नेपाल के भूकंप प्रभावित इलाके में ठंड से मरने वालों की संख्या 15 हुई

मौसम का पारा गिरने के साथ ही नेपाल के भूकंप प्रभावित इलाकों जाजरकोट और रूकुम पश्चिम में खुले आसमान के नीचे गुजर बसर कर रहे लोगों की मुश्किलें और बढ़ती जा रही हैं। महज एक तिरपाल के सहारे रह रहे इन भूकंप पीडितों को रात गुजारना और अधिक मुश्किल होता जा रहा है। ठंड के कारण इन दोनों जिलों में मरने वालों की संख्या 15 हो गई है।

Update: 2023-11-27 17:19 GMT

काठमांडू । मौसम का पारा गिरने के साथ ही नेपाल के भूकंप प्रभावित इलाकों जाजरकोट और रूकुम पश्चिम में खुले आसमान के नीचे गुजर बसर कर रहे लोगों की मुश्किलें और बढ़ती जा रही हैं। महज एक तिरपाल के सहारे रह रहे इन भूकंप पीडितों को रात गुजारना और अधिक मुश्किल होता जा रहा है। ठंड के कारण इन दोनों जिलों में मरने वालों की संख्या 15 हो गई है। मरने वालों में अधिकतर बुजुर्ग और गर्भवती महिलाएं हैं। बुजुर्गों की ठंड के कारण निमोनिया से मौत हो रही है जबकि अन्य लोगों में कई दूसरी बीमारियां मौत का कारण बन रही हैं। बीती रात ठंड के कारण ही नलगाड नगरपालिका वार्ड नम्बर 8 निवासी एक गर्भवती महिला शर्मिला चादार की मौत होने जानकारी वार्ड अध्यक्ष तेज बहादुर सिंह ने दी है।

इसी तरह रविवार सुबह एक नवजात शिशु मृत पाया गया। भेरी नगरपालिका के वार्ड नम्बर 2 में भूकंप पीड़ितों के लिए बनाए गए आश्रय स्थल में एक महीने की नवजात निरूता पुन की ठंड से ठिठुरकर मौत हो गई। 3 नवम्बर को जाजरकोट को केन्द्र विन्दु बनाकर आए 6.4 की तीव्रता के भूकंप के बाद बेघर हुए लोगों की मौत लगातार ठंड के कारण हो रही है।

जाजरकोट और रूकुम पश्चिम दोनों ही पहाड़ी इलाके हैं, जहां सितम्बर - अक्टूबर से ही कड़ाके की ठंड शुरू हो जाती है। इस समय दोनों जिलों के ऊपरी हिस्से में तो बर्फबारी भी शुरू हो गई है। इसके कारण वहां का तापमान रात को 5 - 10 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। ठंड के कारण भूकम्प पीडितों को कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं से गुजरना पड़ रहा है।

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