छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: कवासी लखमा 7 अप्रैल तक EOW रिमांड पर, पूर्व मंत्री ने कहा- सब प्री प्लांड

Kawasi Lakhma on EOW Remand till 7 April : रायपुर। छत्तीसगढ़ के चर्चित शराब घोटाले मामले में EOW की स्पेशल अदालत ने पूर्व मंत्री कवासी लखमा को सात अप्रैल तक के लिए रिमांड पर भेज दिया है। छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में अब EOW पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा से पूछताछ करना चाहती है, इसलिए राज्य अन्वेषण ब्यूरो की ओर विशेष कोर्ट में प्रोडक्शन वारंट की मांग को लेकर आवेदन लगाया गया। जिस पर कोर्ट ने सुनवाई के बाद लखमा को 7 अप्रैल तक रिमांड पर भेज दिया है।
पूर्व मंत्री कवासी लखमा के वकील फैजल ने बताया कि, गुरुवार को हाईकोर्ट में लखमा की जमानत याचिका पर सुनवाई होनी थी, लेकिन इससे पहले ही सुनियोजित तरीके से EOW ने पूछताछ के लिए एप्लिकेशन लगाया और सुनवाई के बाद कोर्ट ने डिमांड पर भेज दिया। वहीँ, कवासी लखमा ने कहा कि, मैं गरीब आदमी हूं। बस्तर की आवाज विधानसभा में उठाया तो सरकार मुझे परेशान कर रही है। मैं निर्दोष हूं। गरीब आदमी हूं।
कब हुई थी लखमा की गिरफ्तारी
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 15 जनवरी 2025 को कवासी लखमा को इस शराब घोटाले के मामले में गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी से पहले ED ने लखमा से दो बार रायपुर स्थित अपने कार्यालय में पूछताछ की थी। गिरफ्तारी के बाद ED ने लखमा को 7 दिन की कस्टोडियल रिमांड पर लिया था, जिसके बाद 21 जनवरी से 4 फरवरी तक उन्हें 14 दिन की न्यायिक रिमांड पर भेजा गया।
इसके बाद उनकी रिमांड को कई बार बढ़ाया गया, जिसमें 18 फरवरी तक की अवधि भी शामिल है। एक सुनवाई के दौरान जेल में पर्याप्त सुरक्षा बल न होने के कारण लखमा की पेशी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई थी।
बघेल सरकार के समय हुआ था शराब घोटाला
शराब घोटाला 2019 से 2022 के बीच का है, जब भूपेश बघेल की सरकार सत्ता में थी। उस समय कवासी लखमा राज्य के आबकारी मंत्री थे। आयकर विभाग ने 11 मई 2022 को दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में एक याचिका दायर की थी, जिसमें तत्कालीन IAS अनिल टुटेजा, उनके बेटे यश टुटेजा और CM सचिवालय की तत्कालीन उपसचिव सौम्या चौरसिया के खिलाफ रिश्वत और अवैध दलाली का आरोप लगाया गया था। याचिका में कहा गया था कि रायपुर के तत्कालीन महापौर एजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर ने एक आपराधिक सिंडिकेट के जरिए अवैध वसूली की।
इसके आधार पर ED ने 18 नवंबर 2022 को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत मामला दर्ज किया। ED ने अपनी जांच में पाया कि 2017 में आबकारी नीति में संशोधन कर छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CSMCL) के जरिए शराब बिक्री का प्रावधान किया गया था लेकिन 2019 के बाद अनवर ढेबर ने अरुणपति त्रिपाठी को CSMCL का MD नियुक्त करवाया और एक सिंडिकेट बनाकर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया। इस सिंडिकेट में अधिकारियों, कारोबारियों और राजनीतिक रसूख वाले लोग शामिल थे, जिसके चलते 2,161 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ।
ED की चार्जशीट
13 मार्च 2025 को ED ने विशेष कोर्ट में 3,841 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की, जिसमें कवासी लखमा समेत 21 लोगों को आरोपी बनाया गया। चार्जशीट में दावा किया गया कि लखमा को इस घोटाले की पूरी जानकारी थी और आबकारी नीति में बदलाव में उनकी अहम भूमिका थी। ED के अनुसार, लखमा को हर महीने 1.5 से 2 करोड़ रुपये कमीशन के तौर पर मिलते थे, जो तीन साल (36 महीने) में कुल 72 करोड़ रुपये तक पहुंच गया।
यह राशि उनके बेटे हरीश लखमा के घर और सुकमा में कांग्रेस भवन के निर्माण में खर्च की गई। चार्जशीट में यह भी बताया गया कि छत्तीसगढ़ डिस्टलरी को 48%, भाटिया वाइन मर्चेंट को 28%, और वेलकम डिस्टलरी को 24% दुकानों में शराब आपूर्ति का काम दिया गया था, जिसके जरिए अवैध वसूली की गई।