इस्लामाबाद । पाकिस्तान की जेल में बंद मौत की सजा पाए भारत के कुलभूषण जाधव पर वहां की सुप्रीम कोर्ट का फैसला लागू नहीं होता। पाकिस्तान ने इस मामले में कहा है कि सैन्य अधिकारियों को आम लोगों पर मुकदमा चलाने से रोकने संबंधी उच्चतम न्यायालय का फैसला भारतीय कैदी कुलभूषण जाधव के मामले में लागू नहीं हो सकता, जिन्हें मौत की सजा सुनाई गई है। शीर्ष अदालत ने 23 अक्टूबर को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए नौ मई की हिंसा के बाद गिरफ्तार किए गए लोगों के खिलाफ सैन्य मुकदमे को अमान्य घोषित कर दिया था।
कुलभूषण को जो सजा दी गई वह विदेशी एजेंट को दी जानेवाली कानून के अनुरूप सजा है
विदेश विभाग की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलूच से जब 53 वर्षीय जाधव के मामले पर इस फैसले के असर के बारे में पूछा गया तो उन्होंने जवाब दिया कि मुझे इस मामले में हमारी कानूनी टीम से पूछना पड़ेगा। लेकिन जहां तक मुझे जानकारी है, यह अलग मसला है। वहीं मुमताज जहरा ने आगे कहा कि यह एक ऐसे व्यक्ति से संबंधित है जो भारतीय नौसेना का सेवारत अधिकारी था। उन्होंने कहा कि कुलभूषण को जो सजा दी गई है, वह विदेशी एजेंट द्वारा की जाने वाले जासूसी से संबंधित पाकिस्तान के कानून के ही अनुरूप है और सही है।
इस मामले में अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय का निर्णय भी आया है सामने
गौरतलब है कि अप्रैल 2017 में कथित जासूसी और आतंक फैलाने के आरोप में जाधव को पाकिस्तानी सैन्य कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी। वहीं, इस मामले में भारत ने जाधव को राजनयिक पहुंच देने से इनकार करने और मौत की सजा को चुनौती देने के लिए पाकिस्तान के खिलाफ अंतराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) का दरवाजा खटखटाया था। जहां पर दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हेग स्थित अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) ने जुलाई 2019 में इस मामले में पाकिस्तान से कहा था कि वह भारत को जाधव तक राजनयिक पहुंच प्रदान करे और सजा की समीक्षा भी सुनिश्चित करेगा।