आरबीआई के नए निर्देश, ऋणदाताओं के लिए उपभोक्ता ऋण महंगा हुआ
उच्च जोखिम भार का तात्पर्य ऐसे ऋणों के विरुद्ध उच्च पूंजी शुल्क से है, जिससे ऋणदाताओं के लिए उन्हें बढ़ाना अधिक महंगा हो जाता है। इस संदर्भ में पूर्व में छह अक्टूबर को, मौद्रिक नीति वक्तव्य देते हुए, आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने उपभोक्ता ऋण के कुछ घटकों में उच्च वृद्धि को चिह्नित किया था, बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को अपने आंतरिक निगरानी तंत्र को मजबूत करने, जोखिमों के निर्माण को एक बार गहराई से देख लेने की उन्होंने सलाह दी थी।
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक ने गुरुवार को कहा कि बैंकों और गैर-बैंक वित्तीय कंपनियों द्वारा दिए जाने वाले उपभोक्ता ऋण पर अधिक जोखिम भार लगेगा। नियामक ने अपनी वेबसाइट पर जारी एक परिपत्र में कहा कि उपभोक्ता ऋण पर 125 प्रतिशत का क्रेडिट जोखिम भार लगेगा, जो पहले 100 प्रतिशत था। इस संदर्भ में उपभोक्ता ऋण में व्यक्तिगत ऋण शामिल होंगे, लेकिन इसमें गृह ऋण, शिक्षा ऋण, वाहन ऋण और स्वर्ण ऋण शामिल नहीं होंगे।
एनबीएफसी के मामले में भी, उपभोक्ता ऋण पर 125% का जोखिम भार लगेगा। इन ऋणों में खुदरा ऋण शामिल होंगे, लेकिन आवास, शैक्षिक, वाहन और माइक्रोफाइनेंस ऋण के साथ-साथ सोने के आभूषणों के बदले ऋण शामिल नहीं होंगे। बैंकों के लिए क्रेडिट कार्ड से प्राप्य राशि पर 150 प्रतिशत का जोखिम भार लगेगा, जबकि एनबीएफसी द्वारा प्राप्त राशि पर 125 प्रतिशत का जोखिम भार लगेगा, जो पहले 125 प्रतिशत और 100 प्रतिशत था।
उल्लेखनीय है कि उच्च जोखिम भार का तात्पर्य ऐसे ऋणों के विरुद्ध उच्च पूंजी शुल्क से है, जिससे ऋणदाताओं के लिए उन्हें बढ़ाना अधिक महंगा हो जाता है। इस संदर्भ में पूर्व में छह अक्टूबर को, मौद्रिक नीति वक्तव्य देते हुए, आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने उपभोक्ता ऋण के कुछ घटकों में उच्च वृद्धि को चिह्नित किया था, बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को अपने आंतरिक निगरानी तंत्र को मजबूत करने, जोखिमों के निर्माण को एक बार गहराई से देख लेने की उन्होंने सलाह दी थी।