भारतीय नौसेना में नहीं मिला महिलाओं को स्थायी कमीशन
उच्च न्यायालय ने पांच महीने पहले दिया था आदेश, अब तक लागू नहीं हुआ
नई दिल्ली। स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने सेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन दिए जाने को सरकार की उपलब्धियों में गिनाया लेकिन सुप्रीम कोर्ट का पांच महीने पुराना आदेश अब तक भारतीय नौसेना में लागू नहीं हो पाया है। सेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन देने के लिए चयन बोर्ड के गठन की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है लेकिन नौसेना में स्थायी कमीशन पाने की हकदार महिला अधिकारियों को अभी भी सरकार से हरी झंडी मिलने का इन्तजार है।
गौरतलब है कि दिल्ली हाईकोर्ट ने 2010 में ही सेनाओं में महिलाओं के कमांडिग पदों पर स्थायी कमीशन देने का आदेश जारी करते हुए कहा था कि महिलाओं को युद्ध के सिवाय हर क्षेत्र में स्थायी कमीशन दिया जाए। लेकिन हाई कोर्ट का यह आदेश लागू ही नहीं किया गया बल्कि इस आदेश को 9 साल बाद केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी।
केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा कि महिलाओं को पुरुषों के बराबर होने का प्रयास नहीं करना चाहिए, क्योंकि वो वास्तव में पुरुषों से ऊपर हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट में सरकार की इस अपील का विरोध करते हुए भारतीय सेना की अधिकारी बबीता पूनिया ने हाई कोर्ट के फैसले को लागू करने की मांग की। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने 17 फरवरी, 2020 को आदेश दिया कि भारतीय सेना में महिलाओं को युद्ध के सिवाय हर क्षेत्र में स्थाई कमीशन दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद सेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन देने के लिए चयन बोर्ड के गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसके बावजूद अभी तक नेवी में महिलाओं को स्थायी कमीशन देने की प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है।
क्या है परमानेंट कमीशन
भारतीय सैन्य सेवा में महिला अधिकारियों की शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) के माध्यम से भर्ती की जाती है। इसके बाद वे 14 साल तक सेना में नौकरी कर सकती हैं। इस अवधि के बाद उन्हें सेनानिवृत्त कर दिया जाता है। 20 साल तक नौकरी न कर पाने के कारण रिटायरमेंट के बाद उन्हें पेंशन भी नहीं दी जाती है। सेनाओं में परमानेंट कमीशन मिलने के बाद कोई अधिकारी रिटायरमेंट तक सेना में काम कर सकता है और उसे पेंशन भी मिलती है। सेना में अधिकारियों की कमी पूरी करने के लिए शॉर्ट सर्विस कमीशन शुरू हुआ था। इसके तहत पुरुषों और महिलाओं दोनों की भर्ती की जाती है, जिन्हें 14 साल में रिटायर कर दिया जाता है और उन्हें पेंशन भी नहीं मिलती। परमानेंट कमीशन के लिए केवल पुरुष अधिकारी ही आवेदन कर सकते हैं।