दिग्गज कांग्रेसियों ने मोथरा किया सिंधिया सरकार का हथियार

Update: 2018-02-22 00:00 GMT

-अभिषेक शर्मा


अबकी बार सिंधिया सरकार, मुंगावली जिताओ, सिंधिया को मुख्यमंत्री बनाओ, शिवराज नहीं सिंधिया चाहिए, प्रदेश को मुख्यमंत्री महाराज चाहिए, आपका एक मत, सिंधिया को मुख्यमंत्री बनाएगा। यह वह नारे और अपील हैं, जो बहुत बड़े हो चुके मुंगावली विधानसभा उपचुनाव में सिंधियाई कांग्रेसियों द्वारा गांव-गांव, गली-गली, चौपाल-चौपाल, चौराहे-चौराहे, पगडंडी-पगडंडी लगाए और मतदाताओं से की जा रही हैं। मुंगावली में कांग्रेस का अब तक का पूरा का पूरा चुनाव प्रचार ही इस मुद्दे पर आधारित है कि अगर मुंगावली की जनता कांग्रेस को विजयश्री दिलाती है तो सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में स्थापित होंगे। चुनाव प्रचार के दौरान सिंधियाई कांग्रेसी एक पूरी रणनीति के तहत मतदाताओं के बीच पहुंचे और उन्हें यह भरोसा दिलाने की कोशिश की गई कि उनका एक मत महाराज (ज्योतिरादित्य सिंधिया) को मुख्यमंत्री बनाएगा। इसी रणनीति के तहत चुनाव को सिंधियाई कांग्रेसी, भाजपा के  विकास बनाम भ्रष्टाचार से हटाकर शिवराज-बनाम सिंधिया का रूप देने भी जुटे। अपनी इस कोशिश में सिंधियाई कांग्रेस कामयाब भी हो गए और समूचे ग्वालियर-चंबल संभाग सहित पूर्ववर्ती ग्वालियर राजघराने के प्रति आस्थावान रहा सिंधिया के संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली मुंगावली विधानसभा का मतदाता सिंधियाई कांग्रेसियों के इस भ्रम जाल में आकर कांग्रेस के पक्ष में लामबंद भी हो गया, किन्तु सिंधियाई कांग्रेसियों के इस प्रचारित हथियार को खुद कांग्रेस संगठन के जिम्मेदार पदाधिकारियों और जनप्रतिनिधियों ने ही मोथरा करके रख दिया है। इनमें से अधिकांश वे कांग्रेसी हैं, जिनकी आंखों में सिंधिया की तरह ही प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने का सपना लंबे समय से पल रहा है, जिनकी खुद की आँखों में फिलहाल यह सपना तैर नहीं पाया है तो वह अपनों के लिए यह ख्वाब अपनी पलकों में संजोए बैठे हैं। ये कांग्रेसी हैं- प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव, प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया, नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के पुत्र और राघौगढ़ विधायक जयवर्धन सिंह आदि। इन सभी नेताओं ने हाल ही मेंं अपने सुनियोजित बयान के जरिए न सिर्फ मुंगावली में सिंधियाई कांग्रेस के प्रचारित हथियार को मोथरा किया, बल्कि मुंगावली जीतकर कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद की दावेदारी मजबूत करने की श्री सिंधिया की उम्मीदों पर भी पानी फेर दिया।

पढ़िए किसने क्या कहा-

प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया : कांग्रेस में कभी भी मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर चुनाव लड़ने की परंपरा नहीं रही।

नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह : मुख्यमंत्री पद के लिए चेहरा घोषित कर चुनाव लड़ना कांग्रेस की परंपरा के खिलाफ है, मुंगावली, शिवपुरी का चुनाव शिवराज बनाम सिंधिया नहीं, बल्कि भाजपा-बनाम कांग्रेस है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव:  कांग्रेस में चुनाव के लिए चेहरा घोषित करने की परंपरा नहीं है, पंजाब इसका अपवाद है।

दिग्गी पुत्र एवं राघौगढ़ विधायक जयवर्धन सिंह: प्रदेश में कांग्रेस की तरह से मुख्यमंत्री उम्मीदवार कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी तय करेंगे।

बता दें कि मुंगावली चुनाव से पहले भी कांग्रेस के दिग्गज नेता और मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार दिग्विजय सिंह, कमलनाथ, सुरेश पचौरी, कांतिलाल भूरिया आदि, आदि इसी तरह की बयानबाजी कर अपनी महत्वाकांक्षा जाहिर करने के साथ श्री सिंधिया की राह में रोड़े अटकाते चले आ रहे हैं। बहरहाल एक तरफ  सिंधियाई कांग्रेसियों के प्रचार मुंगावली जिताओ, सिंधिया को मुख्यमंत्री बनाओ और दूसरी तरह इन जिम्मेदार दिग्गज कांग्रेसियों के बयान ने जहां पूर्ववर्ती ग्वालियर राजघराने निष्ठ एवं सिंधिया के चेहरे से प्रभावित मतदाताओं को असमंजस में डाल दिया है तो खुद सिंधियाई कांग्रेसियों को भी सकते में लाकर रख दिया है। इन सिंधियाई कांग्रेसियों को समझ नहीं आ रहा है कि वह करें तो करें क्या? और कहें तो कहें क्या? और अब क्या मुंह लेकर वह मतदाताओं के बीच पहुंचें? जब इस प्रतिनिधि ने मुंगावली उपचुनाव की जिम्मेदारी संभाले सिंधियाई कांग्रेसियों से इस संबंध में चर्चा करनी चाही तो अधिकांश कांग्रेसी ना नुकर करते हुए जवाब देने से बचने के साथ दिग्गज कांग्रेसियों के इस पचड़े में पड़ने से बचते रहे। जब उन्हें ज्यादा कुरेदा गया तो उनकी तरफ से बेहद नपा तुला बयान आया। उन्होंने कहा कि यह जनता और कार्यकर्ताओं की मांग है, श्री सिंधिया खुद मुख्यमंत्री बनने की बात नहीं कह रहे हैं। हालांकि सभी कांग्रेसियों ने इस एक तथ्य पर सहमति जताई कि कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करने की परंपरा नहीं है। इस लिहाज से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव, नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया, जयवर्धन सिंह ने कुछ गलत नहीं कहा है।

