एक्सपायरी दवा से हुई बाइसन की मौत: बारनवापारा अभ्यारण से भेजा था गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व

Update: 2025-03-02 19:00 GMT

Bison Died due to Expired Medicine : रायपुर। गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व में मादा सब एडल्ट बाइसन की मृत्यु बारनावापारा अभ्यारण से ट्रक के जरिए 12 घंटे की यात्रा के बाद हो गई थी। इस घटना ने वन्यजीव प्रेमियों और पर्यावरण विशेषज्ञों को झकझोर कर रख दिया। यह घटना जनवरी 2025 की है जिसमें वन विभाग के दस्तावेजों से खुलासा हुआ है कि बाइसन की मौत के कारण उसकी हत्या की संभावना जताई जा रही है।

इस घटना की जड़ में एक महत्वपूर्ण तथ्य है - बड़ी वन्य प्रजातियों को ट्रांस्लोकेट (स्थानांतरित) करने से पहले उन्हें बेहोश करने के लिए जो दवा दी जाती है, उसमें एक बड़ी चूक हुई। बाइसन को बेहोश करने के लिए इस्तेमाल की गई दवा, कैपटीवान, इतनी ताकतवर थी कि उसने बाइसन के शरीर को लंबे समय तक बेहोश रखा।

यह दवा मोर्फिन से तीन से आठ हजार गुना अधिक प्रभावी होती है, और इसका असर पलटने के लिए जो दवा दी गई, एक्टिवोन, वह पहले ही एक्सपायर हो चुकी थी। इसका परिणाम यह हुआ कि बाइसन को लंबे समय तक बेहोश रहने के कारण गंभीर शारीरिक समस्याएं उत्पन्न हुईं, जैसे रक्तचाप में गड़बड़ी, दिल की समस्याएं, और शरीर के तापमान को नियंत्रित न कर पाना, जिसके कारण उसकी मौत हो गई।

इस मामले में वन्यजीव प्रेमी नितिन सिंघवी का कहना है कि यदि एक्टिवोन का सही समय पर प्रयोग किया जाता या वह एक्सपायर नहीं होती, तो शायद बाइसन की जान बचाई जा सकती थी। वह मानते हैं कि इस चूक के कारण बाइसन ने बहुत कष्ट सहे होंगे और यह एक बड़ी लापरवाही का परिणाम है।

दस्तावेजों के अनुसार, कैपटीवान और एक्टिवोन दोनों दवाइयां दक्षिण अफ्रीका के वाइल्ड लाइफ फार्मास्युटिकल्स से मंगवाई गई थीं, जिनका उपयोग दिसंबर 2022 में किया गया था। इन दवाइयों का बैच नंबर 123040 था और इनके सीरियल नंबर 12/283, 284, 285, 286 थे।

कंपनी ने बताया था कि एक्टिवोन का उपयोग मार्च 2024 के बाद नहीं किया जा सकता। इसके बावजूद, इन दवाइयों का इस्तेमाल किया गया, जिससे बाइसन की दुखद मृत्यु हुई। सिंघवी ने सरकार से अपील की है कि वह यह स्पष्ट करें कि एक्सपायर दवाइयों का उपयोग क्यों किया गया और इस मामले में जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।


 



 

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