राजनीति के सियासी खेल में दिग्गी राजा के चक्रव्यूह को नहीं भेद पा रहे सिंधिया महाराज
टिकिट मामले में अपने घर को भी सुरक्षित नहीं बचा पाए सिंधिया
भिण्ड/अनिल शर्मा। राजनीति में अस्तित्व को लेकर कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में सियासी जंग जारी हैए वे शतरंज के खेल की तरह एक दूसरे को मात देने मे चूकते नहीं हैंए ऐसा ही कुछ राजनीतिक परिदृश्य मप्र की राजनीति का हैए यहां राजा और महाराजा के बीच अस्तित्व की सियासी जंग छिड़ी हुई है। यह स्थिति आज लोकतंत्र की नहीं बल्कि राजतंत्र के जमाने से हैए वैसे तो रियासत के जमाने से सिंधिया घराना ग्वालियर से सटे इलाके को अपनी जागीर मानता आ रहा हैए लेकिन तब भी उनकी हुकूमत को अधीनस्थ राजाओं ने पूरी तरह दिल से नहीं स्वीकारा और आज लोकतंत्र में भी उनको मात देने में पीछे नहीं है।
लोकतंत्र का सबसे बड़ा पर्व कहे जाने वाले लोकसभा का चुनाव 23 मई को हैए मप्र की राजनीति में कांग्रेस नेताओं की भूमिका क्या होगीए यह फैसला कांग्रेस के चुने गए सांसद करेंगेए मप्र को भी राजनीति के ठेकेदारों ने प्रभावी नेताओं के इलाके के नाम से विभाजित कर रखा हैए जिसमें ग्वालियर.चंबल को सिंधिया का प्रभावी क्षेत्र कहा जाता हैए यहां के स्थानीय कांग्रेस नेताओं को राजनीति में आगे बढऩे के लिए महाराज के महल में ढोक लगाना जरूरी समझा जाता है। यह अलग बात है कि ढोक लगाने वाले कम ही नेताओं को सफलता हासिल हुई हैए ग्वालियर.चंबल की चार लोकसभा सीट भिण्ड.दतियाए मुरैना.श्योपुरए ग्वालियर एवं शिवपुरी.गुना संसदीय क्षेत्र के लिए कांग्रेस के प्रत्याशी सिंधिया की मंशानुसार तय होने चाहिएए एसा राजनीति के गणितज्ञ मानते हैं।
ग्वालियर चंबल की चारों लोकसभा सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों की घोषणा काफी विलंब से होने कारण ही राजा और महाराजा के बीच रस्साकस्सी रहीए राजनीति के सियासी खेल में राजा द्वारा बनाए गए चक्रव्यूह को महाराज तोड़ नहीं पाएए यूं कहें कि लोकसभा चुनाव के पहले पायदान टिकिट वितरण में ही राजा ने महाराजा को बुरी तरह मात देने में सफलता हासिल की हैए यह राजनीति के विशेषज्ञ नहीं बल्कि आम व्यक्ति भी मान रहा हैए सबसे पहले भिण्ड.दतिया की बात करें तो यह टिकिट भी दिग्गी राजा ने बड़ी चतुराई से महाराज से छीन लिया हैए कहने को देवाशीष जरारिया कांग्रेस आलाकमान राहुल गांधी की पसंद हैंए लेकिन हकीकत में वह दिग्गी समर्थक हैंए ठीक इसी तरह सिंधिया की रियासत कहे जाने वाले ग्वालियर में भी दिग्गी राजा अपने चहेते अशोक सिंह को टिकिट दिलाने में कामयाब रहे हैं। इस तरह उन्होंने सिंधिया को घर में घुसकर मात दी हैए रहा सवाल मुरैना का तो यहां से सिंधिया समर्थक का टिकिट जरूर हुआ हैए लेकिन सफलता की आस बहुत दूर नजर आ रही हैए सिंधिया को उनकी लोकसभा सीट गुना.शिवपुरी तक सिमिटाने में दिग्गी राजा सफल रहे हैं।
यह भिण्ड का भाग्य है या दुर्भाग्य.
