पाकिस्तान सेना के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले पूर्व प्रधानमंत्री नवाज की बढ़ी मुश्किल, 30 दिन की मोहलत
इस्लामाबाद। विपक्षी गठबंधन पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट के जरिए सेना और इमरान सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के लिए लगातार मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने अल अजीजिया और एवनफील्ड भ्रष्टाचार मामले में पूर्व प्रधानमंत्री से दो टूक कह दिया है कि वह 30 दिनों के भीतर सरेंडर करें या फिर उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया जाएगा। कोर्ट ने सरकार से पाकिस्तान के दो अखबारों के साथ ब्रिटेन के एक अखबार में समन छपवाने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने कहा है कि अखबारों में विज्ञापन छपने के तीन दिन के भीतर यदि नवाज शरीफ कोर्ट में पेश नहीं हुए तो उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया जाएगा। कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया कि वह दो दिन के भीतर अखबारों में विज्ञापन की रसीद जमा करे। कोर्ट ने यह भी कहा है कि न्यूज पेपर में विज्ञापन छपने के बाद इसे कई स्थानों पर चिपकाया जाए। बुधवार को सुनवाई के दौरान इस्लामाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस आमेर फारूक और जस्टिस मोसिन अख्तर कयानी की बेंच ने कहा कि अखबार में विज्ञापन वाले पन्ने को नवाज शरीफ के लंदन और लाहौर वाले खबर के बाहर भी चिपकाया जाए।
इससे पहले कोर्ट को बताया गया कि नवाज शरीफ को गैर जमानती वॉरंट भेजा गया, लेकिन इसे रिसीव नहीं किया गया। कोर्ट ने पिछले साल मेडिकल ग्राउंड पर नवाज शरीफ को 8 सप्ताह की जमानत दी थी, जो फरवरी में खत्म हो चुकी है। नवाज शरीफ इस समय लंदन में हैं और वहीं से दोबारा पाकिस्तान की राजनीति में सक्रियता बढ़ा रहे हैं।
कई बार जारी हो चुके अरेस्ट वॉरंट को रिसीव करने से इनकार करने की वजह से पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को अपराधी घोषित किया गया था। नवाज शरीफ को एक बार बाय हैंड तो एक बार ब्रिटेन रॉयल मेल के जरिए अरेस्ट वॉरंट भेजा जा चुका है। इमरान खान सरकार ने ब्रिटेन सरकार से पूर्व प्रधानमंत्री को प्रत्यर्पित करने की भी मांग की थी।
जस्टिस आमीर फारूक ने सुनवाई के दौरान पूछा कि नवाज शरीफ को वापस लाने के लिए अगली प्रक्रिया क्या होगी। इसके जवाब में NAB के अडिशनल प्रोसिक्यूटर जनरल जाहनजायब भरवाना ने कहा कि नवाज सरीफ को भगोड़ा घोषित कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट हो चुका है कि वह जानबूझकर वॉरंट प्राप्त नहीं कर रहे हैं।