष जो डनफोर्ड ने कहा कि अफगानिस्तान से निकलने की कोई काल्पनिक समय सीमा तय नहीं है।

 

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