न्यूयॉर्क। संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान और म्यांमार को बोलने को मौका नहीं दिया जाएगा। इसका कारण इन दोनों देशों की वर्तमान सरकार का बंदूक के बल पर तख्तापलट कर सत्ता हथियाना है। ऐसा करके संयुक्त राष्ट्र ने इन सैन्य सरकारों के मंसूबों पर पानी फेर दिया है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र के उच्च स्तरीय आम चर्चा के आखिरी दिन के वक्ताओं की सूची में अफगानिस्तान और म्यांमार से किसी वक्ता का नाम शामिल नहीं है। शुक्रवार को महासचिव के प्रवक्ता, स्टीफन दुजारिक ने कहा था कि सोमवार के लिए सूची में अंकित अफगानिस्तान के प्रतिनिधि गुलाम एम. इसाकजई हैं। वहीं, म्यांमार में तख्तापलट के बाद सैन्य शासकों ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र में देश के राजदूत क्याव मो तुन को बर्खास्त कर दिया गया है और वे चाहते हैं कि आंग थुरिन उनकी जगह लें। सैन्य अधिग्रहण के बाद 26 फरवरी को महासभा की बैठक में तुन ने देश में लोकतंत्र को बहाल करने के लिए 'अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मजबूत संभव कार्रवाई' करने की अपील की थी।
उधर, अफगानिस्तान में लोकतांत्रिक सरकार को अपदस्थ कर बंदूक के सहारे सत्ता पर कब्जा जमाने वाले तालिबान की इच्छा भी पूरी नहीं हो पाई। पिछले सप्ताह तालिबान ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतिनो गुआतरेस को खत लिखकर अपने प्रवक्ता सुहैल शाहीन को संयुक्त राष्ट्र में अपना दूत नियुक्त करने और महामसभा को संबोधित करने का मौका देने की मांग की थी।