सीनियर काउंसिल कनिष्क मर्डर केस पर बड़ा अपडेट: आदित्यभान सिंह मास्टरमाइंड...

हरदोई पुलिस ने गुरुवार देर रात मुठभेड़ में धरे तीनों शूटर, एक की टांग में मारी गोली। 4 लाख की सुपारी, 1.40 लाख एडवांस दिए, 50-50 हजार बीरे-नृपेंद्र, 40 हजार आदित्य के, शिखर को काम बाद देना था हिस्सा, 8 में 5 आरोपी जेल गए, केस क्रैक करने में लगीं 7 टीमें...

Update: 2024-08-02 11:11 GMT

हरदोई। हार्ट ऑफ सिटी सिनेमा चौराहा से राजधानी रोड पर बुधवार शाम पौने आठ बजे हुई वरिष्ठ अधिवक्ता कनिष्क मेहरोत्रा के कत्ल की गुत्थी सुलझाने का एसपी नीरज जादौन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस दावा किया। उन्होंने कहा, मोटिव प्रॉपर्टी हथियाने का था और इसके लिंकिंग एविडेंस हैं। कहा, मरहूम मेहरोत्रा को 50 लाख रुपए का प्रलोभन दिए जाने की जानकारी भी सामने आई थी। बताया, मास्टरमाइंड आदित्यभान सिंह, सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष बीरे यादव, नामी कारोबारी शिखर गुप्ता और नृपेंद्र त्रिपाठी के साथ शूटर नीरज को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया।

बुधवार सरेशाम राजधानी रोड पर वरिष्ठ फौजदारी अधिवक्ता कनिष्क की उनके चैम्बर में अज्ञात हमलावरों ने कनपटी उड़ा दी थी और फरार हो गए थे। पूरा कांड 20 सेकंड में अंजाम दिया गया था। शहर का वक्षस्थल लहूलुहान होने से पुलिस महकमे की। पेशानी पसीना पसीना हो गई थी। अज्ञात तीन हमलावरों पर केस दर्ज कर क्रैक करने के लिए एडिशनल ईस्ट नृपेंद्र कुमार की मॉनिटरिंग में 7 टीमें गठित की थीं। अरवल पुलिस ने उसी रात बीरे यादव को उनके गांव बरगदापुरवा से और अदित्यभान, शिखर और नृपेंद्र को उनकी रिहाइश से उठा लिया गया था, तब से चारों पुलिस कस्टडी में थे। इस बीच आईजी प्रशांत कुमार ने मामले में पर्याप्त लीड्स होने और शीघ्र पटाक्षेप करने का दावा बुधवार शाम किया था। लेकिन, गुरुवार को विधानसभा के मॉनसून सत्र के समापन पर कनिष्क की हत्या में बीरे यादव का भरे सदन में हाथ बताते हुए, उसका आपराधिक इतिहास बताया था। इसी के बाद कनिष्क केस की परिणति शीशे जैसी साफ हो गई थी।

हरदोई के हाई प्रोफाइल कनिष्क मेहरोत्रा मर्डर केस को लेकर पुलिस अधीक्षक नीरज कुमार जादौन ने बताया, 30 जुलाई को हत्याकांड के खुलासे और मुल्जिमों की अरेस्ट के लिए सात टीमें लगी थीं। कनिष्क के भाई हर्ष ने सिटी कोतवाली में 486/24 धारा 61 (2)/103(1) बीएनएस में अज्ञात के विरुद्ध दर्ज कराया था। सीसीटीवी फुटेज/कॉल्स डिटेल रिकॉर्ड के साथ दूसरे सबूत जुटा कर शूटर की पहचान सुनिश्चित हुई। कहा, घटना की पृष्ठभूमि 2011 से बन रही थी। सिटी के सराय थोक के आदित्यभान सिंह, अरवल के बरगदापुरवा के वीरेंद्र सिंह बीरे यादव, धर्मशाला रोड के शिखर गुप्ता और रामनगर कॉलोनी के नृपेंद्र त्रिपाठी ने कनिष्क मेहरोत्रा से किराए का मकान खाली कराने के लिए वारदात अंजाम दी।

पुलिस अधीक्षक नीरज कुमार जादौन

जादौन के मुताबिक, आदित्यभान और बीरे के कहने पर रामू महावत ने हत्याकांड की पटकथा लिखी। रामू महावत दस साल पहले आदित्यभान के साथ डेयरी कारोबार में था। आदित्यभान, बीरे, शिखर और नृपेन्द्र ने रामू महावत से चार लाख रुपये की डील की थी। रामू ने जोगीपुर मजरा तत्यौरा के रामसेवक लल्ला, राजवीर और सिटी कोतवाली के झरोइया के नीरज को वारदात के लिए तैयार किया। इन्होंने कुबूला घटना अंजाम देने के लिए के लिये आदित्य, बीरे, शिखर एवं नृपेंद्र की रफी अहमद चौराहे के आसपास निरन्तर मीटिंग होती थी। डील के चार लाख में कोई दो महीने पहले 1.40 लाख रुपये दिया था, 50-50 हजार रुपये बीरे एवं नृपेंद्र और 40 हजार रुपये आदित्य का शेयर था। शिखर ने काम के बाद हिस्सा देने की बात कही थी। आदित्यभान ने ही शूटर्स को बाइक दी थी।

