देहरादून। उत्तराखंड के मनोनीत राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) ने बुधवार सुबह राजभवन में आठवें राज्यपाल के रूप में शपथ ली। नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान ने उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई।
आज सुबह 10.54 बजे राजभवन में राष्ट्रगान के साथ शपथ ग्रहण का कार्यक्रम किया गया। राजभवन पहुंचने पर मुख्य सचिव एसएस संधू और डीजीपी अशोक कुमार ने राज्यपाल का स्वागत किया। शपथ से पहले मुख्य सचिव एसएस संधू ने राष्ट्रपति की ओर से जारी नियुक्ति अधिपत्र पढ़कर सुनाया। गुरमीत सिंह ने हिन्दी में शपथ ली। सेना के जवानों ने भी उन्हें सलामी दी। इस मौके पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह रावत,काबीना मंत्री हरक सिंह रावत, गणेश जोशी, धन सिंह रावत अन्य मंत्री व विधायकों के अलावा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक, आरएसएस के प्रांत प्रचारक युद्धवीर सिंह सहित गणमान्य लोग मौजूद रहे। समारोह में नए राज्यपाल के परिजन और रिश्तेदार भी बड़ी संख्या में मौजूद रहे।
कौन है नए राज्यपाल -
लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) सेना में उच्च पदों पर रहे हैं। करीब चार दशकों तक सैन्य सेवा के बाद वे फरवरी 2016 में सेवानिवृत्त हुए। सेना में करीब 40 वर्षों की सेवा के दौरान उन्होंने चार राष्ट्रपति पुरस्कार और दो चीफ आफ आर्मी स्टाफ कमंडेशन अवार्ड भी प्राप्त किए। डिप्टी चीफ आफ आर्मी स्टाफ रहे। एडजुटेंट जनरल और 15 कार्प्स के कमांडर,चीन मामलों से जुड़े मिलिट्री आपरेशन के निदेशक भी रहे हैं।
नेशनल डिफेंस कालेज और डिफेंस सर्विसेज स्टाफ से स्नातक और चेन्नई और इंदौर विश्वविद्यालयों से दो एमफिल डिग्री ली है। चेन्नई विश्वविद्यालय से ''स्मार्ट पावर फॉर नेशनल सिक्योरिटी डायनेमिक्स'' विषय पर पीएचडी कर रहे हैं। उनकी सैनिक स्कूल कपूरथला, पंजाब से स्कूलिंग हुई है।
अंतरराष्ट्रीय सैन्य अभियानों में अहम भूमिका -
चीन सहित अंतरराष्ट्रीय सैन्य अभियानों में उन्होंने अहम भूमिका निभाई है। महत्वपूर्ण सैन्य कूटनीतिक और सीमा या वास्तविक नियंत्रण रेखा की विषयों पर वार्तालाप के लिए सात बार से ज्यादा चीन का दौरा कर चुके हैं। इसी सिलसिले में वे दो बार पाकिस्तान का भी दौरा कर चुके हैं। वे ईरान में संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएनओ) के प्रेक्षक भी रह चुके हैं। ईरान-ईराक सीमा पर उनका काम शानदार रहा है। लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) कार्यवाक जैसे एनजीओ में अहम रोल निभाते रहे हैं। यह संगठन ऐसे विशिष्ट लोगों से संबंधित है जो अपनी आय का 10 फीसदी समाज सेवा में देते हैं।