एस जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री से की मुलाकात, कहा- स्वतंत्रता के साथ ही प्रभावी प्रशासन भी जरूरी
नईदिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों और मानवाधिकारों के रिकॉर्ड का उल्लेख करते हुए बुधवार को कहा कि स्वतंत्रता महत्वपूर्ण है और हम उसका सम्मान करते हैं लेकिन उसके लिए शासन संचालन को कमजोर और नकारा नहीं बनाया जा सकता। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता और शासन संचालन दो अलग बातें हैं तथा ऐसी स्थिति पैदा नहीं होने दी जानी चाहिए कि शासन संचालन नदारद रहे।
अमेरिका के विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन के साथ द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और विश्व मामलों पर विचार-विमर्श करने के बाद जयशंकर ने एक साझा प्रेस वार्ता में कहा कि हमने लोकतांत्रिक समाजों के बीच मौजूद चुनौतियां के साथ विभिन्न मुद्दों पर व्यापक चर्चा की।
लोकतंत्र और स्वतंत्रता -
जयशंकर ने कहा कि लोकतांत्रिक शासन प्रणाली में शीर्ष पर बैठे लोगों का यह नैतिक कर्तव्य है कि वह अपने से पहले की गई गलतियों और कमियों को सुधारें। नरेंद्र मोदी सरकार ने विरासत में मिली इन्हीं गलतियों और कमियों से आ रही चुनौतियों के संदर्भ में विगत वर्षों में कड़े फैसले लिए हैं । जयशंकर का संकेत जम्मू-कश्मीर से अनुछेद 370 हटाने और पड़ोसी देशों के प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के फैसलों की ओर था।
अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकन ने कहा कि अमेरिका और भारत दोनों आदर्श लोकतंत्र के लक्ष्य को हासिल करने के लिए दृढ़ संकल्प और प्रयासरत हैं। दोनों के सामने अपने तरह की चुनौतियां हैं। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के आपसी संबंधों का मूल आधार एक जैसी लोकतांत्रिक शासन प्रणाली और मूल्य हैं। इनमें नागरिक स्वतंत्रता, सक्रिय मीडिया और स्वतंत्र न्यायपालिका आदि शामिल हैं।
भारत में लोकतांत्रिक प्रणाली की सराहना करते हुए ब्लिंकन ने कहा कि पिछले लोकसभा चुनाव में मतदान प्रक्रिया दुनिया में होने वाली सबसे बड़ी लोकतांत्रिक कवायत थी। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक देश पूर्णता हासिल करने के लिए प्रयासरत हैं तथा तथा इस सिलसिले में एक दूसरे से सीखते हैं।
अफगानिस्तान -
जयशंकर ने कहा कि अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया को विभिन्न पक्षों द्वारा गंभीरता से लिया जाना चाहिए। किसी भी गुट को अपनी विकृत मानसिकता को थोपने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। भारत चाहता है कि अफगानिस्तान आतंकवाद की पनाहगाह न बने। साथ ही वहां से लोगों को पलायन न हो।
अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकन ने कहा कि अफगानिस्तान के वर्तमान घटनाक्रम और भविष्य के बारे में दोनों देशों की राय एक जैसी है। दोनों देश मानते हैं कि अफगानिस्तान की समस्या का कोई सैन्य समाधान नहीं है बल्कि विभिन्न देशों को वार्ता के जरिए इसे हल करना होगा। दोनों विदेश मंत्रियों ने अफगानिस्तान तालिबान लड़ाकों के हिंसक अभियान और उनकी ओर से की जा रही ज्यादतियों पर चिंता व्यक्त की। जयशंकर ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा कि विभिन्न देश अफगानिस्तान में शांति वार्ता के जरिए शांति स्थापित करने का समर्थन करते हैं लेकिन कुछ देश ऐसे हैं जिनकी कथनी और करनी में अंतर है।
ब्लिंकन ने कहा कि अफगानिस्तान से अमेरिका के नेतृत्व वाली अंतरराष्ट्रीय सेना की वापसी के बावजूद अमेरिका क्षेत्र पहुंच बनाए हुए हैं। उन्होंने कहा तालिबान लड़ाकू की ओर से की जा रही ज्यादतियों की निंदा करते हुए कहा कि इससे तालिबान दुनिया भर में अलग-थलग पड़ जाएगा। उन्होंने कहा कि तालिबान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता और समर्थन चाहता है लेकिन उसकी इस तरह की इस तरह की हरकतें करना उसके पक्ष में नहीं है।
हिन्द-प्रशांत व क्वाड -
दोनों विदेश मंत्रियों ने हिंद-प्रशांत और इस क्षेत्र में उभर रहे क्वाड के बारे में भी अपने विचार व्यक्त किए। एस जयशंकर ने क्वाड को लेकर चीन सरकार की आपत्तियों और आशंकाओं को खारिज करते हुए कहा कि यह किसी देश के खिलाफ लक्षित नहीं है। उन्होंने कहा कि विभिन्न देश अपने राष्ट्रीय हितों को पूरा करने के लिए विभिन्न क्षेत्रीय और बहुपक्षीय संगठनों में शामिल होते हैं या भाग लेते हैं।
अमेरिकी विदेश मंत्री ने अपनी ओर से स्पष्ट किया कि क्वाड एक सैनिक गठबंधन है। उन्होंने कहा कि हिन्द-प्रशांत में मुक्त और बाधारहित नौवहन बनाए रखने के लिए वहां अमेरिका और भारत सहित सदस्य देश अपने प्रयासों में समन्वय कायम कर रहे हैं। यह सहयोग इस क्षेत्र में शांति और स्थायित्व कायम करने में सहयोगी सिद्ध होगा।
कोरोना महामारी -
मंत्रियों ने दोनों विदेश मंत्रियों ने करो ना महामारी का मुकाबला करने के लिए आपसी सहयोग पर भी विचार विमर्श किया। जयशंकर ने कोरोना वैक्सीन के उत्पादन के काम में आने वाले कच्चे माल की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए अमेरिका के प्रति आभार व्यक्त किया उन्होंने अमेरिकी प्रशासन द्वारा भारतीय छात्रों को यात्रा अनुमति दिए जाने के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि अन्य लोगों को भी ऐसी ही सुविधा मुहैया कराई जाएगी।
ब्लिंकन ने कोरोना महामारी के शुरुआती दौर में भारत की ओर से दी गई सहायता के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने महामारी का मुकाबला करने के लिए भारत को 20 करोड़ डॉलर की आर्थिक मदद दी थी। अब अमेरिका टीकाकरण अभियान के लिए भारत ढाई करोड़ डॉलर की सहायता देगा। दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इस वर्ष के अंत में दोनों देशों के रक्षा और विदेश मंत्री 'टू प्ल टू' प्रक्रिया के तहत वाशिंगटन में बैठक करेंगे।