ग्वालियर,न.सं.। आज हमारे अंतरमन में ही तारकासुर विराजमान हैं जिससे हमको मुक्ति लेना होगी। हम अंधविश्वास में भ्रमित हो रहे हैं और कुछ भगवा वस्त्र धारण किए जो धर्म के प्रचार के नाम पर लोगों को भ्रमित कर रहे हैं उनसे भी हमें सचेत रहना होगा। धर्म हमारे अंतरमन में हैं उसी का हम अध्ययन करें। यह विचार सुश्री अदिति भारती ने गुरुवार को हजीरा के मनोरंजनालय मैदान में चल रही श्रीमद देवी भागवत कथा का वाचन करते हुए व्यक्त किए।
दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा श्रीमद् देवी भागवत कथा में सुश्री अदिति भारती ने जगत जननी मां की दिव्य लीलाओं का वर्णन किया , जिसमें तारकासुर और शिव विवाह लीला का प्रसंग बताया गया। इसस पूर्व सुश्री अर्चना भारती द्वारा भजन आए तेरे भवन दे दे अपनी शरण, तन मन में जगती भक्ति तेरी.... के भजन के साथ कथा प्रारंभ की गई। जिसमें ऋषि रविंद्र ने मां की दिव्यताओं के बारे में बताते हुए कहा है कि मां की हम पर असीम कृपा है और यह कथा जिन्हें सुनने का अवसर मिलता है वह स्वर्णिम अवसर होता है। कथा को आगे बढ़ाते हुए सुश्री भारती ने तारकासुर की कथा के प्रसंग में बताया कि तारकासुर ने ब्रह्मा जी से अमरता के वरदान में शिव पुत्र के द्वारा अपना वध होने का वर मांगा। उसे भ्रम था कि भोलेनाथ साधु हैं इन्हें गृहस्थी से क्या लेना। वरदान के बाद तारकासुर ने ऋषि मुनियों और देवी देवंतों को आतंकित करते हुए भगवान की जगह अपनी पूजा करवाने लगा, लेकिन जब तारकासुर का आतंक बढ़ गया तब शिव पुत्र कार्तिकेय ने तारकासुर का वध कर एक बार पुन: आतंक से मुक्ति दिलाईं।
कार्यक्रम का संचालन साध्वी मणिमाला भारती ने किया। इस अवसर पर दीप प्रज्जवलन एवं महाआरती में संत कृपाल सिंह, संत ब्रह्मदत्त गिरि, संत दीपांनद , संत जानकीदास, धीर सिंह तोमर, राजेश रचना सोलंकी, दद्दू, राजेंद्र बांदिल, पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता सहित हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
हमारा समाज धर्म की परिभाषा भूल गया है: अदिति भारती
धर्म जोड़ने का काम करता है न कि तोड़ने का। आज हमारा समाज धर्म की परिभाषा भूल गया है। जिसके कारण बहुत कुछ गलत हो रहा है। यह बात उपनगर ग्वालियर के हजीरा स्थित मनोरंजनालय दिव्य ज्योति
जागृति संस्थान द्वारा आयोजित श्रीमद् देवी भागवत कथा का वाचन करने आई सुश्री अदिति भारती ने पत्रकारो से चर्चा के दौरान कही। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि धर्म विश्व का संविधान है। वर्तमान शिक्षा पर पूछे गए प्रश्न पर उन्होंने कहा कि आज की शिक्षा भीतर की शिक्षा को बाहर नहीं निकाल पा रही है। जो जीवन को परिवर्तित करती है और सही ज्ञान देती है, वही सही शिक्षा होती है। सुश्री भारती ने कहा कि हर घर में शक्ति की आराधना होनी चाहिए। जागरण का अर्थ स्वयं के भीतर को जागृत करना है। आज भीतर की शक्ति सो गई है।