Farmers Protest: आज फिर दिल्ली कूच करेंगे किसान, 13 फरवरी से बैठे हैं शंभू बॉर्डर पर, पुलिस ने की रोकने की तैयारी

Update: 2024-12-06 04:33 GMT

आज फिर दिल्ली की तरफ कूच करेंगे किसान

Farmers Delhi Chalo Protest : नई दिल्ली। पंजाब के किसान अपनी मांगों के लिए फरवरी से 13 फरवरी से शंभू बाॅर्डर पर मोर्चा लगाकर बैठे हैं। अब किसानों ने पैदल ही दिल्ली जाने का फैसला किया है। जिसे किसानों द्वारा "दिल्ली चलों अभियान" कहा जा रहा है। किसानों के दिल्ली में घुसने से रोकने के लिए पुलिस ने भी बैरिकेटिंग कर रखी है। किसानों के आंदोलन को देखते हुए पुलिस प्रशासन भी हाई अलर्ट पर है।  

दिल्ली जाने की मांग पर अड़े किसानों को देखते हुए हरियाणा पुलिस ने एहतियात के तौर पर शंभू बॉर्डर पर सात स्तरीय बैरिकेडिंग कर दी है। बैरिकेडिंग के तौर पर दीवार, लोहे की कीलें व कंटीले तार शामिल हैं। बताया जा रहा है कि, अर्द्ध सैनिक बलों की 15 कंपनियां तैनात की गई हैं।

हमारा बैरिकेड तोड़ने का कोई इरादा नहीं

शंभू बॉर्डर पर किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि, केंद्र और राज्य सरकारों ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि उन्हें किसानों के ट्रैक्टरों पर दिल्ली की ओर बढ़ने से समस्या है। 100 किसानों का एक समूह शांतिपूर्ण तरीके से दिल्ली की ओर बढ़ेगा। हमारा बैरिकेड तोड़ने का कोई इरादा नहीं है।

हमें उम्मीद है कि सरकार हमें दिल्ली की ओर बढ़ने और शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने की अनुमति देगी। किसानों की तरफ से बातचीत के दरवाजे खुले हैं। हम कहते रहे हैं कि अगर सरकार बात करना चाहती है तो हमें केंद्र सरकार या हरियाणा या पंजाब के सीएम कार्यालय का पत्र दिखाए।

किसान अपनी 12 मांगों को लेकर इस बार दिल्ली मार्च कर रहे हैं। इसमें MSP गारंटी, मुआवजा और पेंशन से लेकर स्वामीनाथन आयोग रिपोर्ट के सुझाव लागू करने की मांग तक शामिल है।

ये हैं किसानों की मांगें

1) सभी फसलों की खरीद पर MSP गारंटी अधिनियम बनाया जाए. डॉ. स्वामीनाथन आयोग के निर्देश पर सभी फसलों की कीमतें C2+50% फॉर्मूले के अनुसार तय की जाएं।

2) गन्ने का एफआरपी और एसएपी स्वामीनाथन आयोग के फार्मूले के अनुसार दिया जाना चाहिए, जिससे यह हल्दी सहित सभी मसालों की खरीद के लिए एक राष्ट्रीय प्राधिकरण बन जाए।

3) किसानों और मजदूरों के लिए पूर्ण ऋण माफी।

4) पिछले दिल्ली आंदोलन की अधूरी मांगें...

> लखीमपुर खीरी हत्या मामले में न्याय हो. सभी आरोपियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए।

> पिछले आंदोलन के समझौते के मुताबिक घायलों को 10 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए।

> दिल्ली मोर्चा सहित देश भर में सभी आंदोलनों के दौरान किसानों पर दर्ज मामले/मुकदमें रद्द किए जाएं।

> आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों और मजदूरों के परिवारों को मुआवजा और नौकरी दी जाए।

> दिल्ली (सिंघु बॉर्डर) में किसान मोर्चा के शहादत स्मारक के लिए जगह दी जाए।

> बिजली क्षेत्र को निजी हाथों में देने वाले बिजली संशोधन विधेयक पर दिल्ली किसान मोर्चा के दौरान सहमति बनी थी कि इसे उपभोक्ता को विश्वास में लिए बिना लागू नहीं किया जाएगा, जो की अभी अध्यादेशों के माध्यम से पिछले दरवाजे से लागू किया जा रहा है, इसे निरस्त किया जाना चाहिए।

> कृषि क्षेत्र को प्रदूषण कानून से बाहर रखा जाना चाहिए।

5) भारत को WTO से बाहर आना चाहिए. कृषि वस्तुओं, दूध उत्पादों, फलों, सब्जियों और मांस आदि पर आयात शुल्क कम करने के लिए भत्ता बढ़ाना चाहिए। प्राथमिकता के आधार पर भारतीय किसानों की फसलों की खरीद की जाए।

6) किसानों और 58 वर्ष से ज्यादा उम्र के कृषि मजदूरों के लिए पेंशन योजना लागू करके 10 हजार रुपये प्रति माह की पेंशन दी जाए।

7) प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में सुधार के लिए सरकार स्वयं बीमा प्रीमियम का भुगतान करे, सभी फसलों को योजना का हिस्सा बनाया जाए, नुकसान का आकलन करते समय खेत एकड़ को एक इकाई के रूप में मानकर नुकसान का आकलन किया जाए।

8) भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को उसी तरीके से लागू किया जाए. भूमि अधिग्रहण के संबंध में राज्यों को दिए गए केंद्र सरकार के निर्देशों को रद्द किया जाए।

9) मनरेगा के तहत हर साल 200 दिनों के लिए रोजगार उपलब्ध कराया जाए, मजदूरी बढ़ाकर 700 रुपए प्रतिदिन की जाए. इसमें कृषि को शामिल किया जाए।

10) कीटनाशक, बीज और उर्वरक अधिनियम में संशोधन करके कपास सहित सभी फसलों के बीजों की गुणवत्ता में सुधार किया जाए। नकली और घटिया उत्पादों का निर्माण और बिक्री करने वाली कंपनियों पर दंड लगाकर उनका लाइसेंस रद्द किया जाए।

11) संविधान की पांचवीं अनुसूची का कार्यान्वयन।

12) श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी 26 हजार रुपये प्रतिमाह करने की मांग।

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