भीलवाड़ा में बनी विश्व की सबसे बड़ी रोटी, 207 किलो आटे को 22 लोगों ने गूथा, गुजरात का रिकॉर्ड तोड़ा
120 किलो आटे, 10 किलो मैदा, 10 लीटर घी को 67 लीटर पानी में गूंथकर 20 फीट के बेलन से बेलकर तैयार की
भीलवाड़ा। टेक्सटाइल सिटी भीलवाड़ा में रविवार को विश्व की सबसे बड़ी रोटी बनाने का वल्र्ड रिकॉर्ड बना है। संतों की मौजूदगी में भारत मां व जयश्रीराम के जयघोष के बीच तैयार की गई इस रोटी का बाद में प्रसाद वितरित किया गया। 207 किलो गूंथे हुए आटे से 185 किलो वजन की विश्व की सबसे बड़ी रोटी को तैयार किया गया है।
महामण्डलेश्वर हंसरामजी महाराज की मौजूदगी में कार्यक्रम में भीलवाड़ा शहर के तमाम संत सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद रहे। इस रोटी को देखने के लिए हजारों की तादाद में शहरवासी भी पहुंचे।
महामण्डलेश्वर हंसरामजी महाराज ने कहा कि भीलवाड़ा ने विश्व में सबसे बड़ी रोटी बनाने का रिकार्ड अपने नाम करके सनातन संस्कृति में अपनी आस्था को गहरा कर दिया है। यह आयोजन राजस्थानी जन मंच के अध्यक्ष कैलाश सोनी के आज जन्मदिन के मौके पर किया गया था। उनका कहना है कि पाश्चात्य संस्कृति को त्यागने, मोमबत्ती कल्चर को समाप्त करने के लिए रोटी का आईडिया आया और उसे क्रियान्वित कर दिया गया है। अब इसकी विडियोग्राफी व तथ्यों के आधार पर गिनिज बुक में रिकार्ड दर्ज कराने की कार्रवाई प्रांरंभ की है।
रविवार को विश्व की सबसे बड़ी रोटी को भीलवाड़ा के हरिशेवा धाम सनातन उदासीन आश्रम में तैयार किया गया। लगभग 207 किलो गुंथे हुए आटे (120 किलो आटा, 10 किलो मेदा, 10 किलो घी, 67 लीटर पानी) से तैयार की इस रोटी को भीलवाड़ा में बनाया गया। इस खास रोटी को तैयार करने के लिए तीन राज्यों राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र के हलवाई यहां पहुंचे और आज इसे तैयार कर प्रसाद का वितरण किया। रोटी को विशालकाय तवे पर सेकने से पूर्व संतों ने अग्नि प्रज्जवलित करके रोटी को सेकने का कार्य प्रांरभ किया। करीब पांच घंटे में रोटी तैयार हुई। बाद में रोटी का भोग ठाकुरजी के लगा कर अन्नकूट के प्रसाद की तरह इसका वितरण किया गया है।
भीलवाड़ा शहर के हरिसेवा धाम सनातन उदासीन आश्रम में महामंडलेश्वर संत हंसराम के सानिध्य में करीब पांच घंटे में इसे तैयार किया गया। रविवार सुबह 10.30 बजे से आश्रम के पीछे बने मैदान में 22 लोगों ने मिलकर आटा गूंथना शुरू किया। शाम करीब 4 बजे तक ये रोटी पककर तैयार हो चुकी थी। इस रोटी को पकाने के लिए करीब 20 लीटर देशी घी को भी यूज किया गया। आज सुबह सबसे पहले हलवाइयों ने रोटी के लिए आटे को गूंथना शुरू किया था। आटे के साथ इसमें मैदा और घी भी मिलाया गया है। पहले आटे को छोटे-छोटे हिस्सों में गूंथा गया। इसके बाद गूंथे आटे को सीधे तवे पर ही बेला गया। इसके बाद इसके बाद संतों के सानिध्य में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ चूल्हे पर रोटी को सेंकने का प्रोसेस शुरू किया।
रोटी को बनाने के लिए एक हजार ईंटों की बेस से एक 12 गुणा 16 फीट का चूल्हा तैयार किया। चूल्हे में सबसे नीचे की जगह को खाली रखा। इसमें लोहे की जाली लगाई गई। लोहे की जाली पर घास और कोयला डाला गया। इस पर लोहे के तवे को सेट किया गया।
इससे पहले जामनगर (गुजरात) का गिनीज रिकॉर्ड में करीब 145 किलोग्राम की रोटी बनाने का रिकॉर्ड है। अब इससे बड़ी रोटी भीलवाड़ा में बनाई गई। राजस्थानी जनमंच अध्यक्ष कैलाश सोनी ने बताया कि रविवार सुबह से इस रोटी को बनते देखने के लिए लोगों की भीड़ लग गई थी। ये तैयार होने के बाद अब इसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए चेंलेंज किया जाएगा।
गुजरात से आए हलवाई मोहनलाल ने बताया कि पहले हम 150 किलो आटे से इस रोटी को तैयार करने वाले थे। उम्मीद नहीं थी कि आटा 207 किलो तक पहुंच जाएगा। अब इतनी बड़ी रोटी को पकाना टीम के लिए सबसे बड़ा चेंलेंज है। 2000 मिट्टी की ईटों से तैयार हुई भट्टी पर 20 फीट के स्टील के बेलन से रोटी बेली गई। 1000 किलो कोयले पर रोटी को धीमी आंच पर सेका गया।