बुधवार को रामसेवक लल्ला, राजवीर और नीरज जोगीपुर में मिले। लल्ला ने आदित्यभान से कॉल पर उसी रोज काण्ड करने की बात कही थी। लल्ला, राजवीर और नीरज दिन भर कई बार शराब ठेकों पर गए और शराब पी। दिन में बाइक का पंक्चर सिनेमा रोड पर जुड़वाया। सर्कुलर रोड पर भी शराब पी। नुमाइश चौराहा से शराब ली और पी। यहां से तीनों कनिष्क के घर पहुंचे और कोर्ट मैरिज की बात करने के बहाने नीरज ने फाइल पकड़ाई और लल्ला ने कनपटी पर गोली दाग दी। बाहर राजवीर बाइक चालू किए रहा और काण्ड के बाद तीनों बेफिक्री से निकल गए। तीनों, लखनऊ चुंगी से बिलग्राम चुंगी और सांडी चुंगी से दाहिने कट ले बावन रोड से जोगीपुर गांव पहुंचे। काण्ड बाद लल्ला ने उसी मोबाइल से आदित्यभान को काम होने की सूचना दी। नीरज ने पहचान छिपाने को उसी रात शाहजहांपुर रोड पर नाई हरिनाम श्रीवास्तव की दुकान पर बाल कटवा लिये।

सूटर नीरज 

जादौन के अनुसार, सिटी कोतवाली पुलिस/स्वाट/एसओजी व सर्विलांस टीम ने गुरुवार रात मुठभेड़ में नीरज को अरेस्ट किया। बाकी अभियुक्तों की गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं। कहा, मोटिव सभी का फायदा था और इसलिए घटना की गई, इसके पर्याप्त साक्ष्य हैं। बोले, शूटर्स के पास एक से अधिक मोबाइल नम्बर थे और उनकी मल्टीपल लोकेशन मिली। जादौन ने कहा, घटना के बाद ही साफ किया था, बीरे के साथ तीन अन्य से पूछताछ हो रही है। बताया बीरे पर कई थानों में गंभीर अपराधों में 27, नीरज पर 4 और आदित्यभान पर सिटी में एक मुकदमा दर्ज है। शिखर गुप्ता और नृपेंद्र त्रिपाठी का आपराधिक इतिहास नहीं है। रामू, लल्ला और राजवीर फरार हैं, जल्दी अरेस्ट होगी। प्रेस कांफ्रेंस में ही हरदोई बार के अध्यक्ष कृष्ण दत्त शुक्ला टुल्लू बाबू, महामंत्री महेन्द्र प्रताप सिंह व विपिन सिंह गौर भी मौजूद रहे।

इस टीम ने केस किया क्रैक: एडिशनल एसपी पूर्वी नृपेंद्र कुमार, सीओ सिटी अंकित मिश्रा, सिटी कोतवाल संजय पाण्डेय, एसआई मार्कण्डेय सिंह, अनुराग सिंह, हेड कांस्टेबल सुशील पटेल, कांस्टेबल कौशल देव व चन्द्रशेखर पटेल, स्वॉट और एसओजी प्रभारी बृजेश मिश्रा, सर्विलांस प्रभारी संतोष सिंह, हेड कांस्टेबल रामकृष्ण द्विवेदी, बीरन सिंह यादव, अनिल सिंह चंदेल, आनन्द, कांस्टेबल मंजेश कुमार, ओमवीर सिंह, बृजनंदन, अंकुर चौहान और यादवेन्द्र सिंह।

हरदोई बार बोली, थैंक्यू जादौन : सीनियर काउंसिल कनिष्क मेहरोत्रा मर्डर केस का अनावरण वकील घर की तय की हुई समय-सीमा में होने पर हरदोई बार अध्यक्ष कृष्ण दत्त शुक्ला और महामंत्री महेंद्र प्रताप सिंह ने एसपी नीरज जादौन को कचहरी बुला कर धन्यवाद ज्ञापित किया। जादौन ने भी सहकार के लिए वकील घर को साधुवाद बोला। साथ एडिशनल ईस्ट नृपेंद्र कुमार और वेस्ट मार्तंड सिंह भी रहे। हरदोई बार की सोमवार को आमसभा में 05 दिन के न्यायिक कार्य बहिष्कार पर निर्णय लिया जाएगा। दिवंगत कनिष्क मेहरोत्रा की आत्मा शांति के लिए मौन धारण के बाद वकीलों की सभा विसर्जित हुई।


शिखर और नृपेंद्र की मर्डर केस में मिलीभगत नहीं उतर रही गले!

