OBC creamy layer: ओबीसी समुदाय को ज्यादा लाभ देने के लिए क्रीमी लेयर सीमा बढ़ाने की मांग, संसदीय समिति ने दिया सुझाव
OBC creamy layer: ओबीसी समुदाय के कल्याण के लिए बनी संसदीय समिति ने सरकार से क्रीमी लेयर की मौजूदा सीमा को बढ़ाने की मांग की है।;

OBC creamy layer: ओबीसी समुदाय के कल्याण के लिए बनी संसदीय समिति ने सरकार से क्रीमी लेयर की मौजूदा सीमा को बढ़ाने की मांग की है। समिति का कहना है कि वर्तमान सीमा 8 लाख रुपये, जो 2017 में तय की गई थी, अब पुरानी हो चुकी है और इसमें बदलाव की आवश्यकता है। समिति के अनुसार, इस सीमा के कारण ओबीसी आरक्षण का लाभ केवल एक छोटे वर्ग तक ही सीमित रह गया है। यदि इसे बढ़ाया जाता है, तो अधिक जरूरतमंद परिवार आरक्षण और सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकेंगे।
क्रीमी लेयर की सीमा क्यों बढ़ाने की जरूरत?
ओबीसी आरक्षण की नीति को प्रभावी बनाने के लिए सरकार ने 1993 में क्रीमी लेयर की अवधारणा लागू की थी। तब इसकी आय सीमा 1 लाख रुपये तय की गई थी, जिसे समय-समय पर बढ़ाया जाता रहा। 2017 में इसे 8 लाख रुपये किया गया था, लेकिन महंगाई और आर्थिक स्थिति को देखते हुए अब इसे और बढ़ाने की मांग उठ रही है।
गणेश सिंह की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने विभिन्न हितधारकों से चर्चा के बाद यह निष्कर्ष निकाला कि वर्तमान सीमा के कारण कई जरूरतमंद परिवार आरक्षण से वंचित रह जाते हैं। समिति का कहना है कि अगर इस सीमा को नहीं बढ़ाया गया तो आरक्षण का लाभ केवल आर्थिक रूप से मजबूत ओबीसी वर्ग तक ही सीमित रह सकता है।
ओबीसी अधिकारियों की संख्या बढ़ाने की सिफारिश
समिति ने केंद्र सरकार से यह भी सिफारिश की है कि सरकारी सेवाओं में ओबीसी समुदाय की भागीदारी बढ़ाने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएं। समिति का मानना है कि कई दशकों बाद भी केंद्र सरकार में ओबीसी अधिकारियों की संख्या अपेक्षाकृत कम है, जिसे सुधारने की जरूरत है।
छात्रवृत्ति योजनाओं में बदलाव की मांग
समिति ने शिक्षा से जुड़े मुद्दों पर भी सरकार का ध्यान आकर्षित किया है। वर्तमान में ओबीसी छात्रों को केवल नौवीं और दसवीं कक्षा के लिए प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति दी जाती है। समिति ने सुझाव दिया है कि इसे पांचवीं कक्षा से आगे के छात्रों के लिए भी लागू किया जाए, ताकि आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके।
अगर सरकार इन सिफारिशों को लागू करती है, तो इससे ओबीसी समुदाय को अधिक लाभ मिलेगा और आरक्षण की नीति अधिक प्रभावी होगी। इससे न केवल सामाजिक समानता बढ़ेगी, बल्कि शिक्षा और रोजगार में भी पिछड़े वर्गों की भागीदारी मजबूत होगी।