सुपरटेक मामले में यूपी सरकार की बड़ी कार्रवाई, नोएडा प्राधिकरण के 26 अफसर दोषी
एमरॉल्ड कोर्ट मामले में सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी के बाद हरकत में आयी यूपी सरकार द्वारा गठित एसआईटी की रिपोर्ट आ गयी है, जिसमें नक्शा कमिटी बनाने वाले तत्कालीन CEO समेत कई अफसर फंसते नजर आ रहे हैं।
नोएडा/अजय सिंह चौहान। सुपरटेक एमरॉल्ड कोर्ट ट्विन टावर्स मामले में कम्पनी और नोएडा प्राधिकरण के भ्रष्ट अफसरों के कथित गठजोड़ को खंगालने को गठित एसआईटी की रिपोर्ट आने से तत्कालीन अफसरों के होश उड़ गए हैं। एसआईटी ने अपनी जांच में नोएडा अथॉरिटी की टि्वन टावर और प्लानिंग विभाग के लिए हुए आदेशों की 40 से ज्यादा फाइलें खंगाली। इस तरह 35 अधिकारी और कर्मचारी इस पूरे फर्जीवाड़े के लपेटे में आ गए हैं। नोएडा प्राधिकरण की देश भर में छवि खराब कराने वाले सुपरटेक मामले में 26 अधिकारी दोषी पाए गए हैं। अब इन पर शासन स्तर से कार्रवाई शुरू होगी।
विशेष जांच दल (एसआइटी) की रिपोर्ट मिलने के बाद इस मामले में यूपी सरकार ने बड़ी कार्रवाई की है। दोषी पाए गए दो अफसरों की मौत हो चुकी है तो वहीं कार्यरत अफसरों में से एक का पहले और तीन का अब निलंबन कर दिया गया है। रिटायर हो चुके बीस अफसरों के खिलाफ भी नियमानुसार कार्रवाई के आदेश दे दिए गए है। इसके अलावा सुपरटेक के चार निदेशक और दो आर्किटेक्ट के खिलाफ विजिलेंस में मुकदमा दर्ज कराकर जांच सौंपी गई है।
जांच में तत्कालीन सीईओ द्वारा गठित नक्शा कमिटी की भी कारगुजारी सामने आई है, जिसको ढाल बनाकर कम्पनी और प्राधिकरण के भ्रष्ट अफसर फ्लैट खरीददारों की मांगों को अनसुना करते रहे। यह नक्शा कमिटी 2007 में नोएडा अथॉरिटी में बनी थी। इसके बाद इसे पावर दी गई। यह कमिटी 2013 तक प्रभावी रही। इसके पहले और बाद में भी कमिटी है लेकिन नक्शों में होने वाले बदलाव पर कमिटी के फैसले के बाद मंजूरी एसीईओ या सीईओ लेवल से लेने की व्यवस्था रही है। तत्कालीन अधिकारियों ने अपनी यह पावर उस कमिटी को ही दे दी थी। कमिटी में प्लानिंग विभाग, वर्क सर्कल से इंजीनियर व अन्य अधिकारी कर्मचारी रहते थे।
नोएडा विकास प्राधिकरण सुपरटेक लिमिटेड को आवंटित ग्रुप हाउसिंग भूखंड संख्या जी एच-चार, सेक्टर 93 ए पर निर्मित चालीस मंजिला ट्विन टावरों का मामला लंबे समय से सुप्रीम कोर्ट में चल रहा था। पिछले महीने न्यायालय ने टावरों को गिराने और फ्लैट खरीददारों का पैसा ब्याज सहित लौटाने का आदेश दिया था। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भ्रष्ट अफसरों पर कार्रवाई के लिए एसआइटी गठित की थी।
स्पेशल इंवेस्टिगेटिंग टीम में अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त संजीव मित्तल अध्यक्ष, अपर मुख्य सचिव ग्राम विकास एवं पंचायतीराज मनोज कुमार सिंह, मुख्य नगर एवं ग्राम नियोजक अनूप कुमार श्रीवास्तव और अपर पुलिस महानिदेशक मेरठ जोन राजीव सब्बरवाल जांच टीम सदस्य के रूप में शामिल थे। एक महीने तक गहन जांच-पड़ताल के बाद एसआइटी ने अपनी रिपोर्ट औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना को सौंप दी। महाना ने रविवार को रिपोर्ट मुख्यमंत्री को भेज दी। उनका निर्देश मिलते ही इस मामले में दोषियों पर कड़ी कार्रवाई के आदेश भी जारी हो गए।