राज्‍य सभा में अमित शाह का विपक्ष पर तंज: "हमारा लोकतंत्र पाताल से भी गहरा है, भारतीयता विदेशी चश्मे से नहीं दिखेगी"...

Update: 2024-12-17 14:25 GMT

नई दिल्ली – मंगलवार को राज्यसभा में चल रही विशेष चर्चा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भाग लिया। अपने संबोधन के दौरान उन्होंने संविधान पर विस्तार से चर्चा की और विपक्ष पर तीखा हमला बोला।

शाह ने कहा कि भाजपा ने 16 वर्षों के शासन के दौरान संविधान में 22 संशोधन किए, जबकि कांग्रेस ने 55 वर्षों में 77 संशोधन किए। दोनों दलों ने अपने-अपने तरीकों से संविधान में संशोधन किए, लेकिन इनके पीछे के इरादों और प्रक्रियाओं से उनकी नीयत को समझा जा सकता है।

शाह ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि एनडीए द्वारा किए गए संशोधन पारदर्शी तरीके से लागू किए गए, जबकि कांग्रेस के संशोधनों को समझने के लिए ‘अंधेरे में टटोलने’ की जरूरत पड़ती है।

राज्यसभा में मंगलवार को संविधान पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भारतीय लोकतंत्र की गहराई और इसकी शक्ति पर जोर दिया। उन्होंने कहा, "भारत में लोकतंत्र की जड़ें पाताल तक गहरी हैं। इसने कई तानाशाहों के अहंकार को चूर-चूर कर दिया। जो लोग यह कहते थे कि भारत आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर नहीं बन पाएगा, आज हम दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। यह हमारे लिए गर्व और संकल्प का क्षण है।"

शाह ने भारतीय संविधान की विशेषताओं और इसके महत्व पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि यह संविधान विविधता में एकता का सबसे बड़ा उदाहरण है, जिसे संविधान सभा के 299 सदस्यों ने सभी वर्गों और समुदायों के प्रतिनिधित्व के साथ तैयार किया।

गृहमंत्री अमित शाह ने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि आजकल सियासत का स्तर इतना नीचे गिर चुका है कि अब चित्रों पर चर्चा की जा रही है। उन्होंने कहा, "मान्यवर, यदि कोई संविधान के संदेश को समझने में असमर्थ है, तो संविधान का कोई भी उद्देश्य पूरा नहीं हो सकता। जो चित्र लगाए गए हैं, वे हमारे हजारों साल पुरानी सांस्कृतिक धरोहर और राष्ट्र की जीवनशैली को दर्शाते हैं। कोई यह न समझे कि हमारा संविधान दुनिया के अन्य देशों के संविधान की नकल है।

हमने हर संविधान का अध्ययन किया है, क्योंकि हमारे ऋग्वेद में यह कहा गया है कि हमें हर दिशा से अच्छाई और शुभ विचार प्राप्त हों, और इन्हें स्वीकारने के लिए हमारा मन खुला है। हालांकि, हम अपनी परंपराओं से कभी नहीं दूर हुए। अगर दृष्टिकोण विदेशी चश्मे से है, तो संविधान में भारतीयता कभी भी नहीं झलकेगी।"

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, ''...हमारे संविधान में संविधान को कभी भी अपरिवर्तनीय नहीं माना गया है। अनुच्छेद 368 में संविधान में संशोधन का प्रावधान है...कुछ राजनेता 54 वर्ष की आयु में खुद को 'युवा' कहते हैं। संविधान लेकर घूमते रहते हैं और कहते हैं कि संविधान बदल देंगे। मैं बताना चाहता हूं कि संविधान में संशोधन का प्रावधान अनुच्छेद 368 में है...भाजपा ने 16 साल तक शासन किया और हमने संविधान में 22 परिवर्तन किए। ..कांग्रेस ने 55 साल राज किया और 77 परिवर्तन किए..."

शाह के भाषण के मुख्य बिंदु:

संविधान की अनूठी विशेषताएं:

अमित शाह ने कहा कि भारतीय संविधान दुनिया का सबसे विस्तृत और लिखित संविधान है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इसका ड्राफ्ट जनता के सामने प्रस्तुत किया गया था और उनकी टिप्पणियों के आधार पर संशोधन किए गए थे। "हम सभी को अपने संविधान पर गर्व होना चाहिए," शाह ने कहा।

शंकाओं को गलत साबित किया:

उन्होंने कहा, "आजादी के बाद कई लोगों ने यह भविष्यवाणी की थी कि भारत एकजुट नहीं रह पाएगा और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर नहीं बन पाएगा। लेकिन सरदार पटेल के प्रयासों से भारत ने अपनी एकता बनाए रखी। और आज, हम आर्थिक और लोकतांत्रिक दोनों क्षेत्रों में मजबूती से खड़े हैं।"

संविधान का अलंकरण:

शाह ने संविधान को सजाने में प्रसिद्ध कलाकार नंदलाल बोस की भूमिका का भी उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि बोस ने चार वर्षों तक कड़ी मेहनत कर भारतीय इतिहास और संस्कृति की महत्वपूर्ण घटनाओं और संदेशों को संविधान में उकेरा। इन चित्रों में भगवान राम, भगवान बुद्ध, गुरु गोविंद सिंह, शिवाजी, रानी लक्ष्मीबाई, और नालंदा विश्वविद्यालय का चित्रण शामिल है।

लोकतंत्र की ताकत:

शाह ने कहा, "दुनिया के कई देशों में लोकतंत्र सफल नहीं हो सका, लेकिन भारत ने अपनी लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत और स्थिर बनाए रखा।" उन्होंने इसे भारतीय लोकतंत्र की गहरी जड़ों का परिणाम बताया।

विपक्ष पर निशाना:

शाह ने विपक्षी पार्टियों, विशेष रूप से कांग्रेस, पर निशाना साधते हुए कहा, "कांग्रेस चुनाव हारने पर ईवीएम को दोष देती है। महाराष्ट्र में हारते ही ईवीएम खराब हो गई, लेकिन झारखंड में जीतते ही ठीक हो गई। यह दोहरा रवैया जनता को गुमराह करने वाला है।"

इतिहास की गलतियां:

उन्होंने कांग्रेस सरकार के दौरान 1975 की आपातकाल की ओर इशारा करते हुए कहा कि इंदिरा गांधी ने अपने चुनाव को वैध ठहराने के लिए संविधान में संशोधन किया। उन्होंने यह भी बताया कि कांग्रेस ने लोकसभा और विधानसभाओं के कार्यकाल को पांच से बढ़ाकर छह साल कर दिया था।

'वन नेशन, वन इलेक्शन' पर विचार:

शाह ने 'वन नेशन, वन इलेक्शन' की अवधारणा का समर्थन करते हुए कहा कि यह व्यवस्था न केवल संसाधनों की बचत करेगी, बल्कि प्रशासन को अधिक प्रभावी बनाएगी। उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाया कि उन्होंने इस बिल पर चर्चा में बाधा डालकर जनता की उम्मीदों को तोड़ा।

अमित शाह ने भारतीय लोकतंत्र और संविधान की ताकत को उजागर करते हुए इसे विश्व में अद्वितीय बताया। उन्होंने इस अवसर को न केवल गर्व बल्कि भविष्य के लिए संकल्प लेने का क्षण भी कहा। उनका संबोधन भारतीय संविधान की शक्ति, लोकतंत्र की स्थिरता, और आर्थिक विकास की दिशा में देश की यात्रा को समर्पित रहा। 

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