कोलंबो। श्रीलंका के राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे ने कहा है कि श्रीलंका भारत की सुरक्षा के लिए खतरा नहीं बनेगा। उन्होंने कहा कि उनका देश किसी भी ऐसी गतिविधि के लिए अपनी भूमि का प्रयोग करने की अनुमति नहीं देगा जो भारत की सुरक्षा के लिए खतरा हो। उन्होंने भारत के विदेशी सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला के साथ हुई मुलाकात में यह आश्वासन दिया।
हर्षवर्धन श्रृंगला और राजपक्षे की बैठक के दौरान श्रीलंका की सेना के लिए भारत में प्रशिक्षण के अवसरों को बढ़ाने पर भी चर्चा हुई। श्रीलंका के राष्ट्रपति ने हिंद महासागर को शांति क्षेत्र घोषित करने के पूर्व प्रधानमंत्री सिरिमावो भंडारनायके के 1971 के प्रस्ताव को फिर से पेश करने की आवश्यकता को दोहराया और इस प्रयास के लिए भारत के समर्थन का आग्रह किया। उन्होंने इस दौरान श्रृंगला को बताया कि वह तमिल समुदाय के लोगों को फिर से देश में वापस लाने के लिए प्रयास कर रहे हैं जो देश छोड़कर चले गए थे। उन्होंने हाल ही में यूनाइटेड नेशंस समिट में भी तमिल समुदाय के लोगों को खुला निमंत्रण दिया था।
भारतीय निवेशकों को श्रीलंका आने का न्योता देते हुए उन्होंने कहा कि पूर्व में त्रिंकोमाली तेल टैंकों से संबंधित मुद्दे को हल करने की जिम्मेदारी विषय मंत्री को सौंपी गई है, जिससे दोनों देशों को लाभ होगा। राजपक्षे ने आश्वासन दिया कि दोनों देशों में मछुआरों से संबंधित लंबे समय से चले आ रहे मुद्दे को सुलझाया जा सकता है, जिससे दोनों पक्षों के मछली पकड़ने वाले समुदायों को लाभ मिलेगा। राजपक्षे ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को श्रीलंका आने का निमंत्रण भी दिया।