Karan Johar Disorder: क्या है बॉडी डिस्मॉर्फिया, जिससे परेशान है फिल्ममेकर करण जौहर
Karan Johar Disorder: एक्सपर्ट्स के मुताबिक, बॉडी डिस्मॉर्फिया का सही कारण जान पाना काफी मुश्किल है।
Karan Johar Disorder : हाल ही में एक इंटरव्यू में फिल्ममेकर करण जौहर ने बोला है की वो बॉडी डिस्मॉर्फिया से जूझ रहे हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें 8 साल की उम्र से ही इस समस्या का सामना करना पड़ा है। वे अपनी फिजीक को लेकर कम्फर्टेबल महसूस नहीं करते हैं और इस समस्या से बाहर निकलने के लिए मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल से मदद लेनी पड़ी है।
करण ने इंटरव्यू में बोला है की वो पूल में जाने के बाद काफी ज्यादा अनकम्फर्टेबल फील करते है।उन्हें बचपन से ही पैनिक अटैक भी आते थे।सालों से वो अपनी बॉडी को लेकर सहज होने की कोशिश की लेकिन उससे निकले नहीं। यही कारण है कि वो कम्फर्टेबल फील हमेशा ओवरसाइज्ड कपड़े में ही करते है।आखिर बॉडी डिस्मॉर्फिया क्या होती है, जिससे इतना सक्सेसफुल इंसान कई सालों से बाहर नहीं आ पाया है?
बॉडी डिस्मॉर्फिया कौन सी बीमारी
बॉडी डिस्मॉर्फिया एक मानसिक समस्या है जिसमें व्यक्ति अपने शरीर को वास्तविक से बदले हुए और गलत तरीके से देखता है। इस स्थिति में व्यक्ति को अपने शारीरिक विशेषताओं या आकार को लेकर अत्यधिक चिंता होती है, जिससे वह अपने शरीर में नकारात्मक बदलाव को अधिकतम महत्व देने लगता है। इसे अक्सर उन्हीं विशेषताओं पर ध्यान केंद्रित करने के साथ-साथ शरीर के अन्य हिस्सों को अनदेखा कर देना भी कहा जाता है।
बॉडी डिस्मॉर्फिया का कारण क्या है
एक्सपर्ट्स के अनुसार, बॉडी डिस्मॉर्फिया के सही कारण को स्पष्ट रूप से निर्धारित करना मुश्किल है, लेकिन कुछ मुख्य कारणों की संभावना होती है। इसमें मानसिक समस्याएं जैसे डिप्रेशन और स्ट्रेस का अहम योगदान हो सकता है, जो व्यक्ति के शारीरिक रूप को लेकर अत्यधिक चिंता में डाल सकते हैं। कुछ एक्सपर्ट्स इसे जीनेटिक से भी जोड़ते हैं।इसके अलावा बचपन में हुए कुछ ऐसे घटना का अनुभव भी इस समस्या का कारण बन सकते हैं, जिनसे व्यक्ति की भावनाएं अप्रत्याशित रूप से प्रभावित हो सकती हैं। इसके अलावा खुद की आत्मसम्मान और परिवार से आलोचना जैसे अन्य सामाजिक प्रासंगिकताएं भी बॉडी डिस्मॉर्फिया को बढ़ावा देने में मदद कर सकती हैं।
बॉडी डिस्मॉर्फिया में लक्षण क्या हैं
अपने शरीर को देखना और महसूस करना:
बार-बार शीशे में अपने शरीर को देखनास्किन को नोचना या बार-बार छूना
अपने शरीर की कमियों को छुपाने की कोशिश करना
अपने शरीर की तुलना दूसरों से करना:
अपने शरीर की खामियों को बड़े होने के रूप में मानना
दूसरों के शरीर के साथ अपने शरीर की तुलना करना
आत्मसम्मान और समर्थन:
अपने शरीर को ठीक नहीं मानने के बावजूद भी दूसरों के कहने पर ठीक दिखने का विश्वास नहीं कर पाना
व्यवहारिक लक्षण:
बार-बार शरीर के किसी अंग को छूना या मापना
सेल्फ कॉन्शियस हो जाना और सामाजिक स्थितियों से परेशान हो जाना
दूसरों के साथ रहने में परेशानी महसूस करना