नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोयले के वाणिज्यिक खनन की शुरुआत के मौके पर कहा कि वाणिज्यिक कोयला खनन में निजी क्षेत्र को उतरने की अनुमति देकर हम दुनिया के चौथे सबसे बड़े कोयला भंडार वाले देश के संसाधनों को जकड़न से बाहर निकाल रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत कोरोना वायरस के खिलाफ अपनी लड़ाई जीत लेगा, यह महामारी भारत को आत्मनिर्भर बनाएगी। सरकार ने प्रतिस्पर्धा, पूंजी और प्रौद्योगिकी लाने के लिए कोयला एवं खनन क्षेत्र को खोलने का महत्वपूर्ण निर्णय किया है। बता दें इससे सीधे एवं परोक्ष रूप से 2.8 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है। इसमें सीधे तौर पर करीब 70,000 लोगों को रोजगाार मिलने की उम्मीद है।
कोयला मंत्रालय आज वाणिज्यिक खनन के लिए 41 कोयला ब्लाक की नीलामी के लिए प्रक्रिया शुरू की, । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के आह्वान के अनुरूप इस पहल का मकसद ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में आत्मनिर्भरता हासिल करना और औद्योगिक विकास को गति देना है। पीएम ने कहा कि भारत आयात पर अपनी निर्भरता घटाने जा रहा है। एनर्जी सेक्टर में भारत को आत्म-निर्भर बनाने के लिए आज बड़ा कदम उठाया जा रहा है। प्रधानमंत्री नीलामी प्रक्रिया शुरू होने के मौके पर आयोजित कार्यक्रम को वीडियो कांफ्रेन्स के जरिये संबोधित कया।
पीएम मोदी ने कहा कि वाणिज्यिक कोयला खनन के लिए जिस नीलामी की आज शुरुआत हो रही है, वह हर हितधारक के लिए लाभ की स्थिति है। इससे उद्योग को, आपको, आपके कारोबार को नए संसाधन मिलेंगे। राज्यों को अधिक राजस्व मिलेगा, रोजगार बढ़ेगा। कोयला क्षेत्र से जुड़े सुधार करते वक्त इस बात का भी ध्यान रखा गया कि इससे पर्यावरण की रक्षा को लेकर भारत की प्रतिबद्धता कमजोर ना पड़े। कोयले से गैस बनाने की अब बेहतर और आधुनिक प्रौद्योगिकी आ पाएगी। हमने 2030 तक 10 करोड़ टन कोयले को गैस में बदलने का लक्ष्य रखा है।
पीएम ने बताया कि बिजली और ईंधन की बढ़ती खपत का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उपभोग और मांग तेजी से बढ़कर कोविड-19 से पहले के स्तर पर पहुंच रही है।कोयले से गैस बनाने की चार परियोजनाओं की पहचान हो चुकी है, इन पर करीब-करीब 20,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा।
कोयला मंत्रालय के मुताबिक इन कोयला ब्लाक की वाणज्यिक खनन में अगले पांच से सात साल में करीब 33,000 करोड़ रुपये का निवेश अनुमानित है। ये ब्लाक राज्य सरकारों को सालाना 20,000 करोड़ रुपये का राजस्व देंगे। खनन क्षेत्र बिजली, इस्पात, एल्युमीनियम, स्पांजी आयर जैसे कई बुनियादी उद्योगों के लिये कच्चे माल का मुख्य स्रोत है। ये खदान 22.5 करोड़ टन उत्पादन की क्षमता रखते हैं। इसके आधार पर सरकार का कहना है कि ये खदान देश में 2025-26 तक अनुमानित कुल कोयला उत्पादन में करीब 15 प्रतिश्त का योगदान देंगे।