वीर बाल दिवस भारतीयता की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने का प्रतीक : प्रधानमंत्री
भारत मंडपम में ''वीर बाल दिवस'' पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब कोई देश अपनी विरासत पर गर्व करते हुए आगे बढ़ता है तो दुनिया उसका सम्मान करती है।
नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि ''वीर बाल दिवस'' भारतीयता की रक्षा और सुरक्षा के लिए कुछ भी कर गुजरने के संकल्प का प्रतीक है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि बहादुरी की कोई उम्र नहीं होती है प्रधानमंत्री दिल्ली के भारत मंडपम में ''वीर बाल दिवस'' पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब कोई देश अपनी विरासत पर गर्व करते हुए आगे बढ़ता है तो दुनिया उसका सम्मान करती है।
उन्होंने कहा कि आज देश वीर साहिबजादों के अमर बलिदान को याद कर रहा है, उनसे प्रेरणा ले रहा है। आजादी के अमृतकाल में ''वीर बाल दिवस'' के रूप में एक नया अध्याय प्रारंभ हुआ है। प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले वर्ष देश ने पहली बार 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के तौर पर मनाया था। तब पूरे देश में सभी ने भाव विभोर होकर साहिबजादों की वीर गाथाओं को सुना था। वीर बाल दिवस भारतीयता की रक्षा के लिए कुछ भी कर गुजरने के संकल्प का प्रतीक है। ये दिन हमें याद दिलाता है कि शौर्य की पराकाष्ठा के समय कम आयु मायने नहीं रखती।
उन्होंने कहा कि ''वीर बाल दिवस'' अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मनाया जाने लगा है। ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, यूएई और ग्रीस में भी वीर बाल दिवस से जुड़े कार्यक्रम हो रहे हैं। भारत के वीर साहिबजादों को पूरी दुनिया और ज्यादा जानेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब तक हमने अपनी विरासत का सम्मान नहीं किया, दुनिया ने भी हमारी विरासत को भाव नहीं दिया। आज जब हम अपनी विरासत पर गर्व कर रहे हैं तो दुनिया का भी नजरिया बदला है।
उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि आज का भारत ''गुलामी की मानसिकता'' से बाहर निकल रहा है। आज के भारत को अपने लोगों पर, अपने सामर्थ्य पर, अपनी प्रेरणाओं पर पूरा पूरा भरोसा है। आज के भारत के लिए साहिबजादों का बलिदान राष्ट्रीय प्रेरणा का विषय है। आज के भारत में भगवान बिरसा मुंडा का बलिदान, गोविंद गुरु का बलिदान पूरे राष्ट्र को प्रेरणा देता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत दुनिया के उन देशों में से है, जो देश सबसे ज्यादा युवा देश हैं। इतना युवा तो भारत अपनी आजादी की लड़ाई के समय भी नहीं था। जब उस युवाशक्ति ने देश को आजादी दिलाई तो आज की युवाशक्ति भारत को किस ऊंचाई पर ले जा सकती है, यह कल्पना से परे है।