नईदिल्ली। विदेशमंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान आज एक गंभीर और चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रहा है तथा इसमें भारत हमेशा की तरह ही अफगान अवाम के साथ खड़ा है। अफ़ग़ानिस्तान में मानवीय त्रासदी पर विचार करने के लिए सोमवार को संयुक्त राष्ट्र की उच्चस्तरीय बैठक को सम्बोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि एक पड़ोसी के रूप में भारत इस घटनाक्रम को लेकर चिंतित है।
उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान एक महत्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रहा है। इसकी राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सुरक्षा की स्थिति में एक बड़ा बदलाव आया है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संस्था यूएनडीपी ने आकलन किया है कि इस देश में गरीबी का स्तर 72 से बढ़कर 97 प्रतिशत होने का खतरा है। यह न केवल गरीबी के खिलाफ हमारी सामूहिक लड़ाई लिए बड़ी चुनौती है बल्कि इससे क्षेत्रीय स्थिरता को भी ख़तरा है।
उड़ान सेवा को सामान्य -
विदेशमंत्री ने अफ़ग़ानिस्तान के बारे में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2593 का हवाला देते हुए कहा कि इसी के आधार पर विश्व बिरादरी को कार्रवाई करनी चाहिए और सहायता के लिए आगे आना चाहिए। उन्होंने मानवीय सहायता मुहैया कराने के लिए कि बाधा मुक्त आवागमन और सुरक्षित मार्ग पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जो लोग अफगानिस्तान में अंदरूनी और बाहर यात्रा करना चाहते हैं, उन्हें बिना किसी रुकावट के ऐसी सुविधाएं दी जानी चाहिए। काबुल हवाई अड्डे से उड़ान सेवा को सामान्य बनाया जाना चाहिए। इससे राहत सामग्री का नियमित वितरण हो सकेगा।
सबसे बड़ी चुनौती आवागमन -
जयशंकर ने कहा कि इस समय सबसे बड़ी चुनौती आवागमन को लेकर है। यह आवश्यक है कि मानवीय सहायता देने वाली संस्थाओं को अफगानिस्तान तक अबाध, अप्रतिबंधित और सीधी पहुंच प्रदान की जाए। एक बार जब राहत सामग्री उस देश में पहुंच जाए तो उसका बिना भेदभाव वितरण जरूरी है। केवल संयुक्त राष्ट्र ही यह सुनिश्चित कर सकता है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि अफ़ग़ान अवाम की सहायता के लिए दुनिया आगे आएगी और जरूरत की घड़ी में अफगान लोगों का साथ देगी।
ऐतिहासिक मित्रता के संबंधों का उल्लेख -
भारत और अफगानिस्तान के ऐतिहासिक मित्रता के संबंधों का उल्लेख करते हुए विदेशमंत्री ने कहा कि भारत हमेशा की तरह अफ़ग़ान अवाम के साथ खड़ा रहेगा। भारत ने पिछले एक दशक में अफगानिस्तान को 10 लाख मीट्रिक टन से अधिक गेहूं उपलब्ध कराया है। पिछले साल भी हमने 75 हजार मीट्रिक टन गेहूं की आपूर्ति कर अफगानिस्तान की सहायता की। भारत ने कई वर्षों में उच्च प्रोटीन बिस्कुट के वितरण के लिए विश्व खाद्य कार्यक्रम में भी भागीदारी की है। इस अभिनव योजना ने विशेष रूप से कमजोर अफगानिस्तान के स्कूल जाने वाले बच्चों को लाभ पहुंचाया।
500 परियोजनाएं -
अफ़ग़ानिस्तान में विकास कार्यों में भारत की मदद का उल्लेख करते हुए विदेशमंत्री ने कहा कि अफगानिस्तान के लोगों के कल्याण के लिए भारत ने तीन अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया है। हमने बिजली, जलापूर्ति, सड़क संपर्क, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, कृषि और क्षमता निर्माण जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में 500 परियोजनाएं शुरू की हैं। भारतीय विकास परियोजनायें आज अफ़ग़ानिस्तान के सभी 34 प्रांतों में मौजूद हैं।