ताइपे। कोरोना वायरस संकट के बीच चीन और ताइवान के विवाद बढ़ता नजर आ रहा है। चीन के दक्षिण चीन सागर में ताइवान के नियंत्रण वाले दोंगशा द्वीप समूह पर कब्जा करने का युद्धाभ्यास करने का ऐलान करने के बाद तनाव और बढ़ गया है। अब ताइवान ने घोषणा की है कि वह जून महीने में फायरिंग का अभ्यास करेगा। ताइवान ने कहा है कि इस अभ्यास के दौरान दोंगशा द्वीप समूह पर मोर्टार और मशीनगन पोजिशन की परख की जाएगी।
दोंगशा द्वीप समूह में एक द्वीप और दो कोरल रीफ हैं। इसके दो किनारे हैं। ताइवान ने इसे नैशनल पार्क घोषित कर रखा है। इससे पहले सोमवार को आई खबरों में कहा गया था कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी अगस्त महीने में साउथ चाइना सी में व्यापक पैमाने पर लैंडिंग का अभ्यास करेगी। यह एक तरीके से दोंगशा द्वीप पर कब्जा करने का 'छद्म अभ्यास' होगा।
जापान की क्योदो न्यूज एजेंसी के मुताबिक पीएलए के लैंडिंग एक्सरसाइज को दक्षिण थिएटर कमांड की ओर से आयोजित किया जाएगा और इसमें बड़े पैमाने पर जंगी जहाज, पानी और जमीन दोनों पर चलने में सक्षम होवरक्राफ्ट, हेलिकॉप्टर और मरीन शामिल होंगे। इस बीच ताइवान ने चीन के किसी भी दुस्साहस का जवाब देने के लिए दोंगशा द्वीप समूह पर कोस्ट गार्ड की दो स्क्वाड्रन तैनात कर दी है।
इसके अलावा 20, 40, 81 और 120 एमएम के मोर्टार भी द्वीप समूह पर तैनात किए गए हैं। साथ ही पैदल सेना के लिए जरूरी उपकरण भी कोस्ट गार्ड को दिए गए हैं। यही नहीं द्वीप समूह पर सैन्य प्रतिष्ठानों को उन्नत किया गया है। ताइवान सरकार ने कहा कि चीन के कब्जे के किसी भी प्रयास का जवाब देने के लिए निगरानी और खुफिया गतिविधियों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
दरअसल, चीन ने कोरोना वायरस के खिलाफ जंग पर बढ़त हासिल कर ली है और अब अपना ध्यान साउथ चाइना सी की तरफ लगा रहा है। चीन वहां अपना सैन्य जाल बिछा रहा है। चीन की हरकतों को देखते हुए अमेरिका ने भी इलाके में अपने तीन युद्ध पोत भेजे हैं। इसके बाद से ही इलाके में तनाव की स्थिति पैदा हो गई है। माना जा रहा है कि चीन साउथ चाइना सी से पेट्रोकेमिकल्स व अन्य मिनरल निकालना चाहता है और इलाके में एक न्यूक्लियर रिएक्टर भी बना सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि साउथ चाइना सी पर युद्ध के हालात पैदा हो सकते हैं जिस युद्ध में चीन, अमेरिका और रूस शामिल हो सकते हैं। उधर, चीन के रक्षा मंत्री जनरल वेइ फंगे ने कहा कि अगर अमेरिका की तरफ से युद्ध के हालत पैदा किए गए तो पेइचिंग हर कीमत पर लड़ने को तैयार है। दक्षिण चीन सागर वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए काफी महत्वपूर्ण है। यहां दुनिया का सबसे महंगा शिपिंग लेन है। हर साल इस रास्ते से 3.4 ट्रिलियन पाउंड का व्यापार होता है। ब्रिटेन का 12 प्रतिशत समुद्री व्यापार यानी 97 अरब डॉलर का निर्यात-आयात इसी क्षेत्र से होता है।