संसद में सरकार ने बताया अफगानिस्तान में कैसे भारतीयों को निशाना बना रहा पाकिस्तान
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सोमवार को संसद में बताया है कि पाकिस्तान अफगानिस्तान में काम कर रहे भारतीय पेशेवरों को कई तरीकों से निशाना बना रहा है। पिछले 12 सालों में यहां के विकास कार्यों में काम करने वाले कई भारतीयों पर हमले हुए और कइयों को किडनैप किया गया।
विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में कहा कि पिछले साल सितंबर से पाकिस्तान ने चार भारतीयों को यूएन सिक्यॉरिटी काउंसिल के रेजोलूशन 1267 के तहत आतंकवादी घोषित कराने की कोशिश की, जो पहले पहले अफगानिस्तान में काम कर चुके हैं। हालांकि 1267 प्रतिबंध समिति ने अपने आंतरिक प्रक्रिया के आधार पर इस अपील को ठुकरा दिया।
इसी सवाल के जवाब में मुरलीधरन ने कहा, ''अफगानिस्तान में काम कर रहे भारतीय पेशेवरों को पाकिस्तान कई तरीकों से टारगेट करता रहा है। पिछले 12 सालों अफगानिस्तान में विकास परियोजनाओं में काम कर रहे कई भारतीयों पर हमला किया गया और किडनैप किया गया। वहां भारतीय दूतावास और वाणिज्य दूतावासों को भी निशाना बनाया गया।''
मंत्री ने कहा कि अफगानिस्तान की सरकार की मदद से भारत कई नागरिकों को मुक्त कराने में सफल रहा है। मई 2018 में किडनैप किए गए सात भारतीय इंजीनियर्स को हाल ही में अफगानिस्तान सरकार और तालिबान के बीच बातचीत से पहले मुक्त कराया गया है।
मुरलीधरन ने कहा कि भारत सरकार के प्रयासों का परिणाम है कि पाकिस्तान से आने वाले आतंकवाद पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंता बढ़ी है, जिसमें अंतरराष्ट्रीय रूप से नामित आतंकवादी संस्थाओं और जमात-उद दावा (JuD), लश्कर-ए-तैयबा (LeT), जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन की गतिविधियां शामिल हैं। उन्होंने कहा कि विश्व समुदाय ने फरवरी 2019 में पुलवामा आतंकी हमले की कड़ी निंदा की और कई देशों ने पाकिस्तान से कहा कि वह अपनी जमीन का इस्तेमाल आतंकवाद के लिए ना होने दे।
मंत्री ने कहा कि कई आतंकवादी संगठन और आतंकी जो पाकिस्तान में शरण लिए हुए हैं और भारत के खिलाफ आतंकवाद में शामिल हैं, यूनाइटेड नेशंस, यूरोपीय यूनियर और दूसरे देशों की ओर से प्रतिबंधित किए गए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि जैश-ए-मोहम्मद के संस्थापक मसूद अजहर को पिछले साल संयुक्त राष्ट्र की 1267 कमिटी ने प्रतिबंधित किया। एफएटीएफ ने जून 2018 में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखा।