भारत-चीन विदेश मंत्रियों केबीच 3 घंटे चली वार्ता, द्विपक्षीय संबंधों पर हुई चर्चा

Update: 2022-03-25 08:38 GMT

नईदिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर टकराव की स्थिति समाप्त करने और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए व्यापक विचार-विमर्श किया। दोनों विदेश मंत्रियों ने द्विपक्षीय संबंधों को पटरी पर लाने के उपायों पर विचार करने के साथ ही पूरी प्रक्रिया को तेज करने की जरूरत महसूस की। 

विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने शुक्रवार को अपने चीनी समकक्ष वांग यी से दिल्ली के हैदराबाद हाउस में प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता की। करीब तीन घंटे तक हुए विचार-विमर्श के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि भारत-चीन के संबंध फिलहाल सामान्य नहीं कहे जा सकते। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर टकराव के बिन्दूओं पर सेनाओं को पीछे हटाने के काम में कुछ प्रगति हुई है, लेकिन प्रक्रिया अभी भी धीमी है। भारत चाहता है कि इस काम में तेजी आए। हालांकि आज के विचार-विमर्श से दोनों पक्षों के दृष्टिकोणों में स्पष्टता बनी है। 

भारत का स्पष्ट मत 

जयशंकर ने दक्षिण चीन सागर और हिन्द-प्रशांत क्षेत्र का उल्लेख नहीं करते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों के बारे में भारत का स्पष्ट मत है कि शक्ति प्रयोग और यथा स्थिति में एकतरफा तरीके से कोई बदलाव करने का कोई प्रयास नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत का मानना है कि द्विपक्षीय संबंध तीन सिद्धांतों पर आधारित हैं। परस्पर सम्मान, एक दूसरे की संवेदनशीलता तथा राष्ट्रीय हितों का ध्यान रखना। 

अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन - 

उन्होंने कहा कि भारत चाहता है कि अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन हो तथा विभिन्न देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया जाए। विदेश मंत्री ने कहा कि सीमा पर तनाव कायम रहते संबंध सामान्य नहीं हो सकते। इसका असर व्यापक द्विपक्षीय संबंधों पर भी पड़ता है और सामान्य नहीं रह पाते। उन्होंने कहा कि टकराव के बिन्दूओं से सैनिकों को पीछे हटाने के बाद सीमा क्षेत्र से सैन्य तैनाती को कम करने का मार्ग प्रशस्त हो सकता है।

काम जारी है - 

उन्होंने कहा कि वर्ष 2020 में सीमा पर चीनी सेना की भारी तैनाती के बाद यह घटनाक्रम शुरू हुआ। भारत चीन के साथ सीमा मामलों में स्थाई और उम्मीद के मुताबिक माहौल चाहता है। जयशंकर ने दोनों पक्षों के सैन्य कमांडरों और कूटनीतिक स्तर पर हुई वार्ताओं को एक वाक्य में इस तरह प्रगट किया- 'काम जारी है'। यह काम धीमा है और इसे तेज करने की जरूरत है।

द्विपक्षीय संबंधों में सुधार - 

जयशंकर ने कहा कि उन्होंने चीनी विदेश मंत्री के सामने ईमानदारी से अपना पक्ष रखा तथा सीमा के मामले में देश की राष्ट्रीय भावना से उन्हें अवगत कराया। विदेश मंत्री के अनुसार वांग यी ने भी दोनों देशों के बीच अच्छे संबंध कायम होने की इच्छा व्यक्त की। विदेश मंत्री के अनुसार द्विपक्षीय संबंधों में सुधार करने की भावना को निश्चित प्रतिबद्धता से अमली जामा पहनाने की जरूरत है। 

यूक्रेन संकट और अफगानिस्तान के घटनाक्रम -

दोनों विदेश मंत्रियों ने अध्ययनरत भारतीय छात्रों विशेषकर मेडिकल छात्रों की चीन वापसी, यात्रा संबंधी कठिनाइयों और वाणिज्य संबंधी विषयों पर भी विचार-विमर्श किया। चीनी विदेश मंत्री ने कहा कि वह छात्रों और यात्रा संबंधी मुद्दों पर चीन के संबंधित प्राधिकार से विचार-विमर्श करेंगे। विचार-विमर्श में यूक्रेन संकट और अफगानिस्तान के घटनाक्रम पर भी बातचीत हुई। दोनों नेताओं ने इन मुद्दों पर अपने देशों का पक्ष रखा। 

विदेश मंत्री ने बताया कि दोनों देश की इस बात पर एक राय थी कि यूक्रेन में तत्काल युद्ध विराम होना चाहिए तथा कुटनीति और राजनयिक माध्यम से वार्ता के टेबल पर लौटना चाहिए। दोनों विदेश मंत्रियों ने चीन की मेजबानी में आयोजित होने वाली ब्रिक्स शिखरवार्ता पर भी चर्चा की। इस शिखरवार्ता में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भाग लेना है।

जयशंकर ने कहा कि उन्होंने इस्लामाबाद में आयोजित इस्लामी देशों के संगठन ओआईसी की बैठक में चीन के विदेश मंत्री के कश्मीर संबंधी बयान के मुद्दे को उठाया। जयशंकर ने मेहमान नेता से कहा कि चीन को अपनी स्वतंत्र विदेश नीति को दूसरे देश के नजरिये से प्रभावित नहीं होने देना चाहिए।

वांग यी गुरुवार रात्रि काबुल से दिल्ली पहुंचे थे। उनकी यात्रा के बारे में विदेश मंत्रालय की ओर से कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई थी। वर्ष 2020 में लद्दाख के गलवान घाटी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैन्य संघर्ष के करीब 2 साल बाद चीन के किसी वरिष्ठ नेता की यह पहली भारत यात्रा है। हालांकि चीनी विदेश मंत्री के साथ एस जयशंकर ने मास्को में मुलाकात की थी तथा दोनों के बीच वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कई अवसरों पर बातचीत हुई थी।

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