भारत में अनुच्छेद-370 को लेकर पाक नहीं आ रहा है बाज, तुर्की, मलेशिया और चीन को शामिल करने की कोशिश

Update: 2020-07-28 09:48 GMT

नई दिल्ली। 5 अगस्त को कश्मीर से अनुच्छेद-370 को खत्म किए हुए 1 साल पूरा हो जाएगा और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान जो जम्मू-कश्मीर के खिलाफ आवाज उठाने को अपनी महत्वपूर्ण उपलब्धि मानते हैं, वो इस मौके पर आईएसआई के साथ मिलकर अपने 18-प्वाइंट नाम के एक प्लान को बढ़ाने जा रहे हैं। ISI पाकिस्तान की कुख्यात जासूसी एजेंसी है, जिस पर आतंकी गुटों को बढ़ावा देने का आरोप है। ये एजेंसी ज्यादातर भारत और अफगानिस्तान के खिलाफ काम करती है।

अपने 18-प्वाइंट प्लान में इमरान ख़ान पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में एक सभा आयोजित करेंगे और वहां के लोगों को संबोधित करेंगे। वो एक स्पीच देंगे, जिसका लाइव टेलिकास्ट होगा। इमरान ख़ान के मुज़फ़्फ़राबाद पहुंचने से पहले पाकिस्तान सरकार विदेशी पत्रकारों का एक दौरा कराएगी लेकिन विदेशी पत्रकार आईएसआई द्वारा फंडेड आंतकवादी शिविरों को नहीं देख पाएंगे।

भारत ने संविधान के तहत, जम्मू और कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों - जम्मू और कश्मीर और लद्दाख में बांटने का कानून बनाया। ये कानून 5 अगस्त को राज्यसभा में बना था और अगले दिन लोकसभा में पास हो गया था। 9 अगस्त को इसे राष्ट्रपति की भी सहमति प्राप्त हो गई थी। इस कानून के लागू होते ही जम्मू-कश्मीर में शांति बनाए रखने के लिए लॉकडाउन लगा दिया गया था और वहां के बड़े नेताओं को नज़रबंद कर लिया गया था. जिनमें से ज़्यादातर को अब रिलीज़ कर दिया गया है पीडीपी की महबूबा मुफ्ती जैसे कुछ नेताओं को छोड़कर।

भारत के अनुच्छेद 370 हटाने के बाद से ही पाकिस्तान ने भारत के ख़िलाफ अंतरराष्ट्रीय अभियान चलाने शुरू कर दिए थे। इमरान ख़ान ने सितंबर में संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा में दिए अपने भाषण में कहा था कि लॉकडाउन हटने के बाद कश्मीर में ख़ून की नदिया बहेंगी और घाटी की गलियों नरसंहार होगा। इमरान ख़ान ने परमाणु हथियारों का संदर्भ देते हुए अपने भाषण से दुनिया के देशों को इस मामले में हस्तक्षेप कर ने के लिए ब्लैकमेल भी किया। इसके बाद दो अन्य देशों ने कश्मीर के मुद्दे पर बात की तुक्री और मलेशिया जिसका नेतृत्व माहतिर मोहम्मद कर रहे थे लेकिन उनकी मृत्यु हो गई।

चीन ने भी भारत के अनुच्छेद 370 को खत्म करने पर दो बयान जारी किए थे। पहला जिसमें भारत और पाकिस्तान से कश्मीर मुद्दे पर एक साथ काम करने को कहा। लेकिन इसके पीछे की असली चिंता लद्दाख को संघ प्रशासित क्षेत्र में बदलने पर था। दसूरा जिसमें चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि चीन हमेशा भारत के प्रशासनिक क्षेत्र में चीन-भारत सीमा के पश्चिमी क्षेत्र में चीनी क्षेत्र को शामिल करने का विरोध करता है। जिस पर भारत ने कहा था कि अपने क्षेत्र को केंद्रशासित प्रदेश में बदलना भारत का आंतिरक मामला है।

अपने 5 अगस्त की योजना के लिए पाक सरकार कुआलालंपुर, अंकारा और बीजिंग तक अपनी आवाज़ पहुंचाने में लगे हैं या फिर कम से कम इस बारे में ट्वीट कर कर रहे हैं.तुर्की के इस प्लान में शामिल होने की उम्मीद की जा रही है लेकिन भारत देखना चाहता है कि मलेशिया इसपर क्या प्रतिक्रिया देता है. मलेशिया को हाल ही में नए प्रधानमंत्री मिले हैं मुह्यिदीन यासिन ने 1 मार्च को प्रधानमंत्री पद की शपथ ली है.चीन के एक सरकारी अधिकारी ने कहा है कि इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि भारत ने अपने क्षेत्र का विस्तार करने का प्रयास कैसे किया। इसके कारण पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में गतिरोध और खूनी टकराव हुआ और वास्तविक नियंत्रण रेखा एलएसी में 40 साल में पहली बार सैनिकों की मौत हुई।

विदेशी मंत्रालय को कहा गया है कि वो आएसआई के साथ मिलकर काम करें कि वो कैसे ओआईसी के मेंबर देशों, अतंराष्ट्रीय मानवीय अधिकारों समूहों के साथ किस तरह के आयोजन और रैलियों की तैयारियां कर रहे हैं। काउंटर टेरेर ऑफिशियल्स ने हिंदुस्तान टाईम्स को बताया कि ये अभियान पाक सेना ने इमरान के लिए तैयार किया है. डॉक्यूमेंट्री, पेंप्लेट्स और कुछ बड़े अखबार इस अभियान का हिस्सा होंगे ये सारी तैयारी सेना ने की है. इमरान खान सिर्फ इसका चेहरा होंगे। आईएसआई की तरह काफी लोगों ने कश्मीर में आंतकवादी समूह बनाकर गतिविधियों को अंजाम देने की कोशिश की थी जिससे ये साबित किया जा सके कि कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद आतंक फैल गया है, पाकिस्तान ने ऐसा प्रचार करने की भरपूर कोशिश की थी।

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