नेपाली सेना ने तेज किया दार्चूला-तिंकर सड़क निर्माण का काम
सरकार ने 29 अप्रैल को सड़क बनाने का काम नेपाली सेना को सौंपा था
पिथौरागढ़। चीन सीमा तक भारत ने सड़क पहुंचाई तो अब नेपाल ने भी दार्चूला-तिंकर सड़क के अधूरे काम को तेज कर दिया है। दो दिन से नेपाली सेना के वाहनों और हेलीकॉप्टर से निर्माण कार्य के लिए जरूरी सामग्री और मशीनरी खलंगा और घाटीबगड़ यहां पहुंचाई गई है।
दरअसल, भारत पहले ही चीन सीमा पर लिपुलेख तक सड़क बना चुका है। आठ मई, 2020 को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये इसका उद्घाटन किया था। उधर, सड़क के उद्घाटन के अगले दिन ही नेपाल के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर इस पर आपत्ति जताई थी। तब से चीन के उकसावे पर नेपाल अब भारत विरोधी गतिविधियां चला रहा है। नेपाल सरकार ने अपने नक्शे में भारत के कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को दिखाने के बाद सीमा पर सशस्त्र प्रहरी बल की सात बीओपी और कंपनी हेडक्वार्टर खोल चुका है। नेपाल के एफएम चैनल पर भारत विरोधी दुष्प्रचार भी इन इलाकों को लेकर किया जा रहा है।
नेपाल की मंत्रिपरिषद ने 29 अप्रैल को दार्चूला तिंकर सड़क बनाने का काम नेपाली सेना को सौंपा था। 2008 से बन रही इस सड़क का निर्माण काफी धीमी गति से होने के कारण 12 साल में तकरीबन 40 किलोमीटर हिस्से पर ही काम हो पाया है। हालांकि दार्चूला-तिंकर सड़क बांस गांव पालिका वार्ड नंबर दो गांधीनगर से तिंकर तक कुल 87 किलोमीटर बननी है। सड़क का निर्माण कार्य नेपाली सेना को अब इसलिए सौंपा गया है ताकि सड़क बनाने का काम तेजी से हो और इसे जल्द से जल्द पूरा किया जा सके।
शुक्रवार को नेपाली सेना मुख्यालय से ब्रिगेडियर रमेश गुरुंग की अगुवाई में आठ वाहनों के काफिले में 53 लोगों की टीम सड़क बनाने के जरूरी उपकरणों और मशीनों के साथ खलंगा पहुंची थी। सड़क निर्माण के साजो-सामान लाने का क्रम शनिवार को भी जारी रहा। आज हेलीकॉप्टर के जरिये नेपाल ने जरूरी सामग्री घाटीबगड़ पहुंचाई है। इससे उसके इरादे साफ हैं कि वह पिछले 12 साल से अधर में अटके सड़क निर्माण कार्य को जल्द से जल्द पूरा कर भारतीय सीमा तक अपनी पहुंच आसान करना चाहता है।