अजय सिंह / कश्ती ही वहां डूबी जहां पानी कम था...
'जेबी' गुट तक सिमट कर रह गए राहुल;
राष्ट्रीय राजनीति के पटल पर विंध्य को स्थापित करने वाले वरिष्ठ कांग्रेस नेता, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री तथा पी.वी नरसिंहाराव की सरकार में केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री रहे स्व.कुंवर अर्जुन सिंह के पुत्र और चुरहट से 6 बार विधायक रहे चुके अजय सिंह उर्फ राहुल भैया के राजनीतिक सफर पर अब ब्रेक लगता नजर आ रहा है। अपने ही गृह क्षेत्र चुरहट से वर्ष 2018 में विधानसभा चुनाव हारने के बाद राहुल भैया की मुट्ठी से राजनीति की सड़क रेत की मानिंद फिसल गई।
समय ने करवट ली तो कभी विंध्य ही नहीं समूचे मध्यप्रदेश में कांग्रेस के क्षत्रप माने जाने वाले अजय सिंह राहुल का सियासी सफर अब उस ऊबड़ खाबड़ सड़क की तरह हो चला है जिसमें सियासी रसूख हिचकोले खाता दिख रहा है। राजनीति के जानकारों की मानें तो आगामी कुछ महीनों में होने वाले विधानसभा चुनाव में अपनी शख्सियत को साबित करना अजय सिंह राहुल के लिए आखिरी मौका होगा। हालांकि अभी यह अंधेरे में ही है कि कांग्रेस उन्हें चुरहट से टिकट देगी या फिर सतना विधानसभा की चुनावी जंग में उतारेगी? क्षेत्र जो भी हो राहुल भैया के लिए अपने दम-खम को साबित करने के लिए यह अंतिम अवसर जीत में तब्दील हो, बेहद जरूरी है वर्ना सियासी गलियारों में उनका नाम ही गुम हो जायेगा।
1985 में रखा था राजनीति में कदम
वह चुरहट से पहली बार विधायक बने। 1990,1998, 2003, 2008, 2013 में भी विधायक चुने गए। 1993 में सुंदरलाल पटवा के खिलाफ भोजपुर से चुनाव लड़े थे, पर हार गए। विंध्य क्षेत्र में दाऊ साहब के नाम से विख्यात कुंवर अर्जुन सिंह के छोटे पुत्र अजय सिंह राहुल कुल 6 बार विधायक, दिग्गी सरकार में एक बार मंत्री और प्रदेश में कांग्रेस की सत्ता जाने के बाद दो बार नेता प्रतिपक्ष भी रहे हैं। बीते कुछ सालों पहले कांग्रेस के क्षत्रप कहे जाने वाले अजय सिंह उर्फ राहुल भैया के पास वर्तमान समय में पार्टी की कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं है। 2018 के चुनावों में राहुल भैया अपने गृह क्षेत्र चुरहट से ही चुनाव हार गये। इस पराजय की उम्मीद किसी को नहीं थी। एक तरफ तो पार्टी सत्ता पर काबिज होने जा रही थी तो दूसरी तरफ पार्टी के रसूखदार नेता अजय सिंह राहुल अपने ही गृह चुनावी क्षेत्र में धूल फांक गये।
कुल मिलाकर राहुल भैया की कश्ती वहां डूब गई जहां पानी कम था..... !
उम्मीदें जगीं तो किस्मत ने दिया धोखा
वर्ष 2018 में हुए मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की सत्ता में फिर वापसी हुई। पार्टी की सत्ता में वापसी की संभावनाओं के बाद ही कयास लगने लगे कि अजय सिंह राहुल कांग्रेस में अपने राजनीतिक रसूख के चलते मुख्यमंत्री पद के दावेदार हो सकते हैं। परंतु चुरहट से उनकी हार ने इस संभावना पर ग्रहण लगा दिया। पार्टी आलाकमान ने वरिष्ठ नेता कमलनाथ को मुख्यमंत्री बना दिया।
राहुल भैया पर भारी पड़ गया बदलाव का नारा
चुरहट विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस को वक्त है बदलाव का नारा भारी पड़ गया। कांग्रेस का गढ़ कहे जाने वाले चुरहट विधानसभा क्षेत्र में भाजपा ने सेंध लगा दी। भाजपा प्रत्याशी शरदेंदु तिवारी ने 6402 मतों से राहुल भैया को पराजित कर दिया।
पोते ने दोहराया दादा का इतिहास
चुरहट विधानसभा क्षेत्र से स्वतंत्रता संग्राम सेनानी चंद्रप्रताप तिवारी प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से 1967 में अजय सिंह के पिता अर्जुन सिंह को चुरहट से हराया था। 51 वर्ष बाद वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में चंद्रप्रताप तिवारी के सगे नाती शरदेंदु तिवारी ने स्व. अर्जुन सिंह के बेटे अजय सिंह राहुल को हराकर इतिहास दोहरा दिया।
और फिर सत्ता ही फिसल गई...