हाई प्रोफाइल कनिष्क मेहरोत्रा मर्डर केस में सिटी के दो कारोबारियों का नाम तो बुधवार रात से ही ज़ुबान पर था लोगों की, पर शुक्रवार को एसपी नीरज जादौन ने कत्ल में शिखर गुप्ता और नृपेंद्र त्रिपाठी की संलिप्तता का दावा किया। बताया, सुपारी की दी गई 1.40 लाख की रकम में 50 हजार नृपेंद्र के थे। दावा है, शिखर ने कनिष्क के कत्ल के बाद अपना हिस्सा देने की बात कही थी। इस प्वाइंट के साथ कई और पहलुओं पर भी पुलिस के खुलासे में झोलझाल माना जा रहा है।

हत्‍याकांड के आरोपी 

शिखर के दादा जयकरण नाथ गुप्ता अपने जमाने के नामी वकील थे। पिता राकेश कुमार गुप्ता की सिनेमा रोड पर ज्वैलरी शॉप है। शिखर खुद बड़े कारोबारी हैं और धर्मशाला रोड पर उनका प्रतिष्ठान है। शिखर की छवि समाज में बेहतर मानी जाती है। उनका अपराधिक रिकॉर्ड भी नहीं है कोई। अब, तोहमत है सुपारी की रकम में उनका हिस्सा बाद में देने की। ये बात, तो जंगल में मोर नाचा किसने देखा, जैसी है। शिखर के दोस्त और जानने वाले हैरान से ज्यादा इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि अव्वल तो शिखर निर्लिप्त हैं अपराध में और उन पर आंच आई है तो ये ’कुसंग’ का साइड इफेक्ट भर है।

नृपेंद्र त्रिपाठी टीटू के पिता रामकृष्ण त्रिपाठी भूमि विकास बैंक में मैनेजर और मां वेणी माधव गर्ल्स कॉलेज टीचर थीं। टीटू ने भी व्यापार से अच्छा पैसा और संपत्ति बनाई। इन पर सुपारी की रकम में 50 हजार रुपए शेयर देने का आरोप है। बाकी रिकॉर्ड टीटू का भी पाक-साफ है। दोनों को ही जानने वाले अनुपम कुमार पाण्डेय और सुधीर श्रीवास्तव कहते हैं, दोनों पूरी तरह पारिवारिक और व्यापारिक हैं। कभी कोई चवन्नी का आरोप नहीं लगा। ऐसे में सीधे मर्डर का चार्ज समझ से परे हैं।

नादान से दोस्ती, खतरा-ए-जान : दरअसल, कनिष्क मर्डर केस के मास्टरमाइंड आदित्यभान सिंह की ये पूरी थ्योरी रची-बुनी, ऐसा करीब करीब हर एक कह रहा है। जैसा कि कप्तान जादौन ने सीडीआर को पुख्ता साक्ष्य बताया है। इस ओर, दलील है कि आदित्यभान ने उसी फोन नम्बर से बीरे, नृपेंद्र और शिखर को कॉल किए, जिससे रामू महावत के सम्पर्क में था। ऐसे में कॉल रिकॉर्ड में सभी से बातचीत का ब्यौरा मिलना ही था। कारोबारी अनुपम पांडेय और सुधीर श्रीवास्तव कहते हैं, शिखर और नृपेंद्र सुलझे हुए कारोबारी हैं, कत्ल जैसा उलझा हुआ काम नहीं करेंगे। दोनों पर बस ’कुसंग’ की छाया पड़ गई।

इनका चालचलन ऐसा नहीं है कि कुछ लाख की सम्पत्ति के लिए हत्या जैसा जघन्य अपराध करें। इसलिए भी कि दोनों ने खुद की मेहनत से अपने पैरों पर खड़े हुए हैं और अच्छा कारोबार चल रहा है। इसलिए मानना मुश्किल है और स्वीकार करना भी कि शिखर और नृपेंद्र मर्डर प्लान कर सकते हैं।

जेपीएस की पैरवी भी काम नहीं आई : सिटी के विख्यात डॉ.आनन्द अस्थाना के बड़े भाई रामस्वरूप अस्थाना की ये प्रॉपर्टी थी। वो बाहर रहते थे। किराएदार कोठी खाली नहीं कर रहे थे, तो उनकी पत्नी कुसुम ने कोठी छह लोगों को बेच दी। किरायेदार ले देकर या कोर्ट से खाली कर गए। बचे थे कनिष्क मेहरोत्रा, वो कोठी के 15 प्रतिशत पर काबिज थे। लेकिन, एक पार्टनर के लालच ने बाकी को भी निपटा दिया, ये चर्चा सारे शहर में है। हालांकि, हरदोई के सर्वोच्च सत्ता प्रतिष्ठान ने पूरा जोर लगाया पर नतीजा नहीं आया। जिले के प्रभारी मंत्री/सहकारिता राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) की भी पैरवी खारिज हो गई, ये सुनवाई सत्ता के ही गलियारों में है। अब, नजरें चार्जशीट पर हैं कि पुलिस क्या कुछ किस्से बुनती है शिखर और नृपेंद्र के लिए और वो ट्रायल में कितना टिकते हैं।

...... BY - ब्रजेश कबीर 

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