अफगानिस्तान में महिलाओं ने खोला तालिबान के खिलाफ मोर्चा, आंसू गैस के गोले दागे
काबुल। अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा होने के बाद महिलाओं के साथ बर्बरता और क्रूरता की तस्वीरें सामने आ रही है। तालिबान ने महिलाओं को शरिया कानून के मुताबिक सुविधाएं देने की बात कहीं है। लेकिन स्थिति इसके विपरीत नजर आ रही है।महिलाओं को बुर्के और हिजब में कैद कर दिया गया है। इसके साथ ही नौकरी, व्यापार करने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। जिसके परिणाम स्वरूप महिलाओं ने तालिबान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
बीते दो दिनों से तालिबान के विरुद्ध चल रहा महिलाओं का प्रदर्शन आज हिंसक हो गया। तालिबान ने उन्हें प्रेसिडेंशियल पैलेस में जाने से रोकने के लिए आंसू गैस के गोले दागे। ये महिलाएं नई सरकार में प्रतिनिधित्व चाहती हैं। ये चाहती हैं कि इन्हें इनका अधिकार मिले औऱ ये राजनीतिक तौर पर निर्णायक भूमिका भी निभाएं। महिला अधिकारों के लिए लड़ने वाले समूह ने तालिबान से मांग की है कि वर्तमान की सरकार में महिलाओं को अवसर दिया जाए। समूह ने इस प्रदर्शन से संबंधित वीडियो की लाइव स्ट्रीमिंग भी की है।
विशेषज्ञों का मानना है कि आतंकवादी समूह शासन के तहत अफगान महिलाओं को अनिश्चित भविष्य का सामना करना पड़ सकता है। इससे पहले दर्जनों अफगान महिलाओं ने गुरुवार को पश्चिमी अफगान शहर हेरात में विरोध प्रदर्शन किया था, जिसमें तालिबान द्वारा युद्धग्रस्त देश पर नियंत्रण करने के बाद सरकार के गठन में अधिकारों और महिला प्रतिनिधित्व की मांग की गई थी। हाल के हफ्तों में तालिबान महिलाओं के काम करने के बारे में मिश्रित संदेश भेज रहा है। अगस्त के अंत में समूह के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा कि सरकार के साथ काम करने वाली महिलाओं को तब तक घर पर रहना चाहिए जब तक वे सड़कों और कार्यालयों में अपनी सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर लेतीं।