इस मुद्दे पर मुंगावली में कांग्रेस के चुनाव प्रभारी गोविंद राजपूत कहते हैं कि कौन मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनेगा और कौन नहीं? यह तय करने का अधिकार कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व का है, प्रदेश के नेताओं का नहीं। जनता और कार्यकर्ताओं की मांग है कि श्री सिंधिया को मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवारी मिलनी चाहिए। मुंगावली नपाध्यक्ष गणेश सोनी के मुताबिक सब चाहते हैं कि श्री सिंधिया को कांग्रेस की तरफ से मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवारी मिले, यह तो बयानबाजी है, चलती रहती है। जनता चाहती है कि श्री सिंधिया मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार बनें। उपचुनाव में सक्रिय मुरैना कांग्रेस के जिलाध्यक्ष राकेश मावई कहते हैं कि श्री सिंधिया को कांग्रेस की तरफ से मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने की मांग प्रदेश की जनता और कार्यकर्ताओं की तरफ से आ रही है और मुंगावली से यह मांग इसलिए तेज हुई है कि इस चुनाव से विधानसभा 2018 का भविष्य तय होना है। अशोकनगर कांग्रेस जिलाध्यक्ष गजराम सिंह यादव ने कहा कि उन्होंने इस तरह का कोई बयान न तो पढ़ा और न देखा, इसलिए इस संबंध में वह कोई प्रतिक्रिया नहीं दे सकते। कई कांग्रेसियों ने तो सवाल सुनकर ही फोन रख दिया तो कुछ कहते रहे कि रहने भी दो। इधर, उपचुनाव में भाजपा की ओर से तगड़ी चुनौती का सामना कर रहे सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनों की भी इस चौतरफा घेरेबंदी से बेचैन हो उठे हैं और बार-बार एक ही बात पर सबसे ज्यादा जोर, पहले से भी ज्यादा दे रहे हैं कि यह चुनाव शिवराज और सिंधिया के बीच है।

हालांकि बीच-बीच में श्री सिंधिया अपनी लाइन बदलकर भाजपा को सबक सिखाएं और कांग्रेस को विजयी बनाएं जैसी अपील भी कर रहे हैं। इतना ही नहीं, यह सफाई भी देते हैं कि मुख्यमंत्री कोई भी बने, विकास की जिम्मेदारी वह लेते हैं। दूसरी ओर पूर्ववर्ती ग्वालियर राजघराने के प्रति आस्थावान रहने के कारण सिंधियाई कांग्रेसियों के भ्रम जाल में फंस चुके मुंगावली के मतदाता भी उलझन में पड़ गए हैं कि अब वह अपना मत किसे दें? ऐसे में उनका दिमाग इस बात पर स्थिर हो रहा है कि जब कांग्रेस में उनके महाराज (ज्योतिरादित्य सिंधिया) की दाल गलनी ही नहीं है तो अपना मत कांग्रेस में देकर खराब करने की बजाए, कमल के फूल का बटन क्यों न दबाया जाए? उल्लेखनीय है कि कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवारी को लेकर सिर फुटव्वल नई बात नहीं है। वर्ष 2003 के चुनाव में करारी शिकस्त पाने के बाद कांग्रेसियों में यह सिर फुटव्वल 2008 के चुनाव से ही शुरू हो गई थी, जो 2003 तक और तेज हो गई। इस बीच सूत न कपास, जुलाहों में लट्ठम लट्ठा की कहावत कांग्रेस में चरितार्थ होती देखने को मिली और कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के वह दावेदार भी सामने आए, जिनके बारे में कोई सोचता भी नहीं था। राजनीति के जानकार यह मानते हैं कि कांग्रेस अगर 15 साल से सत्ता के लिए एड़ियां घिस रही है और कांग्रेसी चप्पल चटका रहे हैं तो इसका कारण भाजपा सरकार के उल्लेखनीय विकास कार्य, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की मतदाताओं के बीच भैया, मामा और विकास पुरुष के साथ यह सिर फुटव्वल भी है। अब जबकि विधानसभा चुनाव 2018  सिर पर आ चुका है और इसमें महज छह माह का समय शेष रह गया है और इससे पहले मुंगावली, शिवपुरी के उपचुनाव को सत्ता के सेमीफायनल के रूप में देखा जा रहा है, तब भी यह सिर फुटव्वल बदस्तूर जारी है, जबकि अभी  बहुत ज्यादा ऐसा नहीं लग रहा है कि कांग्रेस सत्ता में वापसी कर रही है। इतना ही नहीं, भाजपा के सुनियोजित प्रचार और मेहनत के साथ कांग्रेसियों की इसी सिर फुटव्वल के कारण एक समय कांग्रेस के पक्ष में एकतरफा माना जा रहा मुंगावली उपचुनाव, पहले कांटे के मुकाबले में तब्दील हुआ और अब भाजपा यहां निर्णायक घड़ी में उल्लेखनीय बढ़त बना चुकी है।
 

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