विदेश मंत्री जयशंकर बिम्सटेक सम्मेलन में हुए शामिल, आपसी सहयोग बढ़ाने की अपील

Update: 2022-03-29 09:17 GMT

कोलंबो। विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने मंगलवार को बंगाल की खाड़ी के देशों से वर्तमान वैश्विक परिस्थितियों में अपनी घरेलू क्षमता को पहचानने और बिम्सटेक के अंतर्गत सहयोग को बढ़ाने की अपील की।


'बे ऑफ बंगाल इनीशिएटिव फॉर मल्टी-सेक्ट्रल टेक्निकल एंड इकोनामिक कॉरपोरेशन' के मंत्रीस्तरीय विमर्श में जयशंकर ने यहां भागीदारी की। सदस्यों में भारत के अलावा बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, म्यांमार और थाईलैंड शामिल हैं। जयशंकर ने श्रीलंका के विदेश मंत्री प्रो. जी. एल. पीयरिस को उनके आतिथ्य के लिए धन्यवाद दिया।

अपनी भागीदारी के बारे में विदेश मंत्री ने कहा कि उन्होंने विमर्श में सहयोग के क्षेत्रों, विशेष रूप से कनेक्टिविटी, ऊर्जा तथा समुद्री सहयोग को मजबूत करने और विस्तार देने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। इस दिशा में सक्रिय व्यापार गठबंधन और साझा परियोजनाओं को प्रोत्साहन दिया जाएगा। बन्दरगाह सुविधाएं, नौका सेवाएं और तटीय नौवहन, ग्रिड कनेक्टिविटी तथा मोटर वाहन परिवहन प्रमुख हैं।

अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था और चुनौती - 

विदेश मंत्री कहा कि वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था गंभीर चुनौती से गुजर रही है और हाल के यूक्रेन से जुड़े घटनाक्रम से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक बेचैनी है। इससे यह स्पष्ट है कि अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा तथा स्थिरता को किसी भी तरह स्थाई नहीं माना जा सकता।

 व्यापार और आर्थिक संबंधों को बढ़ावा - 

जयशंकर ने कहा कि हम सभी को बिम्सटेक देशों के बीच व्यापार और आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने के अपने प्रयासों में तेजी लानी चाहिए। इसके लिए क्षेत्रीय आपूर्ति और मूल्य श्रृंखला नेटवर्क के विकास पर ध्यान देना चाहिए। विदेश मंत्री ने जिक्र किया कि बुधवार को ट्रांसपोर्ट कनेक्टिविटी के लिए बिम्सटेक के मास्टर प्लान को अपनाया जाएगा।

चार्टर और मास्टर प्लान पारित - 

विदेश मंत्री ने कहा कि बिम्सटेक सदस्य देशों को मिलकर आतंकवाद, हिंसक चरमपंथ, अंतरराष्ट्रीय अपराध ड्रग तस्करी और साइबर अटैक जैसी नई चुनौतियों पर ध्यान देना जरूरी है। यह हमारी आर्थिक प्रगति को प्रभावित करते हैं। इसके लिए हमें सभी कानूनी व्यवस्थाएं और क्षमताएं विकसित करने के लिए मिलकर प्रयास करना होगा। कल शिखर सम्मेलन में चार्टर और मास्टर प्लान पारित किए जाने की आशा है।

जयशंकर ने इस दौरान ऊर्जा समुद्री सुरक्षा संपर्क सुविधाओं के क्षेत्र में सदस्य देशों से सहयोग का दायरा बढ़ाने की अपील की। साथ ही उन्होंने कहा कि हम सबसे अधिक आपदा संभावित क्षेत्रों में से एक में रहते हैं। हमें अपनी आपदा प्रबंधन क्षमताओं के विकास पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है।प्रधानमंत्री बुधवार को बिम्सटेक देशों के वर्चुअल शिखर सम्मेलन में भागीदारी करेंगे। इस दौरान देशों के बीच आर्थिक सहयोग को बढ़ाने के विषय पर विमर्श होगा।

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