उत्तरप्रदेश में जब से सरकार बदली है, और राज्य के मुख्यमंत्री के रुप में योगी आदित्यनाथ ने सरकार की कमान संभाली है, तब से ही वातावरण में बहुत परिवर्तन दिखाई देने लगा है। भविष्य में और सुखद स्थिति में यह परिणाम दिखाई देंगे, ऐसी आशा का संचार प्रदेश में हुआ है। इसके लिए प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तरप्रदेश में औद्योगिक निवेश के लिए उद्योगपतियों को आमंत्रित किया है। बुधवार से प्रदेश की राजधानी लखनऊ में प्रारंभ हो रही निवेशकों की बैठक के कारण यह विश्वास भी होने लगा है कि अब उद्योगपति उत्तरप्रदेश में विकास करने के लिए दौड़ लगाने को आतुर दिखाई दे रहे हैं। हम उत्तरप्रदेश के बारे में अध्ययन करें तो यह स्वाभाविक रुप से दिखाई देता है कि प्रदेश में पूर्व की सपा और बसपा सरकारों के समय प्रदेश के कई उद्योग धीरे-धीरे बंद होते चले गए, लेकिन सरकारों ने इनके बंद होने के बारे में गंभीरता से ध्यान नहीं दिया। इसके चलते प्रदेश में उद्योग लगाने को कोई भी विचार नहीं कर रहा था, लेकिन वर्तमान भाजपा की सरकार और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली को देखते हुए अब उत्तरप्रदेश की ओर औद्योगिक निवेश करने के लिए निवेशक आगे आ रहे हैं। प्रदेश के बदले हुए इन हालातों को देखकर यह सहज ही कहा जा सकता है कि अब प्रदेश प्रगति के रास्ते पर कदम बढ़ाने के लिए पूरी तरह से तैयार है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की योजना है कि उत्तर प्रदेश को बीमारू अभिशाप से मुक्त कराया जाय। इन्वेस्टर्स समिट इस लक्ष्य को हासिल करने में सहायक होगी। यही कारण है कि योगी ने इसके सफल आयोजन को बहुत तरजीह दी है। उनकी सरकार के बजट में औद्योगिक विकास का मार्ग प्रशस्त करना शामिल रहा है। बजट के माध्यम से निवेशकों में विश्वास जगाने का प्रयास किया गया है। अनुमान है कि उत्तर प्रदेश को करीब दो लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिलेंगे। सरकार द्वारा प्रस्तुत बजट में भी निवेश के लिए वातावरण बनाने का प्रयास किया गया है।
निवेश को बढ़ावा देने के लिए विशेष रूप से बजट में व्यवस्था की गई है। नयी औद्योगिक नीति के लिए चौदह सौ करोड़ रुपये की व्यवस्था की गयी है। ढांचागत सुविधाओं को बढ़ाने का भी कार्य किया जाएगा। योगी सरकार की नई नीति में केवल उद्योगों की स्थापना ही इन्वेस्टर्स समिट का एक मात्र उद्देश्य नहीं है। वरन इसका विस्तार पर्यटन, कृषि उत्पाद, सौर और अन्य वैकल्पिक ऊर्जा आदि क्षेत्रों तक रहेगा। इस नीति के क्रियान्वयन हेतु व्यवस्था की गयी है। कुछ समय पहले तक उत्तर प्रदेश में पर्यटन के मामले में खानापूर्ति ही ज्यादा होती थी। योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बनने के बाद ताजमहल के महत्व को बरकरार रखते हुए, अन्य पर्यटन केंद्रों को विश्व स्तरीय बनाने का संकल्प लिया है। सरकार ने इस वर्ष की पर्यटन नीति में भी इसका समावेश किया है। योगी सरकार ने पर्यटन को उद्योग का दर्जा देने का ऐलान भी किया है। इन्वेस्टर्स समिट में इसके प्रति भी आकर्षण रहेगा। फिलहाल यह मानना होगा कि योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश की बीमारू राज्य की छवि को गंभीरता से ले रहे हैं। वह जमीनी स्तर पर बदलाव चाहते हैं। बदलाव भी ऐसा, जिसका अनुभव आम नागरिकों को हो सके। उत्तर प्रदेश के लोगों को जीवकोपार्जन हेतु बाहर न जाना पड़े। योगी का मंसूबा है कि अगले वर्ष ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया जाएगा। इसकी भी तैयारियां इसी क्रम में चल रही है। अब कुछ जिलों तक ही उद्योग सीमित नहीं रहेंगे। जिस जिले में जमीन उपलब्ध होगी, वहीं उद्योग लगाये जायेंगे। इन्वेस्टर्स समिट को इस बार उसी व्यापक नजरिये से देखा गया है। उसी के अनुरूप सरकार ने तैयारी की है।