MLA और MLC में क्या है अंतर? कैसे होता है चुनाव, कौन डालता है वोट, जानिए सबकुछ

Update: 2022-03-23 14:13 GMT

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के बाद अब विधान परिषद के चुनावों की तैयारियां तेज हो गई है। विधानसभा और विधान परिषद के कार्यों और सदस्यों में क्या अंतर है? विधानसभा सदस्यों को MLA और विधानपरिषद को MLC कहा जाता है। आइए हम बताते है दोनों के कार्यकाल, चयन  प्रक्रिया और जिम्मेदारियों में क्या अंतर होता है।  

MLA और MLC में अंतर - 

MLA को ( Member of Legislative Assembly) विधायक कहा जाता है। यह प्रत्यक्ष चुनाव में जनता द्वारा चुनकर विधानसभा भेजा जाता है। MLA चुने जाने के लिए न्यूनत्तम आयु 25 वर्ष होती है।MLA का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है।  वहीँ MLC को ( Member of Legislative Council) कहा जाता है। इसका चुनाव अप्रत्यक्ष तरीके से होता है। MLC बनने की न्यूनतम उम्र 30 वर्ष होती है। इसका कार्यकाल 6 साल का होता है।  

विधान परिषद की चुनाव प्रक्रिया - 

विधान परिषद के सदस्यों का चुनाव अप्रत्यक्ष तौर पर होता है। विधानपरिषद के एक तिहाई सदस्यों का चयन विधायकों द्वारा किया जाता है।  एक तिहाई सदस्यों का चयन नगर निगम, नगरपालिका, जिला पंचायत और क्षेत्र पंचायत के सदस्यों द्वारा किया जाता है। वहीं, 1/12 सदस्यों को शिक्षक और 1/12 सदस्यों को रजिस्टर्ड ग्रैजुएट चुनते हैं।

उप्र में चुनाव प्रक्रिया -

यदि उप्र विधानपरिषद की बात करें तो यहां के 100 में से 38 सदस्यों को विधायक, 36 सदस्यों को नगर निगम, नगर पालिका आदि स्थानीय निकाय, 10 सदस्यों को राज्यपाल द्वारा मनोनीत, 16 सदस्यों का चयन शिक्षक और स्नातक निर्वाचन के तहत होता है।  

विधानपरिषद में सदस्यों की संख्या विधानसभा सदस्यों के अनुपात में तय होती है। विधान परिषद सदस्यों की संख्या विधान सभा सदस्यों की एक तिहाई होती होती है।  उप्र में विधानसभा सदस्यों की संख्या 403 है, वहीँ इसके अनुपात में विधान परिषद में 134 से ज्यादा सदस्य नहीं हो सकते है। विधान परिषद में कम से कम 40 सदस्य होना जरूरी है। दोनों सदनों के सदस्यों का वैधानिक दर्जा समान होता है।  

6 राज्यों में है विधानपरिषद - 

विधानसभा देश के सभी राज्यों में विद्यमान है जबकि विधान परिषद सिर्फ 6 राज्यों में है। जिसमें कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, बिहार उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना, शामिल है।  

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