बीजिंग/नई दिल्ली। भारत-चीन सीमा पर विवाद के सबंध में विशेष प्रतिनिधियों के बीच वार्ता में दोनों देशों के बीच सीमा पर तनाव कम करने के बारे में सकारात्मक राय बनी है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच टेलीफोन पर हुई वार्ता के बाद चीनी विदेश मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति जारी कर कहा कि दोनों पक्ष सीमा क्षेत्र में तनाव कम करने के लिए मिलकर काम करेंगे। डोभाल और वांग यी विशेष प्रतिनिधि वार्ता प्रक्रिया में अपने प्रतिनिधित्व करते हैं।
विज्ञप्ति में कहा गया कि दोनों देश विशेष प्रतिनिधि स्तर पर संपर्क और संवाद को मजबूत बनायेंगे तथा वार्ता एवं समन्वय प्रक्रिया (डब्ल्यूएमसीसी) के तहत निरंतर बैठक करेंगे। दोनों देशों ने सीमा पर विश्वास बहाली के उपायों को मजबूत बनाने पर सहमति व्यक्त की ताकि सीमा पर शांति और सामान्य स्थिति बनी रहे तथा गलवान घाटी जैसी घटना की पुनरावृत्ति न हो।
विज्ञप्ति के अनुसार दोनों पक्षों ने सैनिक और कूटनीतिक स्तर पर हाल में हुई बैठकों की प्रगति का स्वागत किया। साथ ही इन्हें जारी रखने का फैसला किया। सैन्य अधिकारियों के बीच बनी सहमति को जल्द से जल्द लागू करने पर जोर दिया गया जिसके तहत अग्रिम सैन्य टुकड़ियों को हटाने की प्रक्रिया को जल्द-जल्द पूरा किया जाएगा।
चीन के विदेश मंत्रालय ने भारत-चीन सीमा के घटनाक्रम के बारे में अपने पहले से रखे जा रहे पक्ष को दोहराया। मंत्रालय के अनुसार वांग यी ने कहा कि गलवान घाटी में गुण-दोष स्वतः स्पष्ट हैं। वांग यी ने यह भी कहा कि चीन अपने सीमाओं की पूरी मज़बूती से रक्षा करेगा साथ ही सीमा पर शांति और सामान्य स्थिति भी सुनिश्चित करेगा।
वांग यी ने कहा कि भारत और चीन दोनों को ऐसी रणनीतिक सोच रखनी चाहिए की वह एक दूसरे के लिए खतरा न बने। द्विपक्षीय संबंधों की वर्तमान जटिल स्थिति का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि दोनों देशों को साथ मिलकर जल्द से जल्द हालात को सुधारना चाहिए। उन्होंने आशा व्यक्त की कि दोनों देश एक ही दिशा में काम करेंगे तथा अपने यहां जनमत को उचित दिशा देंगे।
वांग यी ने भारत और चीन के बीच कूटनीतिक संबंधों की सत्तरवीं वर्षगांठ का उल्लेख करते हुए कहा कि इन संबंधों को अनेक झंझावातों से गुजरना पड़ा है। दोनों देश द्विपक्षीय संबंधों में आने वाले विवादों को और बढ़ने व जटिल होने देने की बजाय उन्हें मजबूत बनाने की कोशिश करेंगे।