नीरव मोदी प्रत्यर्पण केस : ब्रिटेन की अदालत ने खारिज की याचिका, पढ़े पूरी खबर

Update: 2020-09-07 14:20 GMT

लंदन। पंजाब नेशनल बैंक से करीब दो अरब डॉलर की धोखाधड़ी और धनशोधन के मामले में भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी के प्रत्यर्पण के मुकदमे की पांच दिन की सुनवाई सोमवार को ब्रिटेन की अदालत में शुरू हो गई। मोदी पिछले साल मार्च में अपनी गिरफ्तारी के बाद से ही लंदन की एक जेल में सलाखों के पीछे हैं। वह वीडियो लिंक के जरिए पेश हुआ, जिसमें उसने गहरे रंग का सूट पहना हुआ था और उसकी दाढ़ी थी। मुकदमे का दूसरा चरण वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट अदालत में जारी है।

बता दें कि वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट ने सोमवार को नीरव मोदी की डिफेंस टीम की याचिका को ठुकरा दिया, जिसमें अपने गवाह उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश अभय थिप्से के अगले बयान को गुप्त रखने की मांग की थी। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मई में पहली गवाही के बाद थिप्से पर बगैर सोचे-समझे प्रतिक्रिया व्यक्त करने का आरोप लगाया था।

थिप्से ने 13 मई को भारत से वीडियोकॉल के माध्यम से अदालत को बताया था कि नीरव मोदी के खिलाफ भारत सरकार के आरोप भारतीय अदालत में नहीं टिक पाएंगे। अगले दिन रविशंकर प्रसाद ने कथित तौर पर नई दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर थिप्से और कांग्रेस पर हमला किया गया।

नीरव मोदी के वकील क्लेयर मोंटगोमरी ने न्यायाधीश सैमुअल गूजी से कहा कि वे थिप्से के अगले बयान को गुप्त रूप से आयोजित करें या रिपोर्टिंग प्रतिबंध लगाएं ताकि उनके अगले बयान की रिपोर्ट न हो और वह फिर से भारत में हमलों का विषय न बने। कोर्ट में उन्होंने आरोप लगाया कि थिप्से के बयान के बाद रविशंकर प्रसादन ने घृणापूर्ण हमला किया। मीडिया में भी उनकी नेगेटिव रिपोर्टिंग की गई। उन्होंने कहा कि थिप्से ने चिंता व्यक्त की थी कि इस मामले में एक और उपस्थिति अधिक हमलों का कारण बनेगी।

जज गोज़ी ने उदाहरणों और विवरणों का उल्लेख करते हुए कहा कि परिस्थितियों ने थिप्से के अगले बयान को गुप्त रूप से रखने या रिपोर्टिंग प्रतिबंध लगाने का औचित्य नहीं बताया। उन्होंने कहा कि पूर्व जज ने और सबूत देने से इनकार नहीं किया।

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) तथा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के प्रतिनिधि अदालत में मौजूद थे। ब्रिटेन की शाही अभियोजन सेवाा (सीपीएस) जिला न्यायाधीश सैम्युल गूजी के समक्ष उनके मुकदमे की पैरवी कर रही है। भारत सरकार द्वारा अतिरिक्त पुख्ता सबूत जमा कराने के बाद दलीलों को पूरा करने के लिए इस सप्ताह हो रही सुनवाई महत्वपूण है।

इसके बाद अदालत अतिरिक्त प्रत्यर्पण आवेदन को देखेगी, जो इस साल के शुरू में भारतीय अधिकारियों ने किए हैं और ब्रिटेन की गृह मंत्री प्रीति पटेल ने उसे प्रमाणित किया है। इसमें मोदी के खिलाफ सबूतों को नष्ट करने, गवाहों को धमकाने या जान से मारने की धमकी के आरोप जोड़े गए हैं।

कोरोना वायरस के कारण लागू पाबंदियों के मद्देनजर न्यायाधीश गूजी ने निर्देश दिया कि मोदी को दक्षिण पश्चिम लंदन की वैंड्सवर्थ कारावास के एक कमरे से पेश किया जाए और सामाजिक दूरी का ध्यान रखा जाए। न्यायाधीश गूजी ने मई में प्रत्यर्पण मुकदमे के पहले चरण की सुनवाई की थी। इस दौरान मोदी के खिलाफ धोखाधड़ी और धन शोधन का प्रथम दृष्टया मामला कायम करने का अनुरोध किया गया था।

गूजी पहले ही कह चुके हैं कि अलग अलग प्रत्यर्पण अनुरोध आपस में जुड़े हुए हैं और सभी दलीलों को सुनने के बाद ही वह अपना फैसला देंगे। अतिरिक्त सुनवाई तीन नवंबर को होनी है, जिसमें न्यायाधीश सबूतों को स्वीकार करने पर व्यवस्था देंगे जो उनके समक्ष रखे जाएंगे और एक दिसंबर को दोनो पक्ष अंतिम अभिवेदन देंगे। इसका मतलब है कि भारतीय अदालतों में मोदी जवाबदेह है या नहीं, इस पर उनका फैसला दिसंबर में अंतिम सुनवाई के बाद ही आएगा।

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