कोरोना महामारी और लगातार लॉकडाउन के समाचारों के दौरान सिने जगत के लिए यह एक खबर सुकून देने वाली है। मध्यप्रदेश पर्यटन विकास बोर्ड ने प्रदेश में फिल्मों और धारावाहिकों की शूटिंग के लिए रास्ता खोल दिया है। इससे कोरोना रोकथाम के लिए समुचित सावधानियां रखते हुए प्रदेश में लाइट कैमरा एक्शन जल्द ही सुनने को मिलेगा।
मध्यप्रदेश को अब तक फिल्मों में उतना स्पेस मिला नहीं है जितना कि हकीकत में वह हकदार है। इसका एक बड़ा कारण साफ तौर से सरकारी प्रयासों में कमी रही है। सिनेमा तो मेहमान की तरह है, स्वागत सत्कार करेंगे तो मेहमान भी बार बार आएंगे, कई दिन ठहरेंगे। दूर क्यों जाते हैं पड़ोस के उत्तरप्रदेश और राजस्थान को ही देख लीजिए। उत्तरप्रदेश के लखनऊ शहर को क्या खूबसूरत ढंग से उमराव जान फिल्म में फिल्माया गया है। आगरा तो ताजमहल के कारण हजारों बार सिनेमा में चमका ही है। शाहरुख खान की जीरो फिल्म तो हाल ही में खूब चर्चित रही। इसमें अलीगढ़ का घंटाघर तो करोड़ों उन लोगों ने भी देख लिया जो आज तक अलीगढ़ नहीं पहुंचे होंगे।
फिल्मों की सबसे खूबसूरत बात यही है। एक फिल्म किसी शहर की खूबसूरती और पर्यटन स्थलों की जितनी अच्छी ब्रांडिंग कर सकती है वैसा दूसरा कोई माध्यम कर ही नहीं सकता। विदेशों के कई खूबसूरत स्थल हिन्दी फिल्मों ने अमर कर दिए हैं। हम करोड़ों भारतीयों में से कितनों ने स्विटजरलैण्ड की वादियां घूमी हैं मगर डीडीएलजे जैसी यादगार फिल्मों ने स्विटजरलैण्ड भ्रमण को हमारा सपना बना दिया है। हम दिल दे चुके सनम में जब हम ऐश्वर्या राय और अजय देवगन को इटली में भागते दौड़ते समीर को ढूंढ़ते देखते हैं तो अनजाने में हमें भी इटली से प्यार हो जाता है। हम भी इटली जैसा ओपेरा देखना चाहते हैं। भ्रमण की इन इच्छाओं को हमारी फिल्में निरंतर पल्लवित करती रहती हैं। उत्तराखंड के हरिद्वार में गंगाघाट के मनोरम दृश्य यशराज ने क्या फिल्माए हैं। दम लगा के हइशा जैसी फिल्में बनती हैं तो लाखों घरेलू पर्यटकों के मानस को भी तैयार करती हैं। आतंकवाद से जूझते कश्मीर को हम भारतीय कितना देख पाए हैं मगर धन्यवाद रोजा, मिशन कश्मीर और फना जैसी यादगार फिल्मों का जिन्होंने थोड़ा बहुत कश्मीर हमें भी घुमा दिया है। फिल्में नायक नांियका की कहानी कहते हुए बहुत सी कहानी कहती हैं। वे शहरों की बात करती हैं, भाषा की बात करती हैं, बोलियों से जान पहचान कराती हैं।
जान्हवी कपूर की पहली फिल्म में हमने राजस्थान की बोली से लेकर उदयपुर की पिछोला झील के खूब दीदार किए। देश के इन राज्यों की तरह कुछ फिल्मों की शूटिंग मध्यप्रदेश में भी हुई है। प्रकाश झा की राजनीति फिल्म में हमने भोपाल देखा तो कंगना रनौत की रिवाल्वर रानी में हमने ग्वालियर के महाराज बाड़े के दीदार किए। ग्वालियर में इसके अलावा कार्तिक आर्यन की लुकाछिपी, शाहिद कपूर और सोनम कपूर की मौसम व हॉलीवुड फिल्म सिन्गुलैरिटी की शूटिंग हो चुकी है। कलंक फिल्म के एक गाने में ग्वालियर किला दिखा तो चंदेरी भी सुईधागा फिल्म में कैमरे की नजर में आ चुकी है। ऐसे मौके मिले तो हैं मगर बहुत कम और छोटे मौके रहे हैं। ऐसे अच्छे अनुभवों की निरंतर प्रतीक्षा मध्यप्रदेश के पर्यटन एवं प्राकृतिक स्थल बखूबी कर रहे हैं। इस प्रतीक्षा को मध्यप्रदेश पर्यटन विकास बोर्ड ने उम्मीदें दी हैं। बोर्ड की अपर प्रबंध संचालक सोनिया मीणा ने बताया है कि बहुत सारे फिल्म और धारावाहिक निर्माता लंबे समय से प्रदेश में शूटिंग की अनुमति चाह रहे थे मगर कोरोना संक्रमण के कारण मामला लटक रहा था। हमने ऐसे तमाम आवेदनों व प्रदेश के सिने कलाकारों के हित को ध्यान में रखते हुए एक व्यापक गाइडलाइन बनाते हुए फिल्मों और धारवाहिकों की शूटिंग के लिए अनुमति देना शुरु कर दिया है। शूटिंग शुरु होने से आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिल सकेंगे।
आइए इस प्रयास का स्वागत करते हैं। उम्मीदें हैं तो आसमान है। वास्तव में उम्मीदों से ही तो आसमान टिका हुआ है।