रक्षा मंत्री ने स्वदेशी युद्धपोत विक्रांत पर किया योग, कहा -भारतीय सभ्यता और संस्कृति का एक अभिन्न अंग
रक्षा मंत्री ने सभा को संबोधित कर योग प्रशिक्षकों को सम्मानित किया
नईदिल्ली/वेबडेस्क। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार सुबह अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर नौसेनाध्यक्ष और नौसेना कर्मियों के साथ योग किया। इसके बाद उन्होंने कहा कि योग का अर्थ सिर्फ कुछ आसनों से नहीं, बल्कि इससे कहीं अधिक व्यापक है। योग का संबंध कर्म, ज्ञान और भक्ति से भी है।
रक्षा मंत्री के साथ योग कार्यक्रम में उनके साथ नौसेनाध्यक्ष एडमिरल आर हरि कुमार, नेवल वेलफेयर एंड वेलनेस एसोसिएशन की अध्यक्ष कला हरि कुमार, भारतीय नौसेना और रक्षा मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे। सशस्त्र बल के अग्निवीर भी योग सत्र में शामिल हुए। योग सत्र के बाद रक्षा मंत्री ने एक सभा को संबोधित करके योग प्रशिक्षकों को सम्मानित किया।
उन्होंने कहा कि इसी केरल की धरती से सातवीं शताब्दी में जगतगुरू आदि शंकराचार्य निकले, जिन्होंने अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा पूरे भारत में योग-संस्कृति के विकास के लिए लगाया। योग युगों-युगों से भारतीय सभ्यता और संस्कृति का एक अभिन्न अंग बना हुआ है। हम ऐसे देश के निवासी हैं, जहां अपनी योग साधना के रूप में हमारे ऋषि और मनीषी हमारे समक्ष एक अमूल्य विरासत छोड़ गए हैं। हमारे यहां तो योग को मानव सभ्यता जितना प्राचीन माना गया है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि आज हम सभी नौवां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मना रहे हैं, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि योग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सिर्फ 9 वर्ष पहले ही पहुंचा है। दरअसल, योग को तो दुनिया न जाने कितनी सदियों से स्वीकार कर रही है। विश्व के पूर्वी हिस्से में जापान, वियतनाम, चीन, तिब्बत जैसे देशों में योग लंबे समय से अपनी प्रभावी उपस्थिति दर्ज कराता आया है। इसीलिए भारत सरकार अपने स्तर पर योग को भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में फैलाने का भगीरथ प्रयास कर रही है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि आज पूरी दुनिया में योग गौरवमयी यात्रा कर रहा है। दुनिया ने योग के महत्व को जाना और पहचाना है। इस अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर आइए हम सब मिलकर एक प्रण लें कि हम सभी योग को अपने जीवन का एक अभिन्न अंग बनाएंगे। यह दिवस इसलिए भी हमारे लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह अमृत काल में हमारे प्रवेश के ठीक बाद मनाया जा रहा है। भारत की इस ऐतिहासिक विरासत को भले ही संयुक्त राष्ट्र ने 9 वर्ष पहले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मान्यता दी, लेकिन योग का अंतरराष्ट्रीयकरण सदियों पहले हो चुका है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि किसी भी प्रकार की शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक अशांति से हमें निकालने में योग के अलावा और कोई सुलभ माध्यम नहीं मिल सकता। यह तो एकदम 'जीरो बजट' माध्यम है। यहां आपका इनवेस्टमेंट जीरो है, लेकिन आपको प्रॉफिट इतना मिलेगा कि आपने उसकी कल्पना नहीं की होगी। आज सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को बेहद उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। एक राष्ट्र और एक संस्कृति के रूप में यह हम सबके लिए बेहद गर्व का विषय है कि दुनिया अब हमारी संस्कृति को पहचानने के साथ अपना भी रही है।