ग्वालियर में राशन वितरण में गड़बड़ी: पात्र परिवारों को नहीं मिल रहा राशन, सीएम हेल्पलाइन पर भी शिकायत

Update: 2025-01-19 08:53 GMT

ग्वालियर में राशन वितरण में गड़बड़ी

Gwalior Ration Slip : ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में राशन वितरण को लेकर एक बड़ा घोटाला सामने आ रहा है. यहां जरूरतमंद परिवारों के अलावा कई अपात्र परिवार भी राशन का फायदा उठा रहे हैं।सूत्रों के अनुसार, ग्वालियर में 12 हजार से ज्यादा लोगों के राशन कार्ड पर्चियां पिछले छह महीने से रुकी हुई हैं और कई परिवारों को राशन प्राप्त नहीं हो रहा है। इस समस्या को लेकर सीएम हेल्पलाइन पर कई शिकायतें भी दर्ज कराई गई हैं। 

राशन वितरण की इस गड़बड़ी को ठीक करने और जरूरतमंद परिवारों को उनका हक दिलाने के लिए मुख्यालय ने जिला स्तर पर जांच शुरू करने का निर्णय लिया है। इसके लिए छह बिंदुओं को आधार बनाकर पात्र परिवारों की पहचान की जाएगी, जिनमें परिवार के आकार और उम्र से संबंधित मानदंड होंगे।

अगर किसी परिवार के सदस्य एक या दो हैं, या फिर एक घर में 7 से 10 या इससे अधिक सदस्य रहते हैं, जिनकी उम्र 18 वर्ष से कम या 80 वर्ष से अधिक है, तो ऐसे परिवारों की जांच की जाएगी। यह जांच अगले सप्ताह से शुरू होगी, और टीम घर-घर जाकर इन बिंदुओं पर जांच करेगी।

जिन परिवारों को राशन नहीं मिल रहा है उन्हें अब बाजार से महंगे दामों पर राशन खरीदने को मजबूर होना पड़ रहा है। इन परिवारों ने कई बार सीएम हेल्पलाइन (CM Helpline) पर शिकायत दर्ज कराई है, लेकिन अभी तक स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। इस घोटाले के कारण शहरी सीमा (Urban Area) के 6,947 परिवार संदिग्ध हैं और उनकी जांच की जाएगी।

प्रमुख सचिव (Principal Secretary) के अनुसार, वर्ष 2011 की जनसंख्या के आधार पर राज्य में राशन के लिए पात्र परिवारों की सीमा तय की गई थी, जो 546.42 लाख थी, लेकिन अब ई-श्रम पोर्टल (e-Shram Portal) के माध्यम से श्रमिकों का पंजीकरण हो रहा है, जिससे पात्र परिवारों की संख्या बढ़कर 555 लाख हो गई है। इसके बाद कई परिवार राशन लेने के लिए पात्र नहीं हो पाए हैं। जांच के बाद जो भी संदिग्ध परिवार होंगे, उन्हें पोर्टल से हटा दिया जाएगा, हालांकि फिलहाल पोर्टल बंद है।

इस राशन वितरण घोटाले ने ग्वालियर के कई परिवारों को परेशान कर दिया है और अब जिला प्रशासन ने इसे सुलझाने के लिए कदम उठाए हैं. आने वाले समय में और भी कार्रवाई की संभावना है, जिससे जरूरतमंद परिवारों को उनका हक मिल सके।


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