विधानसभा के चारों नेता हुए सत्ता के साथए विपक्ष हुआ शून्य
अनिल शर्मा
भिण्डए ब्यूरो। यह भिण्ड विधानसभा के मतदाताओं का भाग्य है या दुर्भाग्यए यहां विधानसभा चुनाव के परिणाम में मतदाताओं ने जिन पर भरोसा जतायाए वे सब अब सत्ता के साथ हैं। यूं कहें कि यहां की जनता की आवाज को बुलंद करने वाला विपक्ष शून्य की स्थिति में आ गया है। इस विधानसभा सीट से भाजपाए कांग्रेसए बसपा व सपा चारों प्रमुख दलों के प्रत्याशी वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में मैदान में थेए लेकिन चारों के चारों अब सत्ता के साथ हैं। लोकतंत्र में जितनी अहमियत सत्ता की हैए उससे कही ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका विपक्ष की होती है। जब सरकार आमजन की नहीं सुने तो उनकी आवाज बुलंद करने का काम विपक्ष का होता है। इसलिए विपक्ष में भी मजबूत नेतृत्व की जरूरत होती है। लेकिन जनप्रतिनिधियों में सत्ता की चाह इतनी बढ़ गई है कि उन्हें विपक्ष रास ही नहीं आता।
भिण्ड विधानसभा चुनाव के 2018 के चुनाव परिणामों पर नजर डालें तो यहां से भाजपा ने चौण् राकेश सिंह व कांग्रेस ने डॉण् रमेश दुबेए बसपा ने संजीव सिंह कुशवाहए सपा के नरेन्द्र सिंह कुशवाह को चुनाव मैदान में उतारा थाए चारों उम्मीदवारी को सम्मानजनक बोट भी मिलेए चुनाव में जीतना तो एक को ही था सो बसपा के संजीव सिंह कुशवाह भारी मतों से चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंचे हैं। यहां के मतदाताओं ने भाजपा को विपक्ष में बैठने का जनादेश दिया। सत्ता की चाह क्या.क्या कराती हैए यह सब कुछ भिण्ड से चुनाव लड़े चारों प्रत्याशियों के सत्ता के साथ जाने से स्पष्ट होता है।
प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2018 के चुनाव परिणाम में कांग्रेस सत्ता पर काबिज हुईए लेकिन इस विधानसभा से बसपा के संजीव सिंह कुशवाह चुनाव जीतेए जो सत्ता पार्टी नहीं है। लेकिन कांग्रेस की बनी मप्र सरकार को बसपा ने बिना शर्त समर्थन दियाए परिणाम स्वरूप वर्तमान विधायक संजीव सिंह कुशवाह संजू भी अब सत्ता के साथ हैं। अब तीसरे स्थान पर रहे भाजपा के बागी सपा के टिकिट पर चुनाव लड़े नरेन्द्र सिंह कुशवाह की पार्टी ने भी बसपा की तरह बिना शर्त कांग्रेस सरकार को समर्थन दिया हैए जिसके चलते नरेन्द्र सिंह कुशवाह भी अब सत्ता के साथ हैं। अब विपक्ष की भूमिका में भाजपा के प्रत्याशी चौण् राकेश सिंह थेए लेकिन उन्हें यहां के मतदाताओं का जो स्नेह मिलाए वह उनकी अपेक्षा के अनुरूप नहीं थाए नतीजन वे चुनावी हार से अवसाद में चले गए और 2018 के चुनाव परिणाम के बाद से ही वे सक्रिय विपक्ष की भूमिका में नजर नहीं आए और जिस पार्टी ने विधानसभा चुनाव में लेने से इंकार कर दिया थाए अब वे लोकसभा चुनाव में भाजपा को अलबिदा कहकर कांग्रेस में चले गए हैंए अब स्थिति यह है कि भिण्ड विधानसभा में विपक्ष की भूमिका जनप्रतिनिधि की हैसियत से कौन निर्वहन करे। हालांकि संगठन की दृष्टि से भाजपा हैए लेकिन यहां सवाल लोकतंत्र में मतदाताओं ने जिन पर अपना विश्वास जतायाए वे अब विपक्ष की सक्रिय भूमिका में नहीं हैं।
भिण्ड विधानसभा के 5ण्61 प्रतिशत मतदाताओं ने कांग्रेस प्रत्याशी डॉण् रमेश दुबे को पसंद किया थाए वे चौथे स्थान पर रहेए लेकिन उनकी पार्टी को प्रदेश में बहुमत मिला तो वे सत्ता के साथ अपने आप हो गएए वहीं सर्वाधिक 46ण्72 प्रतिशत मतदाताओं ने बसपा के संजीव सिंह कुशवाह संजू के पक्ष में मतदान कियाए इस तरह वे सर्वाधिक मत 69107 मत पाकर विजयी हुएए उनकी पार्टी ने बिना शर्त कांग्रेस सरकार को समर्थन दे दिया और इस तरह वे अब सत्ता के साथ हैंए सपा के नरेन्द्र सिंह कुशवाह भी 30744 मत पाकर तीसरे स्थान पर रहेए उनको भी विपक्ष का जनादेश मिला थाए लेकिन बसपा की तरह सपा ने भी कांग्रेस सरकार को बिना शर्त समर्थन दे दियाए लेकिन पूरे प्रदेश में सशक्त विपक्ष की भूमिका में जीती भाजपा के चौण् राकेश सिंह को भिण्ड विधानसभा के मतदाताओं के लिए संघर्ष की लड़ाई लडऩा थीए लेकिन वे भी अब भाजपा को तिलांजलि देकर कांग्रेस में शामिल होकर सत्ता के साथ हो गए। अब क्या कहेंए यहां की जनता भाग्यशाली है कि जिसको भी बोट दिया वह सत्ता के साथ है। तो उनके काम और विकास ज्यादा से ज्यादा हो सकेगा या वह दुर्भाग्यशाली है सत्तासीन लोग उनकी समस्याएं न सुनें तो विपक्ष उनकी आवाज को बुलंद करता जो अब कोई नहीं नजर आता। अब समय का इंतजार करना होगाए भिण्ड से कोई नया नेतृत्व निकले।
भिण्ड विधानसभा में 2018 के उम्मीदवार
उम्मीदवार दल प्राप्त मत प्रतिशत
संजीव सिंह बसपा 69107 46ण्72
चौण् राकेश सिंह भाजपा 33211 22ण्45
नरेन्द्र सिंह कुशवाह सपा 30744 20ण्60
डॉण् रमेश दुबे कांग्रेस 8297 5ण्61