संसद में कृषि कानूनों और किसान आंदोलन पर विपक्ष ने सरकार को घेरा

Update: 2021-02-03 06:00 GMT

नईदिल्ली।  केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ सड़क से लेकर संसद तक कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी पार्टियों का विरोध जारी है। इसी क्रम में लोकसभा में कांग्रेस सांसद जसबीर सिंह ने किसानों के मुद्दों पर कार्यस्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया है। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष से सदन की कार्यवाही स्थगित कर किसान आंदोलन और नए कृषि सुधार कानूनों पर चर्चा की मांग की है।

पंजाब के खडूर साहिब लोकसभा क्षेत्र से सांसद सिंह ने बुधवार को कहा कि सदन को अविलंब किसानों की समस्या और नए कृषि कानूनों पर चर्चा करनी चाहिए। गत मंगलवार को भी लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी और प्रमुख सचेतक के. सुरेश ने स्थगन प्रस्ताव का नोटिस देकर किसान आंदोलन के मुद्दे पर चर्चा की मांग की थी।

राज्यसभा में भी हंगामा -

वहीँ राज्यसभा में भी कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा ने किसान कानूनों को लेकर 'सस्पेंशन ऑफ बिजनेस' नोटिस जारी किया है। वहीं, दिल्ली बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसानों को रोकने के लिए कीलें गाड़ने तथा कंटीले तारों से फेंसिंग बनाए जाने को लेकर कांग्रेस ने सरकार को घेरा है।

वरिष्ठ कांग्रेस नेता पवन बंसल ने कहा है कि यह दुर्भाग्य है कि दस कतारों की नाकाबंदी, संघर्ष कर रहे किसान शौचालय व पानी से वंचित हैं। उन्होंने कहा कि यह लोकतांत्रिक 'नये भारत' की राजधानी के पास है या युद्ध समय सरहद पर दुश्मन के ख़िलाफ़? यह समझ से परे है। आखिर किस प्रकार के लोकतंत्र की व्यवस्था ये सरकार करना चाहती है।

फासीवादी शासन बताया -

महिला कांग्रेस अध्यक्ष सुष्मिता देव ने कहा कि 'यह सरकार भारत पर शासन करने वाली औपनिवेशिक शक्तियों से भी बदतर है। इसमें फासीवादी शासन का हर गुण है।' वहीं, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने दिल्ली कि सीमा पर किसानों के लिए इंटरनेट बैन करने को लेकर कहा कि मोदी-शाह जी को अब अटल जी अडवाणी जी जैसे लोकतंत्र में विश्वास रखने वालों के विचारों से कोई सरोकार नहीं है। पहले केवल कश्मीर घाटी में इंटरनेट सेवाएँ रोकी जाती थीं, अब घाटी से उतरकर हरियाणा तक यह रोग आ गया है।


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