चीन के साथ समझौता होने तक तनावपूर्ण स्थिति रहेगी, अफगानिस्तान पर है नजर : नरवणे
नई दिल्ली। भारतीय सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने कहा है कि पाकिस्तान के साथ चल रहे छद्म युद्ध की वजह से जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा के लिहाज से तनावपूर्ण स्थिति बनी रहती हैं। इसी कारण भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना के सामने चुनौती पूर्ण माहौल बना हुआ है। उन्होंने स्वीकार किया कि भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख सीमा पर तब तक गतिरोध और तनावपूर्ण स्थिति बनी रहेगी जब तक दोनों देशों के बीच सीमा समझौता नहीं हो जाता। अफगानिस्तान का जिक्र करते हुए नरवणे ने कहा कि भारतीय सेना भविष्य के खतरों से निपटने के लिए तैयार है और वहां की स्थितियों पर हमारी नजर है।
जनरल नरवणे गुरुवार को पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री में एक समारोह को संबोधित कर रहे थे।उन्होंने कहा कि भारत और चीन के बीच सीमा पर छिटपुट घटनाएं तब तक होती रहेंगी जब तक दोनों देशों के बीच स्वीकार्य सीमा समझौता नहीं हो जाता। भारत का चीन के साथ अभी भी सीमा विवाद जारी है। हम किसी भी दुस्साहस का सामना करने के लिए तैयार रहते हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाएं तब तक होती रहेंगी जब तक कि समाधान का एक दीर्घकालिक सीमा समझौता नहीं हो जाता है। दोनों देशों को सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए बातचीत और प्रयास जारी हैं।
अफगानिस्तान पर सेना की नजर -
अफगानिस्तान का जिक्र करते हुए नरवणे ने कहा कि भारतीय सेना या सशस्त्र बल खतरे की आशंकाओं का समय-समय पर मूल्यांकन करते रहते हैं। उन मूल्यांकनों के आधार पर भारतीय सेना भविष्य के खतरों से निपटने के लिए आवश्यक रणनीति तैयार करती है। यह एक सतत प्रक्रिया है जो कभी नहीं रुकती है। 15 अगस्त को तालिबान के हाथों में काबुल आने पर और अफगानिस्तान में हालिया घटनाक्रम पर भारतीय सेना की भी नजर है। उन्होंने कहा कि जहां तक आतंकवादी खतरे का सवाल है, भारतीय सेना अफगानिस्तान की स्थिति को देखते हुए भविष्य के खतरों से निपटने के लिए तैयार है और वहां की स्थितियों पर अभी भी हमारी नजर है।
आतंकवाद विरोधी ग्रिड -
जनरल एमएम नरवणे ने कहा है कि जम्मू और कश्मीर में हमारे पास एक बहुत ही गतिशील आतंकवाद विरोधी ग्रिड है। यह हमारे पड़ोसी पाकिस्तान की ओर से आतंकवादियों को धकेलने के प्रयासों पर पैनी नजर बनाए रखती है। उन्होंने कहा कि उतार-चढ़ाव के आधार पर हम अपने संचालन के स्तर को भी बार-बार मूल्यांकन करते रहते हैं।
अखंडता और संप्रभुता की रक्षा -
उन्होंने कहा कि भारतीय सेना पूरे साल भारत की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता की रक्षा कर रही है। सभी आकस्मिक परिस्थितियों से निपटने के लिए उच्च स्तर की तत्परता और संचालन तैयारियों को बनाए रखना सेना की संस्कृति का हिस्सा है। भारतीय सेना भारतीय रक्षा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। हमारे एमएसएमई को विशिष्ट डोमेन में खुद को फिर से विकसित करने और संलग्न करने, सटीक भागों के लिए क्षमताओं का निर्माण करने और विघटनकारी प्रौद्योगिकियों में नवीन समाधान प्रदान करने की आवश्यकता है।