जब मार्च 2020 में कांग्रेस पार्टी के ज्योतिरादित्य सिंधिया गुट के 6 मंत्रियों सहित 22 विधायकोंं ने कमल नाथ सरकार से अपना समर्थन वापस लेते हुए विधायक पद से इस्तीफा देते हुए भाजपा मे शामिल हो गए। बाद में 3 और विधायक भाजपा मे शामिल हो गए तथा 3 सीटें विधायकों के निधन से खाली हो गई। 10 नवंबर को आए नतीजों में 28 में से भाजपा को 19 तथा कांग्रेस को 9 सीटों पर जीत मिली। इस प्रकार आठ महीने पुरानी शिवराज सरकार को सदन में स्पष्ट बहुमत प्राप्त हो गया।
2019 के आम चुनावों में माया मिली न राम.. !
2018 के विधानसभा चुनावों में अपने गृहक्षेत्र चुरहट से चुनाव हारने के बाद राष्ट्रीय राजनीति के दिग्गज और चाणक्य माने जाने वाले स्व.कुंवर अर्जुन सिंह के छोटे पुत्र अजय सिंह राहुल का सियासी सफर और राजनीतिक रसूख देखते हुए कांग्रेस ने उन्हें वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में सीधी लोकसभा क्षेत्र से फिर चुनावी जंग में उतारा। इस चुनाव में पूरा दम-खम लगाने के बाद भाजपा प्रत्याशी रीति पाठक से राहुल भैया चुनाव हार गये। 2019 के आम चुनावों में मोदी लहर ने कांग्रेस को सफाया ही कर दिया, और अजय सिंह राहुल के हाथ फिर खाली हो गये।
'जेबी' गुट तक सिमट कर रह गए राहुल
विंध्य क्षेत्र के सियासी जानकारों की मानें तो अजय सिंह उर्फ राहुल भैया ने अपने पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए कांग्रेस के बड़े दिग्गजों और जमीनी कार्यकर्ताओं के बीच मजबूत पकड़ व जनाधार बनाया परंतु पार्टी को दीमक की तरह चाट रही गुटबाजी ने उन्हें भी अपना शिकार बनाया और राहुल भैया का जनाधार सिमटते सिमटते वर्तमान समय में चंद लोगों तक ही रह गया। उनके समर्थकों की संख्या लगातार कम होती जा रही है। अजय सिंह राहुल ने अपने पिता स्व.अर्जुन सिंह की तरह सतना की भूमि को अपनी कर्मभूमि बनाने की भरपूर कोशिश की, परंतु यहां जेबी कार्यकर्ताओं की तिकड़मी चालों ने जहां उनके पिता को सतना लोकसभा सीट से पराजय का स्वाद चखाया वहीं अजय सिंह राहुल के बनाये जनाधार को एक दायरे में समेट देने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
हवाओं में नया जुमला
विंध्य में कांग्रेसी कार्यकर्ताओं की सक्रियता का अंदाजा पिछले कई महीनों से हवाओं में तैर रहे इस जुमले से लगाया जाता है कि जब भी राहुल भैया भोपाल से विंध्य क्षेत्र में आते हैं उनके आने की आहट से ही जेबी कार्यकर्ता कांग्रेस आई और जब अजय सिंह राहुल विंंध्य से प्रदेश की राजधानी भोपाल के लिए प्रस्थान करते हैं तो कांग्रेस गई के वाक्य फुसफुसाते नजर आते हैं।