श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद: इलाहाबाद हाई कोर्ट से मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका…

सभी मुकदमों को एकीकृत करने का केस पर फैसला वापस लेने से किया इनकार।

Update: 2024-10-23 15:30 GMT

प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद से संबंधित 15 मुकदमों को एकीकृत करने के अपने जनवरी 2024 के आदेश के खिलाफ दायर रिकॉल आवेदन को खारिज कर दिया। यह आवेदन मुस्लिम पक्ष की ओर से दायर किया गया था। बीते दिनों कोर्ट ने मामले में सुनवाई पूरी की थी और फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए मुस्लिम पक्ष की अपील को खारिज कर दिया है, जिसमें मांग की गई है कि कोर्ट मुकदमे को कंबाइन करने के अपने फैसले को वापस ले ले।

दरअसल, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पिछले हफ्ते मुस्लिम पक्ष की ओर से दायर उस आवेदन पर फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसमें कोर्ट के 11 जनवरी 2024 के आदेश को वापस लेने का अनुरोध किया गया था। इस आदेश में हाई कोर्ट ने हिंदू पक्ष की ओर से दायर सभी मामले से संबंधित सभी मुकदमों को एक साथ जोड़ दिया था। इस फैसले के खिलाफ मुस्लिम पक्ष की ओर से याचिका दाखिल की गई थी। मुस्लिम पक्ष की ओर से पेश हुए अधिवक्ता तस्नीम अहमदी ने कहा कि 11 जनवरी 2024 के कोर्ट के उस आदेश को वापस लिया जाना चाहिए, जिसके तहत सभी मुकदमों को एक साथ जोड़ दिया गया था।

क्या बोला हिंदू पक्ष : हालांकि, हिंदू पक्ष का कहना है कि एक बार जब कोर्ट की यह राय बन जाती है कि राहतें समान हैं, संपत्ति समान है और प्रतिवादी भी समान हैं तो मुकदमों को एक साथ जोड़ना कोर्ट का अधिकार क्षेत्र है। हिंदू पक्ष की ओर से पेश अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने कहा कि एक साथ जोड़ने का मतलब यह नहीं है कि सभी मुकदमों को लड़ने का अधिकार समाप्त हो जाएगा। कोर्ट ने 11 जनवरी 2024 के अपने आदेश में विवाद से संबंधित 18 मुकदमों को एक साथ लाने के निर्देश जारी किए थे।

क्या है मामला : बता दें कि हिंदू पक्ष ने शाही ईदगाह मस्जिद के ढांचे को हटाने के बाद कब्जे के साथ-साथ उस स्थान पर मंदिर के जीर्णोद्धार और स्थायी निषेधाज्ञा के लिए ये मुकदमे दायर किए हैं। यह विवाद मथुरा में मुगल बादशाह औरंगजेब के समय की शाही ईदगाह मस्जिद से जुड़ा है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इसे भगवान श्रीकृष्ण के जन्मस्थान पर स्थित मंदिर को तोड़कर बनाया गया था।

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