Bulldozer Justice: दोषी हो तब भी घर नहीं गिराया जा सकता...सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी, अदालत जल्द जारी करेगी गाइडलाइन
Bulldozer Justice Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट ने "बुलडोजर न्याय" के खिलाफ दायर की गई याचिका पर सुनवाई की, जिसमें कहा गया है कि, "बदले" की भावना से बिना "नोटिस" के घरों को ध्वस्त किया जा रहा है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की बेंच ने मामले की सुनवाई की थी। सुनवाई के दौरान अदालत ने महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि, अगर कोई दोषी है तब भी घर नहीं गिराया जा सकता। इसी दौरान अदालत ने यह भी कहा कि, इस मामले में जल्द ही गाइडलाइन जारी की जाएगी जो पूरे देश में लागू होगी।
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की बेंच के समक्ष एसजी (सॉलिसिटर जनरल) तुषार मेहता ने तर्क दिया कि, सभी एक्शन मुन्सिपल लॉ के तहत लिए गए हैं। अवैध कब्जे पाए जाने पर नोटिस जारी किया गया इसके बाद ही एक्शन लिया गया था। बेंच ने इसके जवाब में कहा कि, सरकार को इन सभी आरोपों के जवाब देने होंगे।
अदालत ने कहा कि, यदि आरोपी दोषी भी पाया जाता है तो उसके खिलाफ बुलडोजर एक्शन लेकर उसका घर नहीं गिराया जा सकता। इसके बाद जवाब में तुषार मेहता ने कहा कि, आपका कहना बिलकुल सही है कि, दोषी पाए जाने पर भी घर नहीं गिराया जा सकता लेकिन जो भी कब्जे हटाए गए हैं वे सभी अवैध थे।
बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था, जहां आरोप है कि, बिना किसी सूचना के और "बदले" की भावना से उनके घर तोड़े गए। ये याचिकाएँ राजस्थान के राशिद खान और मध्य प्रदेश के मोहम्मद हुसैन ने दायर की थीं।
उदयपुर के 60 वर्षीय ऑटो-रिक्शा चालक खान द्वारा दायर आवेदन में कहा गया है कि 17 अगस्त, 2024 को उदयपुर जिला प्रशासन ने उनके घर को ध्वस्त कर दिया था। यह कार्रवाई उदयपुर में सांप्रदायिक झड़पों के बाद हुई थी। जिसमें कई वाहनों में आग लगा दी गई और बाजार बंद कर दिए गए थे। उदयपुर में मुस्लिम स्कूली छात्र ने अपने हिंदू सहपाठी को कथित तौर पर चाकू मार दिया था, जिसकी बाद में मौत हो गई थी। इसी के कारण सांप्रदायिक झगड़े हुए थे।
इसी तरह, मध्य प्रदेश के मोहम्मद हुसैन ने आरोप लगाया है कि राज्य प्रशासन ने उनके घर और दुकान को अवैध रूप से बुलडोजर से गिरा दिया। इन दो याचिकाओं के अलावा जमात उलेमा - ऐ - हिंद के द्वारा भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी।