नईदिल्ली। गुड्स एंड सर्विस टेक्स (जीएसटी) में जल्द ही बड़े बदलाव होने की खबर सामने आ रही है। जिसके तहत इसकी प्रक्रिया को सरल बनाया जा सकता है। 2017 में लागू हुई जीएसटी व्यवस्था को पांच साल पूरे होने जा रहे है जिसके चलते सरकार बड़े बदलाव की तैयारी कर रही है। इन बदलावों में टैक्स स्लैब में कमी, दरों में बदलाव और राज्यों को मिलने वाली क्षतिपूर्ति का बंद होना शामिल है।
बता दें की 29 मार्च 2017 को संसद में जीएसटी कानून पारित किया गया था, जिसके बाद सरकार ने 1 जुलाई 2017 से इसे देशभर में लागू कर दिया था। इस व्यवस्था के तहत उत्पाद कर, सेवा कर, वैल्यू ऐडेड टैक्स (वैट ) जैसे अप्रत्यक्ष करों को मिलाकर एक अप्रत्यक्ष कर बनाया गया था। जिसे जीएसटी नाम दिया गया। इसका उद्देश्य कर व्यवस्था को सरल बनाना था लेकिन कई कारणों से एक्सपर्ट इसे अब भी जटिल मानते है।
टैक्स स्लेब में होगा बदलाव
इसी को देखते हुए अब इसमें बदलाव करने की कोशिश चल रही है। जिसमें टैक्स स्लेब की संख्या में कमी करना सबसे अहम है। वर्तमान में जीएसटी के तहत 5 फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी और 28 फीसदी के 4 स्लैब हैं। सरकार भी इन्हें घटाकर 3 करना चाहती है। यदि ऐसा होता है तो इससे तो कर की दरों में भी बदलाव होगा। क्योंकि सरकार का उद्देश्य ब घटाकर रेवेन्यू बढ़ाना है। एक्सपर्ट की माने तो सरकार फीसदी और 12 फीसदी के स्लैब को 1-1 फीसदी बढ़ाया जा सकता है। यदि ऐसा हुआ तो इस स्लेब के तहत आने वाली सभी वस्तुएं महंगी हो जाएगी।
राज्यों पर पड़ेगा असर -
इसके अलावा राज्यों को मिलने वाली क्षतिपूर्ति राशि को भी बंद किया जा सकता है। जीएसटी लागू करते समय केंद्र ने राज्यों को पांच साल तक क्षतिपूर्ति राशि देने का प्रावधान किया था। जिसकी अवधि जुलाई में समाप्त हो रही है। ऐसा होने से राज्य सरकारों की आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ सकता है।
बैठक में होगा अंतिम निर्णय -
जानकारी के अनुसार, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई की अगुवाई में मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह की आगामी बैठक में इन बदलावों से संबंधित सिफारिशों को अंतिम रूप दिया जा सकता है। इसके बाद जब जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक होगी, तो उसमें इन सिफारिशों पर गौर किया जा सकता है. जीएसटी से जुड़ा कोई भी निर्णय करने का अधिकार काउंसिल के पास ही है।