1971 के बाद अब तक शत्रु भारत की ओर नजर उठा कर नहीं देख सका - शेखावत

Update: 2020-12-14 15:14 GMT

जोधपुर।  केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि सीमा सुरक्षा बल के वीरों ने 1971 के युद्ध में अपने शौर्य का परिचय दिया था, तब से अब तक शत्रु देश के मन में इतना भय है कि 50 वर्ष बीत जाने के बाद भी कोई भी प्रत्यक्ष रूप से भारत की तरफ आंख तक नहीं उठा सका। आपका साहस व शौर्य अत्यन्त महत्वपूर्ण है क्योंकि सीमा सुरक्षा बल कठिन परिस्थितियों में देश की सेवा कर रहा है जिससें कि पूरा देश निश्चिंत है। वे बीएसएफ की ओर से 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध के योद्धाओं के सम्मान में आयोजित बैटल रिले रेस के समारोह में बोल रहे थे।

शेखावत नें कहा कि मैं सीमा सुरक्षा बल के राजस्थान सीमा के बारे में परिचित हूँ। मैंने स्वंय देखा है कि सीमा सुरक्षा बल किन कठिनाइयों में देश की सुरक्षा कर रहा है। शेखावत नें 1971 के सीमा सुरक्षा बल के युद्धवीरों को स्मृति चिह्न देकर एवं शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया।

पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर किया -

उल्लेखनीय है कि 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में पूर्वी एवं पश्चिमी अन्तरराष्ट्रीय सीमा पर बीएसएफ ने सेना के संग मिलकर पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था। भारत की इस विजय को प्रति वर्ष 16 दिसम्बर को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस युद्ध में भारत की जीत और बंग्लादेश के निर्माण में बीएसएफ की बहुत बड़ी भूमिका रही थी। बीएसएफ अपने उन्हीं युद्ध वीरों के सम्मान में इस वर्ष लगातार कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है जिसमें कि 11 दिसम्बर 2020 को क्षेत्रीय मुख्यालय सीमा सुरक्षा बल बीकानेर परिसर में 1971 भारत-पाकिस्तान युद्ध के 19 युद्ध वीरों को सम्मानित किया गया था।

180 किलोमीटर बैटन रिले दौड़ का शुभारम्भ -

इसी कड़ी में बीएसएफ द्वारा मध्य रात्रि को रात्रि 12.30 बजे भारत-पाक अन्तरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित कावेरी सीमा चौकी (खाजूवाला) से उपमहानिरीक्षक पुष्पेन्द्र सिंह राठौड़ ने झण्डा दिखाकर 180 किलोमीटर बैटन रिले दौड़ का शुभारम्भ किया। इस दौरान सीमा सुरक्षा बल के क्षेत्रीय मुख्यालय बीकानेर, 104, 127 व 114वीं वाहिनी के 900 से अधिक अधिकारी एवं जवानों ने मिलकर इस दौड़ को लगभग 11 घण्टों मे अनूपगढ़ पहुंचकर समाप्त किया। बैटन रिले दौड़ के दौरान सीमा सुरक्षा बल के बहादुर जवान रेतीले धौरे व उबड़-खाबड़ रास्तों से भारत-पाकिस्तान अन्तरराष्ट्रीय सीमा के साथ-साथ दौड़े।


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