वेबडेस्क। किसान आंदोलन और टूलकिट का छत्तीस का आंकड़ा इस महीने की शुरुआत में ही शुरू हुआ। ग्रेटा थनबर्ग नाम की एक स्वीडिश एक्टिविस्ट ने 4 फरवरी की सुबह एक ट्वीट किया जिसमें बाकी बातों के साथ टूलकिट शेयर की गई थी। इस टूलकिट के माध्यम से भारत के खिलाफ आर्थिक, सांस्कृतिक और धार्मिक युद्ध छेड़ने की गतिविधियों के माध्यम से देश की सरकार को अस्थिर करने का असफल प्रयास था।उसी दिन दिल्ली पुलिस ने ग्रेटा थनबर्ग की टूलकिट को लेकर अज्ञात लोगों के खिलाफ़ मामला दर्ज कर लिया।पुलिस ने कहा कि यह मामला असल में थनबर्ग पर नहीं, बल्कि उनकी टूलकिट को बनाने वाले पर है।पुलिस उस टूलकिट बनाने वाले की तलाश में जुट गई।
मूल रूप से यह किसी भी आंदोलन की डायरी है। मसलन कहां जमा होंगे, क्या नारे लगाएंगे, किस बात पर जोर रहेगा आदि। तकनीक के प्रयोग से गूगल डॉक पर प्लानिंग शुरू हुई। इससे सहूलियत यह हो गई कि अपने किसी भी साथी को इस डॉक में कुछ भी जोड़ने-घटाने की
रियल टाइम में सुविधा दी जा सकती है ।ऐसा ही कुछ काम दिशा रवि ने उस टूलकिट में किया जो ग्रेटा थनबर्ग ने शेयर की थी। इस के साथ उस ने 70 लोगों की जूम मीटिंग में भी भाग लिया जिससे उस के तार खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू से जुड़ते हैं।इन्ही आशंकाओं के चलते ही भारत सरकार ने ट्विटर से सख़्त लहज़े में कहा था कि भारत में उसे भारतीय क़ानूनों का पालन करना ही होगा ।
ट्विटर और भारत सरकार के बीच बढ़ते विवाद के माहौल में भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्राद्योगिकी मंत्रालय के सचिव और ट्विटर की ग्लोबल पब्लिक पॉलिसी वाइस प्रेसिडेंट मोनीके मेशे के बीच वर्चुअल वार्ता हुई थी जिसमें सरकार ने ट्विटर से दोहरे मापदंड न अपनाने और सरकारी आदेशों का उल्लंघन न करने और लोकतांत्रिक संस्थानों का सम्मान करने के लिए कहा । भारत सरकार ने ट्विटर से कुछ विवादित अकाउंट और खालिस्तान समर्थक अकाउंट को डिलीट करने के लिए कहा था। इसे लेकर ट्विटर और सरकार के बीच विवाद हुआ और अब इस गिरफ्तारी के बाद सरकार की सभी आशंकाएं सच साबित हुई।
टूलकिट में क्या लिखा है -
- पहले भारत में किसानों की स्थिति के बारे में 100-200 शब्दों में समझाया गया है।
- इस स्टेप के बाद दो तरह के एक्शन, अर्जेंट एक्शन और प्रायर एक्शन की बात कही गई है। मतलब एक तो वह एक्शन जो फौरन लिया जाए और एक जिसे प्राथमिकता के अधार पर लिया जाए।
- अर्जेंट एक्शन के तौर पर किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए #FarmersProtest #StandWithFarmers के साथ ट्वीट करने को कहा गया है.
- इस के बाद विदेश में रहने वाले भारतीयों से कहा गया है कि अपने आसपास के भारतीय एंबेसी, मीडिया हाउस या लोकल दूतावास के ऑफिस पर जाकर किसानों के समर्थन में प्रोटेस्ट करें और फोटो सोशल मीडिया पर शेयर करें।
- प्राथमिक एक्शन के तौर पर #AskIndiaWhy के हैशटैग के साथ 'डिजिटल स्ट्राइक' और पीएम और कृषि मंत्री जैसे बड़े पदों पर मौजूद लोगों को सोशल मीडिया पर टैग करने को कहा गया है।
- अगर किसानों से जुड़ी मार्च या परेड हो रही है तो उसका भी हिस्सा बनें।सरकारी प्रतिनिधियों को कॉल या ईमेल करें और उनसे एक्शन लेने के लिए कहें।
- इसके बाद अगले सेक्शन में आता है कि आप कैसे मदद कर सकते हैं। इसमें ज्यादातर उन गतिविधियों की चर्चा है जो ऑनग्राउंड हो सकती हैं ।उदाहरण के तौर पर किसी प्रदर्शन में हिस्सा लें या एक प्रदर्शन का आयोजन करें।इसके अलावा ऑनलाइन पेटिशन साइन करने को कहा गया है.
- आखिर में टूल किट RISE UP AND RESIST! वाक्य के साथ खत्म हो जाती है।
अपनी वेक्सीन कूटनीति के चलते मोदी सरकार विश्व राजनीति को एक नई दिशा देने की और अग्रसर है।कुछ देश विरोधी आंतरिक ताकतें विदेशी खुफिया एजेन्सीस के साथ मिल कर इस संघर्ष को खालिस्तानी आंदोलन की शक्ल देना चाहते हैं और आत्मनिर्भरता की तरफ बढ़ते भारत को हर हाल में रोकना चाहते हैं। खालिस्तानी आतंकियों ने भी रेफ्रेन्डम 2020 के असफल प्रयोग के बाद इसे रेफ्रेन्डम 2022 कर दिया है और इसी आंदोलन की जमीन पर इसे सफल बनाने का प्रयास कर रहे हैं। किसान आंदोलन की आड़ में असफल खालिस्तानी प्रयोग को पँजाबियत से प्यार करने वाला यहाँ का युवा कभी सफल नहीं होने देगा। ऋग्वेद की रचना जिस धरती पर हुई वहाँ से शान्ति और समृध्दि की हवा ही पूरे भारत में अवश्य ही फैलेगी ।